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SPECIAL: नागौर को हराभरा बनाने के लिए वन विभाग का 'मिशन मानसून', 4.50 लाख पौधे लगाएगा, 1.85 लाख पौधों का वितरण होगा - राजस्थान की खबर

नागौर को हरा-भरा बनाने के लिए वन विभाग ने कमर कस ली है. 'मिशन मानसून' के जरिए विभाग की स्थायी और अस्थायी नर्सरियों में अलग-अलग प्रजातियों के लिए कुल 6.15 लाख पौधे तैयार किए हैं. साथ ही वन विभाग ने एक पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन भी तैयार किया है. जिससे लोग घर बैठे ही अपनी पसंद का पौधा बुक करवा सकेंगे. देखिए खास रिपोर्ट.

नागौर में मिशन मानसून, Mission monsoon in Nagaur
अभियान चलाकर पौधरोपण किया जाएगा

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Published : Jun 29, 2020, 3:40 PM IST

नागौर. नागौर को हरा-भरा बनाने के लिए वन विभाग ने कमर कस ली है. 'मिशन मानसून' के जरिए विभाग की स्थायी और अस्थायी नर्सरियों में अलग-अलग प्रजातियों के लिए कुल 6.15 लाख पौधे तैयार किए हैं. आगामी दिनों में मानसून के आगाज के साथ ही जिले भर में अभियान चलाकर पौधरोपण किया जाएगा. इसके लिए वन विभाग बीते तीन महीनों से तैयारी कर रहा है.

नागौर में मिशन मानसून की शुरुआत

नागौर जिले में वन विभाग की कुल 18 नर्सरी है. इनमें से 9 नर्सरी स्थायी और 9 अस्थायी हैं. जहां फलदार, छायादार और फूल वाले पौधे तैयार किए जा रहे हैं. इन 18 नर्सरियों में विभाग के कर्मचारियों ने कुल 6 लाख 15 हजार पौधे तैयार किए हैं. जिन्हें बारिश के मौसम में जिलेभर में लगाया जाएगा.

नागौर उपवन संरक्षक ज्ञानचंद ने बताया कि स्थायी नर्सरियों में 1.85 हजार पौधे तैयार किए गए हैं. ये पौधे बारिश के मौसम में आमजन, सामाजिक और विभिन्न संस्थाओं को जिलेभर में लगाने के लिए वितरित किए जाएंगे. जबकि 9 अस्थायी नर्सरियों में फलदार और छायादार के 4.50 लाख पौधे तैयार किए गए हैं. ये पौधे विभागीय वृक्षारोपण के तहत जिलेभर में लगाए जाएंगे. वन विभाग के पास सर्वाधिक वन भूमि कुचामन और परबतसर इलाके में है. इसलिए इन दोनों रेंज में बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा पौधे लगाए जाएंगे.

1.85 लाख पौधों का वितरण करेगा वन विभाग

सड़कों के किनारे लगाए जाएंगे 30 हजार से ज्यादा पौधेः

उपवन संरक्षक ज्ञानचंद ने बताया कि इस बार जिले में 151 आरकेएम (रनिंग किलोमीटर) में पौधे लगाने का अतिरिक्त लक्ष्य भी मिला है. इसके तहत जिलेभर में ऐसी सड़कों को चिह्नित किया गया है, जिनके किनारे पेड़ नहीं हैं या कम हैं. इस बार बारिश के मौसम में ऐसी सड़कों के किनारे करीब 151 किलोमीटर में पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया है. जानकारी के अनुसार, सड़क पर पौधे लगाते समय दो पौधों में कम से कम 10 मीटर की दूरी रखी जाती है. इस हिसाब से 151 आरकेएम में सड़कों के किनारे 30 हजार से ज्यादा पौधे लगाकर उनकी सार-संभाल की जाएगी. ताकि वे पेड़ बनकर यात्रियों को छाया देते रहें.

पोध वितरण के लिए वन विभाग ने तैयार करवाया मोबाइल एप्लीकेशन

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घर और बगीचों में लगाने के लिए भी तैयार किए गए हैं पौधेः

वन विभाग की ओर से विभागीय स्तर पर किए जाने वाले पौधरोपण के लिए खास तौर पर छायादार और फलदार पौधे तैयार किए गए हैं. इनमें नीम, पीपल, शीशम, करंज आदि के पौधे शामिल हैं. जबकि घरों और बगीचे में लगाने के लिए भी खासतौर पर अलग-अलग किस्म के पौधे तैयार किए गए हैं. इनमें बोगनवेलिया और गुड़हल प्रमुख हैं. इसके अलावा बगीचे में लगाने के लिए फलदार पौधे भी जिलेभर की नर्सरियों में तैयार किए गए हैं.

वन विभाग मिशन मानसून के तहत लगाएगा 4.50 लाख पौधे

पौधरोपण के लिए मनरेगा मजदूर बना रहे हैं रिंगपिटः

सरकारी स्तर पर किए जाने वाले पौधरोपण के तहत बड़े पैमाने पर मनरेगा के तहत भी पौधरोपण किया जाता है. सड़क के किनारे पौधे लगाने के लिए जिलेभर में मनरेगा मजदूर खास तौर पर रिंगपिट बना रहे हैं. यह एक खास संरचना होती है. जिसमें वृत्ताकार दो गड्ढे एक साथ बनाए जाते हैं. इस आकृति के बीचों बीच एक छोटा गड्ढा बनाया जाता है. जिसमें पौधा लगाया जाता है. रिंगपिट में पौधे लगाने के दो फायदे हैं, पहला बारिश का पानी रिंगपिट के बड़े गड्ढे में इकट्ठा हो जाता है. इससे पौधा जल्दी पनपता है और पानी की कमी के चलते पौधे के खराब होने की संभावना कम रहती है. दूसरा गाय और भेड़-बकरी जैसे पशुओं से भी पौधे की सुरक्षा रहती है. क्योंकि बड़ा गड्ढा पार करके पौधे तक पहुंचना इन पशुओं के लिए कठिन होता है.

पोर्टल के माध्यम से बुक कर सकेंगे पौधेः

अपने घर, बगीचे और घर के आसपास पेड़-पौधे लगाने का शौक रखने वाले लोगों को कोरोना काल में पौधे लेने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. इसके लिए वन विभाग ने इस बार एक अनूठी पहल की है. इससे तकनीक का इस्तेमाल करके पर्यावरण प्रेमी घर बैठे ही यह पता कर सकेंगे कि उनकी पसंद का पौधा कौनसी सरकारी नर्सरी में उपलब्ध है. दरअसल, वन विभाग ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर एक पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन भी तैयार किया है. इसका नाम FMDSS (forest managment and desicion support system) है.

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इस मोबाइल एप्लीकेशन और पोर्टल की मदद से आमजन घर बैठे ही पता कर सकते हैं कि किस नर्सरी में कौनसे पौधे उपलब्ध हैं या उनकी पसंद का पौधा किस सरकारी नर्सरी में मिल सकता है. इसके साथ ही इसकी मदद से आमजन अपनी पसंद के पौधे घर बैठे ही बुक भी कर सकेंगे. वन विभाग की ओर से पोर्टल पर नियमित रूप से नर्सरी के पौधों से जुड़े आंकड़े भी अपडेट किए जाएंगे. इससे घर बैठे ही यह भी पता लग जाएगा कि किसी खास किस्म के कितने पौधे नर्सरी में उपलब्ध हैं. बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे का पौधरोपण की मुहिम पर असर नहीं हो, इसी मकसद से यह सुविधा शुरू की गई है.

पौधरोपण और पर्यावरण संरक्षण को लेकर नागौर जिले के लोग वैसे तो काफी पहले से ही जागरूक हैं. लेकिन हाल ही के कुछ सालों में युवाओं का इस दिशा में जुड़ाव बढ़ा है. इसी का परिणाम है कि अब युवा अपने-अपने गांवों में समूह बनाकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक कर रहे हैं और घर-घर जाकर पौधे भी बांट रहे हैं. सरकारी प्रयास और ऐसे युवाओं की मेहनत का ही परिणाम है कि बीते सालों में नागौर में पौधे लगाने और उनकी देखभाल कर उन्हें पेड़ बनाने का चलन बढ़ा है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि नागौर के रेतीले टीलों को हरा-भरा बनाने का सपना जल्द पूरा होगा.

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