कोटा. कोविड-19 के इस दौर में कई लोगों का रोजगार चला गया, साथ ही काम-धंधा नहीं चलने के चलते लोग आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं. ऐसे लोगों के लिए दूसरे लोग राशन या भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं. ऐसी ही एक संस्था स्वामी शांति प्रकाश सेवा समिति है, जो कि बीते 3 सालों से विधवा महिलाओं के लिए राशन की व्यवस्था कर रही है.
दरअसल, समिति के सदस्यों ने यह अभियान 2018 में शुरू किया था, जिसके बाद अब इस अभियान के तहत करीब 150 महिलाओं के लिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम की तरह ही राशन की व्यवस्था की जा रही है. हर महीने के पहले रविवार को इन महिलाओं को राशन मिल जाता है, जिससे कि वह अपना पूरा महीना चला सकें. यह राशन का पूरा खर्चा भी लोग अपनी स्वेच्छा से ही एकत्रित करते हैं. साथ ही जिन विधवा महिलाओं को यह राशन दिया जाता है, उनके बाकायदा स्वामी शांति प्रकाश सेवा समिति के सदस्यों ने एक राशन कार्ड भी बनाया हुआ है. उस राशन कार्ड में भी इनको दिए गए राशन की एंट्री की जाती है. इसके साथ ही एक पूरा रजिस्टर बनाया हुआ है, जिनमें महिलाओं के फोटो सहित पूरी जानकारी चस्पा की हुई है. इस राशन कार्ड के जरिए ही उन्हें हर महीने राशन उपलब्ध करा दिया जाता है जो कि महीने भर चलता है.
शुरुआत में 50 से 60 महिलाएं थीं, अब 150 पहुंची संख्या...
स्वामी शांति प्रकाश सेवा समिति के अध्यक्ष ओम आडवाणी का कहना है कि जब अभियान हाथ में लिया था, तब करीब 50 से 60 विधवा महिलाएं इसमें जुड़ी थीं, जो कि गरीब तबके की हैं और उन्हें अपने पति के चले जाने के बाद भोजन के लिए भी दिक्कत हो रही थी. ऐसे में अभियान को हाथ में लेते हुए उन्होंने शुरुआत की और धीरे-धीरे यह संख्या बढ़कर अब 150 के आसपास पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि अभी भी ज्यादा संख्या बढ़ने पर उन्हें कोई चिंता नहीं होगी, क्योंकि वह इस अभियान को लंबे समय तक संचालित करेंगे. ओम आडवाणी का यह भी कहना है कि अब यह अभियान एक व्यवस्था ही बन गया है, जिसके तहत हर माह के पहले रविवार को महिलाओं को पूरे महीने का राशन पहुंचा दिया जाता है.
एप्लीकेशन पर पूरी जांच, उसके बाद बनता है राशन कार्ड...
सरकारी सिस्टम में जिस तरह से राशन कार्ड बनाने के पहले पूरी पूछ परख की जाती है और अधिकारी ही उसे बनाता है. जिन लोगों का खाद्य सुरक्षा में नाम होता है, उन्हें ही राशन मिलता है. इसी तरह से स्वामी शांति प्रकाश सेवा समिति के पास भी विधवा महिलाओं के परिजनों के द्वारा एप्लीकेशन आती है. उस एप्लीकेशन पर कमेटी निर्णय करती है, साथ ही घर पर जाकर वस्तु स्थिति भी देखी जाती है और संतुष्ट होने पर महिला का राशन कार्ड बना दिया जाता है. रजिस्टर में उसका इंद्राज भी किया जाता है. इस राशन कार्ड के जरिए ही उन्हें हर महीने राशन मिलता है. जब यह राशन कार्ड भर जाता है, तो नया राशन कार्ड उन्हें जारी कर दिया जाता है.