नागौर. केंद्र की मोदी सरकार की ओर से बनाए गए कृषि संबंधी कानूनों के प्रदेशव्यापी विरोध के तहत सोमवार को नागौर जिला कांग्रेस कमेटी ने विरोध दर्ज किया है. हांलाकि कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे के मद्देनजर जिला मुख्यालय पर लागू धारा 144 के चलते चुनिंदा पदाधिकारी कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां विरोध प्रदर्शन करते हुए कलेक्टर को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा.
कृषि संबंधी विधेयक के खिलाफ सौंपा ज्ञापन जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जाकिर हुसैन गैसावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह कानून किसानों के लिए काला कानून है. इनके माध्यम से सरकार ने किसानों का हक मारकर बड़े व्यापारियों की जेब भरने का रास्ता तैयार किया है. उनका कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए कानूनों को भाजपा और केंद्र सरकार किसान हितैषी बताकर प्रचार कर रही है. जबकि वास्तव में यह कानून किसानों के हितों पर कुठाराघात है.
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उन्होंने कहा कि इन कानूनों के लागू होने के बाद किसानों को किसी भी फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा नहीं मिल पाएगा. साथ ही सरकार की ओर से जरूरतमंद लोगों को दिए जाने वाले खाद्यान्न का भी संकट हो जाएगा. बड़े औद्योगिक घराने मनमर्जी से किसान की फसल का रेट और मापदंड तय करेंगे जो सीधे-सीधे किसानों के हितों को प्रभावित करेगा.
यही कारण है कि देशभर के किसान वर्ग इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भाजपा के सहयोगी अकाली दल ने भी विरोध दर्ज किया है और हरसिमरत कौर ने मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया है. जिलाध्यक्ष गैसावत ने केंद्र सरकार पर निजीकरण को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया और कहा कि देश की जनता की मेहनत की कमाई से खड़े किए रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डों का भी मोदी सरकार निजीकरण कर रही है.