नागौर. शारदीय नवरात्रि के पावन मौके पर आपको जिले के गोठ मांगलोद गांव के चमत्कारी दधिमती माता का मंदिर के बारे में बता रहे है. जो देशभर में एकमात्र ऐसा स्थान है. जहां देवी का रोज दूध से अभिषेक होता है. नागौर से करीब 35 किलोमीटर दूर दधिमती माता का मंदिर है. जो देशभर के लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. यहां साल में दो बार चैत्र और अश्विन माह के नवरात्र में 9 दिन तक विशाल मेला भरता है. जिसमें प्रदेश के कोने-कोने के साथ ही देश के अलग-अलग इलाकों से भक्त दर्शन के लिए उमड़ते हैं.
मंदिर का इतिहास 5000 साल से भी पुराना
इस स्थान से जुड़ी कई ऐसी मान्यताएं है जो श्रद्धालुओं के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है. बताया जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 5000 साल से भी ज्यादा पुराना है. पुजारियों से मिली जानकारी के मुताबिक करीब 2027 साल पहले का एक लिखित अभिलेख उनके पास है. लेकिन यह मंदिर इससे भी बहुत ज्यादा पुराना है. यहां शक्ति स्वरूपा देवी की आकर्षक प्रतिमा है. जिसका हर दिन दूध से अभिषेक किया जाता है. मंदिर की व्यवस्थाओं की देखरेख के लिए एक ट्रस्ट भी बना हुआ है.
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मंदिर का अनोखा स्तंभ जो जमीन पर नहीं टिका
इस मंदिर से जुड़ी जो सबसे चमत्कारी बात है. वो यह है कि यहां एक अनोखा स्तंभ है. माना जाता है कि यह स्तंभ जमीन पर टिका हुआ नहीं है. जमीन और स्तंभ के बीच में खाली जगह है. इस चमत्कारी स्तंभ को मनोकामना स्तंभ भी कहा जाता है और मान्यता है कि इस पर धागा और नारियल बांधकर जो भी मनोकामना मांगी जाती है. वह देवी अवश्य पूरी करती है.
मंदिर में कभी ना सूखने वाला कपाल कुंड
वहीं मंदिर के पास ही कपाल कुंड के नाम से एक सरोवर है. मान्यता है कि जहां कभी पानी सूखता नहीं है. इस मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि कपाल कुंड में सात बावड़ियां है. इन्हीं में भूगर्भ का पानी लगातार आता है. यही कारण है कि यहां कभी पानी सूखता नहीं है. चैत्र और आश्विन के नवरात्र में सप्तमी के दिन मंदिर से एक पालकी में देवी के प्रतीक स्वरूप को बिठाकर कपाल कुंड तक लाया जाता है. यह उस प्रतिमा की प्रतिकृति है. जो मंदिर के गर्भगृह में विराजमान है. इस शोभायात्रा में पुजारियों के साथ ही देशभर से आने वाले श्रद्धालु शामिल होते हैं.