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सयुंक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के खिलाफ किया विरोध-प्रदर्शन, कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग

सयुंक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसानों ने बुधवार को विरोध-प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की.

सयुंक्त किसान मोर्चा ने किया प्रदर्शन, United Kisan Morcha protested
सयुंक्त किसान मोर्चा ने किया प्रदर्शन

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Published : May 26, 2021, 1:05 PM IST

कोटा. केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों का विरोध 6 महीने पहले शुरू हुआ था, वो अभी भी जारी है. इसके अवसर पर कोटा में भी सयुंक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसानों ने विरोध-प्रदर्शन किया.

सयुंक्त किसान मोर्चा ने किया प्रदर्शन

इस दौरान यह लोग एक दर्जन की संख्या में कलेक्टर पर पहुंचे थे. जहां पर इन किसान नेताओं ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. साथ ही उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग भी की.

किसान नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार ने चुनाव में फायदा लेने के लिए बड़ी बड़ी रैलियां की है. उसके चलते कोविड-19 का असर बढ़ गया है. तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में मोदी सरकार ने लाखों की संख्या में लोगों को रैली में बुलाया है. कुंभ मेले को भी अनुमति दी गई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और कोविड-19 का प्रसार हुआ है.

किसान मोर्चा के नेता दुलीचंद बोरदा का कहना है कि मोदी सरकार का रवैया किसान विरोधी है. इसके अलावा अंबानी अडाणी कॉरपोरेट समर्थक नीतियां देश में लागू की गई है. मोदी सरकार को 7 साल हो गए हैं. उनके खिलाफ पूरे देश में किसानों ने फैसला लिया है कि मोदी सरकार की नीतियां बर्दाश्त नहीं की जाएगी और किसान आंदोलन को तेज किया जाएगा. मोदी सरकार के समय देश के कारखानों को बेचा गया और निजीकरण किया गया है. यह देश के नौजवान और बेरोजगारों के साथ धोखा है, कोरोना महामारी में भी मोदी सरकार ने लापरवाही ही भर्ती है.

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किसान नेता दुलीचंद बोरदा ने कहा कि मोदी सरकार ने जब पहली लहर कोविड-19 की चल रही थी, तब लॉकडाउन लगाकर देश के मजदूर और फैक्ट्री वर्करों को परेशान किया. बाद में जब कोरोना वायरस फैल रहा था, तब उन्होंने लॉकडाउन खोल दिया गया. चुनावों में फायदा लेने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियां इन लोगों ने की है. साथ ही दूसरी लहर की तैयारी करने में मोदी सरकार विफल रही, इसी के चलते ऑक्सीजन नहीं मिलने अस्पतालों में मतभेद नहीं मिलने और इलाज से वंचित लोग रहे जिसके चलते ही मौत का ग्राफ बढ़ा है.

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