नागौर. हर तरक्की और बदलाव में जहां कुछ अच्छाइयां होती हैं, वहीं बुराइयां भी होती हैं. यही हाल महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बने दहेज कानून का भी है. इससे जहां पीड़ित महिलाओं को बहुत राहत मिली है, वहीं इस कानून के गलत इस्तेमाल के कारण ये पुरुषों के लिए गले की फांस बनता जा रहा है. धारा 498 ए (दहेज कानून) और धारा 406 (विश्वास का आपराधिक हनन) के मामले मे सिविल न्यायाधीश एंव न्यायिक मजिस्ट्रेट कूचामन सिटी ने अपने अहम फैसले मे राणोली थाने के जीण माता के रहने वाले सूरज प्रकाश को 498 ए मे दो साल का साधारण कारावास और 406 के आरोप में दो साल का साधारण कारावास की सजा सुनाते हुए अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है.
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि दोनों सजाएं एक साथ चलेगी और अभियुक्त की ओर से पूर्व में न्यायिक अभिरक्षा और पुलिस अभिरक्षा में व्यतीत की गई. मूल सजा में समायोजित की जाकर अभियुक्त का सजा वारण्ट मुखतिब किया जाए. इसके साथ ही अतिरिक्त अभियुक्तगण रतनलाल निवासी जीणमाता पुलिस थाना राणोली, जिला सीकर और राजुदेवी शर्मा पत्नी रतनलाल जाति ब्रहाम्ण उम्र 55वर्ष, निवासी जीवणमाता पुलिस थाना राणोली, जिला सीकर को दोषसिद्ध आरोप अंतर्गत धारा 498ए एवं 406 भा.द सं. के तहत तुरन्त सजा से दण्डित ना कर परीविक्षा अधिनियम की धारा 4 का लाभ दिया जाकर आदेश दिया जाता है.