राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

पारे के चढ़े तेवर ने घटाई कपास की बुवाई...मानसून का इंतजार

गर्मी के तीखे तेवर का असर जिले की खेती पर भी पड़ता नजर आ रहा है. जहां आमतौर पर जून के प्रारंभ में 45 से 50 हैक्टेयर तक कपास की बुवाई हो जाती थी, वहीं इस बार यह आंकड़ा 30 हजार हैक्टेयर को भी पार नहीं कर पाया है.

By

Published : Jun 11, 2019, 4:59 PM IST

पारे के चढ़े तेवर ने घटाई कपास की बुवाई...मानसून का इंतजार

नागौर. जिले भर के बाशिंदे तेज गर्मी और लू के थपेड़ों से परेशान हैं. तपती धरती और आग उगलते आसमान के चलते सड़क से लेकर खेतों तक सन्नाटा पसरा हुआ है. नागौर में इस साल पारे के लगातार 45 डिग्री से ऊपर रहने के कारण खेतों में अब तक बुवाई भी कम हुई है.

पारे के चढ़े तेवर ने घटाई कपास की बुवाई...मानसून का इंतजार

कृषि विभाग के उपनिदेशक हरजीराम चौधरी ने बताया कि आमतौर पर जिले में 45 हजार से 50 हजार हैक्टेयर में कपास की बुवाई होती है. लेकिन इस बार अभी तक महज 30 हजार हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई हो पाई है. इसके साथ ही मूंगफली की बुवाई का आंकड़ा तो 100 हैक्टेयर की सीमा भी पार नहीं कर पाया है.

उनका कहना है कि जिलेभर में पिछले कई दिनों से पारा लगातार बढ़ा हुआ है. ऐसे में किसानों को डर है कि बोया हुआ बीज जल न जाए. इसके चलते अभी तक उम्मीद के अनुरूप बुवाई नहीं हुई है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि मानसून की बारिश के साथ ही जिलेभर में फसलों की बुवाई रफ्तार पकड़ेगी. इधर जायद की फसलों के रूप में किसानों ने ज्वार चरी की 200 हैक्टेयर में और बाजरा चरी की 550 हैक्टेयर में बुवाई की है. जबकि सब्जियों की बुवाई करीब 350 हैक्टेयर में की गई है.

आपको बता दें कि जिले के मेड़ता रोड, खजवाना, मूंडवा, रूण कुचामन, रियांबड़ी और खींवसर इलाके में ट्यूबवेल हैं. जहां किसान कपास और मूंगफली जैसी सिंचित फसलों की पैदावार करते हैं. जबकि जिले के अधिकांश किसान खेती के लिए बारिश पर ही निर्भर रहते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details