खींवसर (नागौर).अपने ऊपर लगे परिवारवाद के आरोपों को सिरे से नकारते हुए नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने अपने भाई नारायण बेनीवाल को भाजपा-आरएलपी गठबंधन का प्रत्याशी बनाने के पीछे की वजह के बारे में बताया. हनुमान बेनीवाल के नागौर से सांसद बनने के बाद खींवसर सीट खाली हो गई. जिसके बाद यहां से गठबंधन का चेहरा नारायण बेनीवाल बने.
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21 अक्टूबर को होने वाले चुनाव को लेकर खींवसर में भाजपा और आरएलपी नेताओं का जनसंपर्क जोरों पर है. जहां खुद नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने यहां पर मोर्चा संभाला हुआ है तो भाजपा दिग्गज नेता भी जनसभाओं को संबोधित करने में पीछे नहीं है. क्योंकि हर बार की तरह खींवसर सीट इस बार हॉट सीट बन गई है. हालांकि हर बार इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होता था. लेकिन इस बार की टक्कर आमने-सामने की है. क्योंकि कांग्रेस ने पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा पर दांव खेला है. जो पूर्व विधानसभा स्पीकर और केंद्रीय मंत्री रहे नागौर के दिग्गज जाट नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे है.
सांसद हनुमान बेनीवाल ने अपने भाई नारायण बेनीवाल को खींवसर से प्रत्याशी बनाने का कारण बताया परिवारवाद के आरोपों पर बोले सांसद बेनीवाल
आरएलपी के कब्जे वाली खींवसर सीट पर चुनाव प्रचार करने के दौरान ईटीवी भारत ने नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल से खास बातचीत की. उन्होंने विपक्ष के परिवारवाद के आरोप को सिरे से नकारते हुए बेनीवाल ने कांग्रेस और मिर्धा परिवार पर परिवारवाद का आरोप लगाया. वहीं उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में पानी से लेकर सड़क तक, किसान से लेकर जवान तक सभी की लड़ाई मैंने अकेले लड़ी है. यहां तक की एक मुकदमा भी मेरे ऊपर हैं.
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भाई को प्रत्याशी बनाने की ये बताई बड़ी वजह
वहीं खींवसर सीट से अपने भाई नारायण बेनीवाल को प्रत्याशी बनाए जाने के सवाल पर जबाव देते हुए सांसद बेनीवाल ने बताया कि ये यहां की जनता की मांग की. मेरा ऐसा कोई मन नहीं था की परिवार का सदस्य चुनाव लड़े. लेकिन जनता की मांग पर मैंने आलाकमान को बताया की खींवसर की जनता क्या चाहती है. अगर परिवार से चुनाव नहीं लड़ाया गया तो हो सकता है सीट कांग्रेस के पास चले जाए. इसे हम परिवारवाद ना कहते हुए ये कह सकते है कि पार्टी का सदस्य चुनाव लड़ रहा है.