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COVID- 19: नागौर के जेएलएन अस्पताल को कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल बनाया गया - कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल

नागौर के सबसे बड़े अस्पताल जवाहरलाल नेहरू अस्पताल को कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल बनाया गया. वहीं अब इसके बाद जिले के पुराने अस्पताल को मेडिकल आउटडोर सेवाओं के लिए शुरू कर दिया गया जहां रैफर हुए मरीजों का इलाज किया जाएगा

कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल, Corona Dedicated Hospital
JLN अस्पताल को कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल बनाया गया

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Published : Apr 16, 2020, 1:26 PM IST

नागौर. जिले का सबसे बड़ा अस्पताल जवाहरलाल नेहरू अस्पताल को कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल बनाए जाने के बाद अब नागौर जिले के पुराने अस्पताल को मेडिकल आउटडोर सेवाओं के लिए शुरू कर दिया गया है. इसके साथ ही ओपीडी में रैफर मरीजों का भी चेकअप होगा. वहीं नागौर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए पुराने अस्पताल सेठ रामदेव वल्लभ पित्ती राजकीय चिकित्सालय भवन को एक बार फिर मेडिकल आउटडोर व्यवस्था के लिए सुचारू रूप से शुरू कर दिया है.

JLN अस्पताल को कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल बनाया गया

इसको लेकर चिकित्सा में स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी प्रकार की तैयारियां पूरी करते हुए सुचारू रूप से ओपीडी को संचालित कर दिया है. मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुकुमार कश्यप ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव के निर्देशानुसार नागौर जिले के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल को कोरोना (कोविड 19) डेडिकेटड बनाए जाने के बाद नागौर शहर वासियों के साथ आसपास के ग्रामीण लोगों के लिए मेडिकल आउटडोर की सुविधा के लिए पुराने अस्पताल को ओपीडी बनाए गया.

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ओपीडी में दो वरिष्ठ चिकित्सक अधिकारी के साथ 4 चिकित्सक अधिकारी 3 महिला चिकित्सक की ड्यूटी लगाई गई है. मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति कोरोनावायरस नियंत्रण होने तक की गई है. मेडिकल ओपीडी के लिए नागौर के खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. महेंद्र सिंह मीणा को प्रभारी नियुक्त किया गया. यहां मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना की भी सुविधाएं चालू कर दी गई है. पुराने अस्पताल के कक्षों को मेडिकल ओपीडी के लिए तैयार करके सुविधाएं विकसित करने की व्यवस्था पूरी करने के बाद ओपीडी संचालित की जा रही है.

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ओपीडी मे रैफर किये गए मरीजों के चेकअप की व्यवस्था की गई है. अस्पताल में आने वाले मरीजों को रैफर कार्ड साथ लाना अनिवार्य होगा. पर्ची काउंटर के जरिए मरीजों की पर्ची बनने के बाद डॉक्टरों की तरफ से चेकअप किया जा रहा है. सोशल डिस्टेंसिग जैसे नियमों की कड़ाई से पालन के लिए ओपीडी के बाहर सुरक्षा कार्मिकों की ड्यूटी लगाई गई है.

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