नागौर.आगेकुआं पीछे खाई वाली कहावत, इन दिनों किसानों की परिस्थिति पर सटीक बैठती है. किसान इन दिनों दोहरी समस्या से जूझते नजर आ रहे हैं. दरअसल, खरीफ की फसल में शामिल गेहूं, इसबगोल और जीरा की फसल होली के आसपास पककर तैयार हो जाती है. होली के बाद फसल की कटाई की जाती है.
लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कहर से संपूर्ण देश में लॉक डाउन की स्थित है. ऐसे में खेत में खड़ी फसलों की कटाई के लिए मजदूर मिलना मुश्किल हो गए हैं. देश भर में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन का एलान हुआ तो किसानों ने अपने स्तर पर ही पकी फसलों की कटाई का मानस बनाया.
कोरोना और बेमौसम बारिश के कारण बेबस किसान लेकिन इंद्र देव ने इस पर भी पाबंदी लगा दी और बेमौसम बारिश एक बार फिर किसानों के लिए सबसे बड़ा दुश्मन साबित हुआ. बीती रात से जिले के अलग-अलग इलाकों में आंधी और बारिश का दौर चल रहा है.
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इधर, पकी-पकाई फसल के खराब होने का अंदेशा और चार महीने की मेहनत पर पानी फिरने के डर से एक बार फिर किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं. बता दें कि पिछले दिनों भी बारिश और ओलावृष्टि के कारण नागौर के साथ ही प्रदेश भर में फसलों को काफी नुकसान हुआ था. तब सरकार ने 15 दिन में विशेष गिरदावरी करवाने के आदेश भी जारी किए थे.