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मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के नीचे से गुजरेगी 8 लेन अत्याधुनिक टनल..5 KM की टनल में न मोबाइल नेटवर्क जाएगा, न FM बंद होगा

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Published : Oct 8, 2021, 7:35 PM IST

Updated : Oct 8, 2021, 9:54 PM IST

भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बन रहा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे कोटा जिले में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से होकर गुजर रहा है. वन्यजीव इस प्रोजेक्ट से प्रभावित न हों, इसके लिए यहां से 8 लेन की ट्विन टनल बनाई जा रही है, रिजर्व की पहाड़ियों के नीचे से करीब 5 किलोमीटर तक गुजरने वाली यह देश की पहली 8 लेन टनल होगी. टनल को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार किया जा रहा है.

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व  दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे टनल
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे टनल

कोटा. भारत माला प्रोजेक्ट के तहत मुकुंदरा हिल्स में बन रही टनल की निर्माता फर्म का दावा है कि 100 साल तक इस टनल की गारंटी रहेगी. टनल में मोबाइल नेटवर्क और रेडियो फ्रीक्वेंसी तक उपलब्ध होगी. यानी 5 किमी लंबी इस टनल में न तो एफएम रेडियो बंद होगा और न ही मोबाइल.

इसके लिए टनल में नेटवर्क बूस्टर लगाए जाएंगे. पोल्यूशन कंट्रोल के लिए भी सेंसर होंगे, जिनके जरिए खतरनाक गैसों को वेंटीलेशन सिस्टम के जरिए बाहर निकाला जाएगा. ईटीवी भारत देश की पहली बार आठ लेन की ट्विन टनल के बारे में वह सब जानकारी आप तक उपलब्ध करा रहा है, जिसे जानकर आपकी रूचि इस खास प्रोजेक्ट में बढ़ जाएगी.

भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बन रही हाईफाई टनल

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की कंसलटेंट फर्म इंटरकॉन्टिनेंटल कंसल्टेंट्स एंड टेक्नोक्रेट्स प्राइवेट लिमिटेड के टीम लीडर और सीनियर टनल एक्सपर्ट एलपी साहू ने टनल के बारे में खास जानकारियां दीं. इसका निर्माण मध्यप्रदेश की कंपनी दिलीप बिल्डकॉन कर रही है. एलपी साहू का कहना है कि देश में अब तक जितनी भी टनल बनी हैं, उनमें से इस टनल में सबसे बेस्ट फैसिलिटीज उपलब्ध होंगी. पूरा वेंटीलेशन, फायर फाइटिंग, स्काडा कंट्रोल, गैस मॉनिटरिंग, पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम, मोबाइल नेटवर्क सिग्नल, एफएम फ्रिकवेंसी बूस्टिंग सिस्टम सहित मॉडर्न टनल में जो होना चाहिए, वह सब कुछ इसमें होगा. क्वालिटी को इस कदर कंट्रोल रखा गया है कि इसकी 100 साल की गारंटी ली गई है.

ड्रिलिंग और ब्लास्टिंग तकनीक से बनेगी ट्विन टनल

भारत माला प्रोजेक्ट के तहत इस टनल का काम मंडाना के बाद उम्मेदपुरा गांव से शुरू होगा, ताकली रिवर के नजदीक से नयागांव जागीर पर काम खत्म होगा. इस प्रोजेक्ट में 8.3 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे में 4.9 किलोमीटर के हिस्से में टनल बनाई जा रही है. इस प्रोजेक्ट की लागत 1000 करोड़ रुपए है. इसका निर्माण टनल के दोनों हिस्सों पर शुरू हो गया है. पहाड़ियों और जमीन को काट कर यह सुरंग ड्रिलिंग व ब्लास्टिंग तकनीक से बनाई जाएगी. यह दो हिस्सों में 38 मीटर चौड़ी होगी. इसमें आने और जाने का प्रत्येक हिस्सा 19 मीटर का है. साथ ही बीच में 30 मीटर का चट्टानी व जमीनी भू-भाग छोड़ा जाएगा.

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टनल की ऊंचाई 10 मीटर से ज्यादा होगी. इसमें 5.5 मीटर वाहनों के निकलने के लिए क्लियरेंस का रास्ता होगा. बाकी ऊंचाई की जगह पर टनल की सेफ्टी और अन्य सुविधाओं को देखते हुए उपकरण स्थापित किए जाएंगे. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में पहाड़ी एरिया काफी ज्यादा है, ऐसे में इस पहाड़ी एरिया में जहां सुरंग बनेगी, वहां पर 50 से 200 मीटर ऊंचाई तक पहाड़ हैं.

निर्माण कंपनी करेगी 5 साल मेंटेन, 100 साल की गारंटी भी

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व एरिया में बन रही टनल का निर्माण दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड कर रही है. कंपनी को इसके निर्माण के लिए 2024 जनवरी तक का समय मिला है. निर्माण करवा रहे कंसलटेंट का कहना है कि दिसंबर 2023 तक ही इसको पूरा करवा दिया जाएगा. इसके 5 साल तक दिलीप बिल्डकॉन ही टनल का रखरखाव की जिम्मेदारी भी संभालेगा, यह टेंडर की शर्तों में शामिल है. पहले टनल करीब 3.6 किलोमीटर लंबी बनाई जा रही थी, इसके एंट्री और एग्जिट पर ऊंची बाउंड्री वॉल के साथ डेडीकेटेड रास्ता बनाया जा रहा था. लेकिन बाद में इसे भी एनिमल ओवरपास की तरह टनल में बदल दिया गया है. इससे दोनों तरफ टनल की लंबाई 500-500 मीटर बढ़ गई है. यानी टनल मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के 500 मीटर पहले से शुरू होगी और रिजर्व खत्म होने के 500 मीटर बाद तक रहेगी.

पॉल्यूशन फ्री होगी पूरी टनल

टनल एक्सपर्ट एलपी साहू का मानना है कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण में नाइट्रोजन कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर सहित अन्य कई खतरनाक गैसें निकलती है. सुरंग 5 किलोमीटर लंबी है, इसमें हार्मफुल गैसों का जमाव हो सकता है. ऐसे में टनल में ऐसे सेंसर लगाए जा रहे हैं जो प्रदूषण के खतरनाक लेवल पर जाने पर एक्टिव हो जाएंगे. इसके बाद ऑटोमेटिक सिस्टम हार्मफुल गैसों को टनल से बाहर निकालना शुरू कर देगा. टनल में फायर सेफ्टी सिस्टम भी लगाया जाएगा.

ट्विन टनल का प्रतीकात्मक रूप

9 इमरजेंसी एक्जिट, 4 टनल ले-बाय

अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए ट्विन टनल को 9 जगह से इंटरकनेक्ट किया जा रहा है. इन 9 जगह इमरजेंसी एक्जिट (क्रॉस पैसेज) भी टनल में बनाए जा रहे हैं. इसके साथ ही 4 टनल ले-बाय भी होंगे. जहां लोग किसी भी स्थिति में रुक सकेंगे. साथ ही इमरजेंसी एग्जिट में अगर किसी भी तरह का फायर या अन्य दुर्घटना टनल के अंदर होती है, तो दूसरे रास्तों से ट्रैफिक को डायवर्ट कर दिया जाएगा. दूसरे रास्तों से इमरजेंसी के दौरान दमकल या एंबुलेंस जैसे जरूरी साधन भी पहुंचाए जा सकेंगे.

टनल में होगा लाइटिंग का लक्स लेवल

टनल में प्रवेश करते ही अंधेरा लगता है. ऐसे में शुरुआत में ज्यादा और फिर धीरे-धीरे कम होती लाइट लगाई जाएगी. एग्जिट के दौरान निकलते समय भी रोशनी थोड़ी ज्यादा होगी, जिससे वापस बाहर निकलने पर आंखों में किसी तरह का कोई धुंधलापन नहीं छाए. इसके लिए टनल में तीन हज़ार से ज्यादा लाइटें लगाई जाएंगी. कुछ लाइटों को सोलर से जलाया जाएगा. बाकी के लिए जनरेटर सेट स्थापित होंगे. टनल के दोनों सिरों पर 2500 केवीए के दो ट्रांसफार्मर होंगे.

वेंटिलेशन के लिए लगेंगे 200 से ज्यादा जेट फैन

टनल लंबी होने के कारण इसमें वेंटिलेशन की व्यवस्था भी उम्दा होगी. इसके लिए 200 के आसपास जेट फैन लगाए जा रहे हैं. इससे पॉल्यूशन कम होगा, एयर क्वालिटी बनी रहेगी और ऑक्सीजन की मात्रा भी अच्छी रहेगी. जेट फैन 30 से 50 मीटर की दूरी पर स्थापित किए जाएंगे.

पूरी तरह वाटरप्रूफ, सीपेज को निकालने की व्यवस्था

टनल में सीपेज की कोई प्रॉब्लम नहीं होगी. टनल के भीतरी सरफेस को वाटर प्रूफ बनाया गया है. पहाड़ों या टनल के ऊपर के हिस्से से रिसकर पानी आ भी जाता है तो टनल के अंदर पानी का जमाव नहीं होगा. टनल के भीतरी सरफेस के ऊपर से एक ड्रेनेज सिस्टम इस तरह से बनाया गया है, ताकि वहां आने वाले पानी को ड्रेन के जरिए टनल के बाहर निकाला जा सके. यह इंटरनल सिस्टम होगा. कंपनी का दावा है कि टनल के भीतर एक बूंद भी पानी नहीं आएगा.

स्काडा के तहत होगा डाटा मैनेजमेंट सिस्टम

टनल की सिक्योरिटी से लेकर एंट्री से लेकर एक्जिट तक सब कुछ कंट्रोल्ड सिस्टम के जरिए होगा. इसके लिए स्काडा यानी सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन सिस्टम स्थापित किया जा रहा है. वाहनों की काउंटिंग, उनकी गिनती, उनकी ऊंचाई, हर चीज की मॉनिटरिंग की जाएगी. इसका पूरा डेटाबेस तैयार होगा. वीडियो सर्विलेंस सिस्टम के लिए भी पूरी टनल में 50 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए जाएंगे. जिनके लिए कंट्रोल्ड रूम भी टनल के नजदीक बनाया जाएगा. एनएचआई के दफ्तर में भी स्काडा और कैमरों की मॉनिटरिंग होगी.

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80 इंजीनियरों के साथ 500 से ज्यादा मजदूर करेंगे काम

टनल का निर्माण दोनों छोरों पर शुरू हो गया है. अभी इसमें 200 के करीब मजदूर लगाए जा रहे हैं. काम अपनी पूरी गति पर होगा तो 500 मजदूर लगाए जाएंगे. इसमें 100 से ज्यादा भारी मशीनरी उपयोग में ली जाएगी. 70-80 इंजीनियरों की टीम इस प्रोजेक्ट को मॉनीटर कर रही है. जिसमें एनएचएआई, कंसलटेंट फर्म और निर्माण में जुटी फर्म के अभियंता भी शामिल हैं.

टनल के बारे में फैक्ट्स

भारत माला प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे पर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व एरिया में बनेगी भूमिगत सुरंग, कोटा जिले के मंडाना के नजदीक उम्मेदपुरा से होकर ताकली रिवर के नजदीक नयागांव जागीर पर खत्म होगी. 8.3 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट में 4.9 किलोमीटर लंबी टनल बनेगी. टनल में वेंटीलेशन के लिए 200 से ज्यादा जेट फैन लगेंगे. रोशनी के लिए 3000 से ज्यादा लाइटें लगेंगी. 50 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों से मॉनिटरिंग होगी.

स्काडा सिस्टम के तहत वाहनों की मॉनिटरिंग होगी. मोबाइल नेटवर्क और एफएम फ्रिकवेंसी के लिए बूस्टर लगेंगे. प्रदूषण कंट्रोल के लिए सेंसर लगेंगे. 9 जगह क्रॉस पैसेज या इंटरकनेक्ट होगी. चार जगह इमरजेंसी टनल ले बाय टनल बनेंगी. 80 इंजीनियर, 100 भारी मशीनें, 500 से ज्यादा मजदूर काम करेंगे. टनल का काम शुरू हो चुका है, यह 2023 तक प्रोजेक्ट पूरा होने की उम्मीद है.

Last Updated : Oct 8, 2021, 9:54 PM IST

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