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कोटा नगर निगम: एजेंडे पर सहमत ना होने पर भाजपा पार्षदों का हंगामा, बोर्ड बैठक का किया बहिष्कार - kota mayor rajiv agrawal's first board meeting

कोटा नगर निगम बोर्ड की बैठक शुरू होने से पहले ही हंगामे की भेंट चढ़ गई. भाजपा पार्षदों ने एजेंडे में महापौर को शहर के विकास के लिए शक्तियां मिलने का बिंदु के न शामिल होने पर हंगामा करते हुए बैठक का बहिष्कर कर दिया.

rproar in kota nagar nigam board meeting, कोटा नगर निगम बोर्ड की बैठक
हंगामे की भेंट चढ़ी बोर्ड की बैठक

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Published : Jan 8, 2021, 5:40 PM IST

कोटा. नगर निगम कोटा दक्षिण में शुक्रवार को बोर्ड की बैठक आयोजित की गई थी. इसमें सभी भाजपा पार्षद गले में भगवा धारण कर आए. मास्क भी भगवा रंग का ही लगा रखा था. महापौर राजीव अग्रवाल ने जैसे ही बोर्ड की बैठक शुरू करने की घोषणा की. भाजपा पार्षदों ने एजेंडे पर आपत्ति जताते हुए हंगामा शुरू कर दिया. पार्षदों ने कहा कि निगम की पहली बैठक में बोर्ड की ओर से महापौर को शक्तियां दी जाती हैं, ताकि वह बैठक के बिना भी निर्णय ले सके और शहर के विकास से संबंधित कार्य करवा सके, लेकिन एजेंडे में इसे ही शामिल नहीं किया गया है.

कोटा नगर निगम बोर्ड बैठक में हंगामा

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि महापौर राजीव अग्रवाल खुद ही लेट आए हैं. जबकि बैठक शुरू होने के पहले ही अध्यक्ष को कुर्सी पर आसीन होना चाहिए. इस बात को लेकर हंगामा कर रहे पार्षदों का कांग्रेसी पार्षदों ने विरोध शुरू कर दिया और दोनों के बीच जमकर बहस हुई. भाजपा की तरफ से वरिष्ठ पार्षद योगेंद्र खींची ने एजेंडे पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वह इस एजेंडे पर मीटिंग के लिए सहमत नहीं है. जब पूरा एजेंडा हो तब ही बैठक में आएंगे और सभी भाजपा के पार्षदों ने एक साथ बैठक का बहिष्कार करते हुए बोर्ड बैठक से बाहर निकल गए.

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रोकने पर भी नहीं माने पार्षद

महापौर ने भाजपा के सभी पार्षदों को रोकने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने और बैठक छोड़कर चले गए. इसके बाद भी बोर्ड की बैठक जारी रही सबसे पहले कांग्रेसी पार्षदों का परिचय और उनका सम्मान किया गया. वहीं भाजपा पार्षदों का यह भी कहना था कि नगर निगम के पास अधिकारियों का अमला तो है, लेकिन इसमें एक भी समझदार नहीं है, जो बोर्ड बैठक के एजेंडे को तैयार कर सकें. एक भी अफसर नगर पालिका एक्ट का जानकार नहीं है.

कोटा नगर निगम बोर्ड की बैठक

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भाजपा पार्षद गोपाल राम मंडा ने कहा कि जो एजेंडा उन्हें भेजा गया था, वह आधा अधूरा है. उसमें कहीं भी महापौर को बोर्ड के द्वारा शक्तियां सौंपने का एजेंडा शामिल नहीं था. जिसके तहत वे शहर का विकास करवा सकें और बिना बोर्ड की बैठक के भी निर्णय ले सकें. ऐसा नए बोर्ड के निर्वाचन के 10 दिनों के अंदर हो जाना चाहिए था, लेकिन दो महीने बाद बैठक आयोजित की गई है लेकिन उसमें भी एजेंडा नहीं रखा गया. यह पूरी व्यवस्था ही रबड़ स्टैंप की तरह संचालित की जा रही है. इसमें महापौर मोहर हैं और वह रबर स्टैंप की तरह कार्य कर रहे हैं. मंडा ने यह भी कहा कि जब महापौर को शक्तियां ही नहीं मिली हैं तो बीते 2 महीने से वह क्या कार्य कर रहे हैं.

जब मीडिया ने मंडा से पूछा कि कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा पार्षदों के पास मुद्दे नहीं हैं, इसलिए बोर्ड बैठक का बहिष्कार कर रहे हैं. इस पर उन्होंने कहा कि सफाई व्यवस्था, रोड लाइट, गोशाला की जमीन यूआईटी वापस लेने जा रही है. संसाधन खरीदने के बाद भी अधिकांश कॉलोनियों में सफाई के लिए खरीदे गए टिपर नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे ढेरों मुद्दे हैं जिनके लिए उन्हें लड़ाई लड़नी है. इसके अलावा सफाई कर्मचारी उपलब्ध कराने में भी भाजपा पार्षदों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. थोड़ी सी बारिश में ही शहर की गलियां और सड़कों पर पानी जमा हो जाता है. ऐसे में 2 महीने में ही इस नए बोर्ड की स्थिति का पता चल गया है.

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