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ETV भारत Exclusive : बेनीवाल के लिए हो सकती है वर्चस्व की लड़ाई, हमारी तो 3 पीढ़ियां क्षेत्र की सेवा में : हरेंद्र मिर्धा - प्रत्याशी नारायण बेनीवाल

राजस्थान में दो सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान 21 अक्टूबर को होगा और मतगणना 24 अक्टूबर को की जाएगी. ऐसे में खींवसर से कांग्रेस ने हरेंद्र मिर्धा को चुनावी मैदान में उतारा है, तो भाजपा-रालोपा गठबंधन के प्रत्याशी नारायण बेनीवाल हैं. दोनों की प्रत्याशी अपने-अपने चुनावी प्रचार में जुट गए है. चुनाव प्रचार के दौरान ईटीवी भारत से कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र मिर्धा ने खास बातचीत की.

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Published : Oct 12, 2019, 3:46 PM IST

खींवसर (नागौर).राजस्थान में दो सीटों पर उपचुनाव है. खींवसर और मंडावा विधानसभा में जहां सत्ताधारी दल कांग्रेस की प्रतिष्ठा इन चुनावों में दांव पर होगी. तो वहीं भाजपा इस पर दोबारा से भगवा फहराने के लिए कसरत कर रही है. खींसवर विधानसभा सीट पर जहां भाजपा- रालोप गठबंधन प्रत्याशी नारायण बेनीवाल मैदान में है तो कांग्रेस ने हरेंद्र मिर्धा पर दाव खेला है. कांग्रेस प्रत्याशी अपने चुनावी प्रचार में जुट गए है. ऐसे में ईटीवी भारत ने उनसे चुनाव सहित कई मुद्दों पर बात की.

(पार्ट-1) खींवसर से कांग्रेस प्रत्यााशी हरेंद्र मिर्धा से बातचीत

स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर जीते जाते चुनाव: मिर्धा
खींवसर में प्रचार के दौरान ईटीवी भारत से खास बात करते हुए हरेंद्र मिर्धा ने कहा कि परिसीमन से पहले यह सीट मूंडवा होती थी. जो कांग्रेस का गढ़ रही थी और वह खुद ही सीट से चुनाव जीते थे. यहां के स्थानीय भी हैं. ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस ही जीतेगी. वहीं सरकार के काम के आधार पर जीत की बात पर उन्होंने कहा कि पहले कि उपचुनाव का रिकॉर्ड देखा जाए तो साफ है कि उपचुनाव केवल सरकार के नाम पर आधार पर नहीं बल्कि स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर जीते जाते हैं. वैसे भी राजस्थान में सरकार बने केवल 9 महीने का समय हुआ है. जिसमें ज्यादातर समय दो आचार संहिता में चला गया. ऐसे में इन सीटों के परिणामों को सरकार का रेफरेंस नहीं माना जा सकता है.

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वर्चस्व की लड़ाई हर चुनाव में होती है: मिर्धा
मिर्धा ने लगातार तीन बार इस सीट पर कांग्रेस के चुनाव हारने पर कहा कि यह सिर्फ पहले कांग्रेस का गढ़ रही थी. लेकिन जातिगत समीकरणों के बिगड़ जाने से सीट पर जो त्रिकोणीय मुकाबला हुआ. उसमें कांग्रेस को नुकसान रहा. लेकिन अब की बार दोनों ही उम्मीदवार एक कास्ट के हैं और चुनाव आमने सामने का है. ऐसे में कांग्रेस को सीधा फायदा होगा. मिर्धा परिवार और बेनीवाल परिवार के बीच नागौर में वर्चस्व की लड़ाई के सवाल पर हरेंद्र मिर्धा ने कहा की वर्चस्व की लड़ाई हर चुनाव में होती है. इसमें भी है. मिर्धा परिवार यहां तीन पीढ़ियों से है. ऐसे में कई बार एंटी एस्टेब्लिशमेंट हो जाने के चलते हमें कुछ चुनाव में हार मिली. लेकिन हार का मार्जिन कभी इतना नहीं रहा कि कहा जा सकें कि जनता हमें नकार रही है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों से हमारा हमेशा प्रेम रहा है और जनता भी उन्हें प्रेम देती रही है. मिर्धा ने कहा कि सर्वाइवल की लड़ाई तो सामने वाली पार्टी के लिए है. हमारी तो तीन पीढ़ियां क्षेत्र में सेवा कर रही है. इसी के चलते कांग्रेस ने सोच-समझकर यह टिकट मुझे दिया है.

(पार्ट-2) खींवसर से कांग्रेस प्रत्यााशी हरेंद्र मिर्धा से बातचीत

स्टेट पॉलिटिक्स से अनुच्छेद 370 का कोई लेना देना नहीं: मिर्धा
वहीं अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर चुनाव होने की बात पर उन्होंने साफ इनकार करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के हटाए जाने का स्टेट पॉलिटिक्स से कोई लेना देना नहीं है, यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है और क्योंकि यह राष्ट्रीय हित से जुड़ा था तो इस पर कांग्रेस ने भी अपना समर्थन दिया. वहीं इन उपचुनाव में यह भी कहा जा रहा है कि अगर हरेंद्र मिर्धा चुनाव जीते हैं तो ऐसे में उन्हें मंत्री भी बनाया जा सकता है. लेकिन हरेंद्र मिर्धा ने इस बात पर कहा कि मंत्री कौन होगा यह केवल मुख्यमंत्री का क्षेत्राधिकार है. वहीं राजस्थान में कांग्रेस में अंतर कलह और खींवसर में भी अंतर कलह के सवाल के जवाब में मिर्जा ने साफगोई से कहा कि अंतर्गत हर पार्टी में होता है. यह तो हर परिवार यहां तक कि पति-पत्नी में भी आपसी झगड़े हो जाते हैं और हम राजनीति में हैं. इसमें महत्वाकांक्षा होती है. अलग-अलग क्लास होती है इंटरेस्ट और पर्सनालिटी होती है. लेकिन इसे गलत नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि पार्टी में अगर छोटी मोटी नाराजगी आपस में होती है तो इसका मतलब साफ है कि क्षेत्र में पार्टी जिंदा है.

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हमारी डिमांड कर पार्टी तुरंत भेज रही नेता: मिर्धा
वहीं एक ओर जहां रालोप के पक्ष में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और भाजपा के दिग्गज नेता लगातार कैंप और प्रचार करने में जुटे हैं और उनकी पार्टी के बड़े नेता अब तक खींवसर नहीं आए हैं. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि दोनों सीटें कांग्रेस अपनी विचारधारा कांग्रेस लीडरशिप जो राजस्थान और केंद्र में है. उनके विजन के आधार पर जीतेगी, लेकिन स्टार प्रचार को और बड़े नेताओं के नहीं आने पर उन्होंने कहा कि स्थानीय नेताओं की यहां पर सबसे ज्यादा जरूरत है. जो नेता इस सीट पर चुनाव लड़े, जिनका यहां प्रभाव है. वह सब नेता एक साथ मिलकर खींवसर में प्रचार कर रहे हैं. इस सीट पर चुनाव लड़े सवाई सिंह उनके साथ है. नागौर से लोकसभा का चुनाव लड़ी ज्योति मिर्धा भी उनके साथ प्रचार कर रही हैं. बाकी नेता यहां आकर कुछ खास योगदान दे नहीं सकते और किसी जाति विशेष के नेता या प्रभावशाली नेता कि हम डिमांड कर रहे हैं तो पार्टी उसे तुरंत भेज भी रही है.

(पार्ट-3) खींवसर से कांग्रेस प्रत्यााशी हरेंद्र मिर्धा से बातचीत

18 साल के युवा को वोट देने का अधिकारी कांग्रेस ने दिलाया: मिर्धा
उधर, चुनाव युवाओं और तजुर्बे के बीच हो रहा है इस सवाल के जवाब पर हरेंद्र मिर्धा ने कहा कि 18 साल के युवा को वोट देने का अधिकार देने वाली कांग्रेस पार्टी ही थी. आज के युवाओं को सोशल मीडिया के दुरुपयोग के चलते पता नहीं है कि देश की आजादी के लिए कांग्रेस ने क्या योगदान किया. युवाओं को केवल बरगलाया जा रहा है. लेकिन अब की बार खींवसर का युवा यह बात समझ रहा है और तजुर्बे के साथ ही यंग जनरेशन का भी उन्हें पर्याप्त सहयोग मिल रहा है. जिसके चलते कांग्रेस सीट पर चुनाव जीतेगी.

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सीएम और डिप्टी सीएम में परफेक्ट कांबिनेशन: मिर्धा
वहीं मिर्धा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ सचिन पायलट के बीच चल रहे शीतयुद्ध को भी केवल मीडिया की उपज बताते हुए कहा कि दोनों नेता परफेक्ट कांबिनेशन के साथ काम कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस सरकार पूरी तरीके से एकजुट है. वहीं इस मुकाबले पर उन्होंने कहा कि हर चुनाव में मुकाबला होता है चाहे वह सरपंच का हो पार्लिमेंट का हो या विधानसभा का. क्योंकि चुनाव में उन्हें लोगों से डील करना होता है. जो दिन में 4 बार अपना मूड बदलते हैं. वह कई बात पर इंप्रेस भी होते हैं तो कई बात पर नाराज भी. ऐसे में इस सीट पर जीतेगी कांग्रेस लेकिन मार्जिन कितना होगा. इसे लेकर वह अभी कुछ कह नहीं सकते.

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