कोटा. कोरोना मरीजों को लगने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी जमकर हो रही है. ऐसे में कोटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को इस संबंध में एक सूचना मिली. जिसके बाद उन्होंने मरीज के परिजन बनकर इंजेक्शन बेचने वाले युवक से बात की और पुलिस के जरिए डिकॉय ऑपरेशन किया. जिसके बाद इस पूरे मामले का खुलासा कर दो भाइयों को गिरफ्तार किया है.
दोनों भाई यह मूलतः बूंदी और केशोरायपाटन इलाके के निमोदा गांव निवासी हैं, जो कोटा शहर के महावीर नगर इलाके में रह रहे थे. इनमें एक मनोज कुमार रैगर निजी अस्पताल में नर्सिंग कर्मी है, तो दूसरा राकेश कुमार रैगर मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के सामने निजी लैब में कार्यरत युवक है. पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि यह इंजेक्शन निजी अस्पताल में मरीज की मौत के बाद मनोज ने रख लिए थे.
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डॉ. सरदाना के अनुसार मेडिकल कॉलेज के अनुसार एक मरीज के परिजन ने शिकायत की थी कि उनका मरीज मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में भर्ती है, उससे बाहर से ही जांच करवाई जा रही है और दवाइयां भी बाहर से ही मंगवाई जा रही है. जिसके बाद खुद मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना ने फोन पर उस युवक से बातचीत की.
बातचीत में डॉ. सरदाना ने खुद को मरीज हीरालाल का परिजन रमेश बताया. लगातार तीन से चार बार हुई बातचीत में निजी लैब कार्मिक राकेश कुमार रैगर 20 हजार रुपए में दो इंजेक्शन देने के लिए तैयार हो गया. इस बारे में कोटा शहर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण जैन को डॉ. विजय सरदाना ने सूचना दी. जिसके बाद पुलिस एक्टिव हो गई.
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