नागौर. नगर परिषद के कंधों पर शहरी क्षेत्र में पेयजल सप्लाई का जिम्मा आने के बाद, कई दावे किए गए थे, लेकिन नगर परिषद की ओर से की जा रही सप्लाई व्यवस्था में कई खामियां सामने आने के बाद हाल ही में गठित नए बोर्ड के निर्वाचित पार्षदों के लिए वार्ड मे पेयजल व्यवस्था जी का जंजाल बन गई है.
जहां नागौर शहर में आए दिन कई वार्ड में पेयजल संकट के चलते पार्षद कई बार विरोध जताने के बाद जिला प्रशासन और नगर परिषद के पार्षदों के बीच चार दौर की बैठक हो चुकी है, लेकिन हर बार बैठक का नतीजा सिफर ही आया है. नागौर नगर परिषद के हाथ में पेयजल सप्लाई का जिम्मा आने के बाद बड़े-बड़े दावे किए गए थे. कहा गया था कि जलदाय विभाग से बेहतर तरीके से आमजन को फायदा पहुंचाने वाला काम किया जाएगा, पर हकीकत में ये दावे फेल साबित हुए है. नए बोर्ड के लिए ये व्यवस्था अब जी का जंजाल बन गई है.
पेयजल वितरण कराने वाली टीम के सामने शहर के 60 वार्ड में से ज्यादातर में बार-बार लीकेज, अमृत योजना के तहत वार्ड में पाइपलाइन बिछाने का कार्य समय पर करवाने जैसी चुनौतियां सामने आ रही है. नागौर नगर परिषद की तरफ से जलापूर्ति व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए लगातार प्रयास तो किए जा रहे हैं, लेकिन अमृत योजना के तहत पेयजल सिस्टम को लेकर पार्षद सवाल उठा रहे है.