कोटा. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने रामगढ़ विषधारी सेंचुरी को जून 2021 में टाइगर रिजर्व बनाने पर प्रारंभिक सहमति जता दी थी. इसकी प्रारंभिक स्वीकृति जारी की गई है. उपवन संरक्षक वन्यजीव कोटा का पूरा ऑफिस इस टाइगर रिजर्व की प्रस्तावना तैयार कर रहा है, ताकि इसका प्रस्ताव एनटीसीए को भेजा जाए और उस पर नोटिफिकेशन जारी हो.
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में कई बार रणथंभोर का टाइगर आते रहे हैं. इसे बाघों का जच्चा घर भी कहा जाता है. क्योंकि रणथंभोर से यहां अपने बच्चों का जन्म देने के लिए टाइग्रेस आती रही हैं. प्रस्तावित रामगढ़ टाइगर रिजर्व एक तरफ जहां पर रणथंभोर टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है. दूसरी तरफ, इसका एक हिस्सा जवाहर सागर के नजदीक मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को जोड़ रहा है. ऐसे में यह बाघों के लिए बिल्कुल मुफीद साबित होगा. रणथंभोर से मुकुंदरा तक टाइगर पहले भी आते जाते रहे हैं. ऐसे में उन्हें एक अच्छा संरक्षित कॉरिडोर मिलेगा.
बूंदी के साथ भीलवाड़ा का 1050 वर्ग किमी एरिया
तीन रिजर्व को जोड़कर तैयार किया जाएगा टाइगर कोरिडोर रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में रामगढ़ अभ्यारण का 309, बूंदी वन विभाग की 676 और भीलवाड़ा का 65 वर्ग किलोमीटर एरिया में शामिल होगा. इन्हें मिलाकर 1050 वर्ग किलोमीटर यह पूरा एरिया टाइगर रिजर्व बनेगा. कोटा के डीसीएफ वन्यजीव एएन गुप्ता का कहना है कि इस पूरे एरिया में प्रे-बेस बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. साथ ही ग्रास लैंड को भी विकसित किया जा रहा है. कैमरा ट्रैपिंग के साथ इस पूरे एरिया में वन्यजीवों का आकलन किया जा रहा है. दिल्ली के चिड़ियाघर के अलावा कई जगह से यहां पर सांभर व चीतल छोड़े गए हैं. बड़ी मात्रा में यहां पर पैंथर, लकड़बग्धा, सियार, लोमड़ी, भेडिया, भालू, जंगली सूअर, नीलगाय, सांभर, चीतल, चिंकारा, साही, मौजूद हैं.
2 नेशनल हाईवे 1 मेगा हाईवे, पूरे रिजर्व को उतार रहे नक्शे पर
डीसीएफ एएन गुप्ता ने बताया कि टाइगर रिजर्व के पूरे इलाके का सोशल इकोनामिक सर्वे भी किया जा रहा है. साथ ही रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के लिए नक्शे भी बनाए जा रहे हैं. जिनको एनटीसीए को भिजवाया जाएगा, ताकि फाइनल नोटिफिकेशन इसके लिए जारी हो. इस टाइगर रिजर्व के नजदीक से 2 नेशनल हाईवे गुजर रहे हैं. जिसमें नेशनल हाईवे नंबर 52 जयपुर से भोपाल है. इसके साथ ही भारत माला प्रोजेक्ट का आठ लेन का एक्सप्रेस वे भी रिजर्व की सीमा से गुजरेगा. इसके साथ ही कोटा लालसोट मेगा हाईवे भी यहां से निकल रहा है. भारत माला प्रोजेक्ट के तहत तो एनिमल अंडरपास और एनिमल और पास भी बनाए जा रहे हैं, जिससे वन्यजीवों को परेशानी नहीं हो.
पढ़ें- ST-6 की कहानी : सरिस्का की टेरिटरी में दहशत थी इस बाघ की..पूंछ और पैर में घाव के बाद एंक्लोजर में वक्त काट रहा बूढ़ा बाघ
टाइगर रिजर्व में नहीं शामिल होगी एक भी खान
डीसीएफ गुप्ता के अनुसार रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में एक भी खान या खनन एक्टिविटी नहीं होगी, जो प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, उसमें खनन एरिया को पूरी तरह से निकाल दिया गया है, जो कि बूंदी जिले के डाबी एरिया में है. इसके साथ ही अन्य इलाकों में भी खनन क्षेत्र की इस से पर्याप्त दूरी रखी जा रही है, ताकि टाइगर रिजर्व बनने के बाद यहां पर रहने वाले वन्यजीवों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो. साथ ही भविष्य में कोई भी कानूनी व्यवधान टाइगर रिजर्व बनने के दौरान नहीं आए. माइनिंग और रिजर्व के एरिया को भी बिल्कुल सेपरेट किया गया है.
8 गांव आ रहे हैं री-लोकेशन की जद में
रामगढ़ विषधारी सेंचुरी एरिया को ही टाइगर कोर एरिया बनाया गया है. इसमें 8 गांव भीतर की सीमा में आ रहे हैं. जिनमें भेरूपुरा, केशवपुरा, भीमगंज, जावरा, हरीपुरा, गुलखेड़ी, गुढ़ामकदूका, धुंधलाजी का बाड़ा शामिल हैं. भविष्य में जब भी गांवों का विस्थापन होगा, तो इन गांवों को विस्थापित किया जाएगा. उनको प्रथम प्राथमिकता दी जाएगी. विस्थापित किए जाने वाले गांव की जनसंख्या 3788 है. साथ ही इन गांवों में करीब 7551 मवेशी भी हैं जिन्हें भी विस्थापित किया जाना है. इसके अलावा करीब 35 गांव रिजर्व की बाउंड्री के बाहरी एरिया में आ रहे हैं. जिनमें मोतीपुरा, लोहारपुरा, पिपलिया, माणक चौक व धोलाई सहित कई रेवेन्यू गांव शामिल हैं. इनको जरूरत पड़ने पर ही विस्थापित किया जा सकता है.
रामगढ़ रिजर्व का विहंगम दृश्य टाइगर रिजर्व की कड़ी बन रहा है रामगढ़
रामगढ़ टाइगर रिजर्व रामगढ़ सेंचुरी की एक कड़ी के रूप में बना हुआ है. यह कॉरिडोर बना हुआ है जो कि रणथंभोर को मुकुंदरा से जोड़ता है. रणथंभोर से मुकुंदरा तक जो टाइगर का मूवमेंट होता है, वह इसी कोरिडोर के जरिए होता है, तो जब यह टाइगर रिजर्व बनकर तैयार हो जाएगा तो उसके बाद वाइल्ड एनिमल फ्री फ्लो चैनल मिल जाएगा. टाइगर रणथंभोर से मुकन्दरा तक जा आ सकेंगे. तीनों रिजर्व मिलने से टाइगर और वाइल्ड एनिमल का मूवमेंट आसान होगा. कहा जाता है कि टाइगर छोटे एरिया में नहीं रहता है, ऐसे में उन्हें सैकड़ों किलोमीटर लंबा जंगल स्वच्छंद विचरण के लिए मिलेगा.
कुंभलगढ़ से बिल्कुल अलग होगा टाइगर रिजर्व
कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है. उसके बारे में वन्य प्रेमियों का कहना है कि रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व ज्यादा मुफीद होगा. क्योंकि कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व एक लंबी पट्टी के रूप में है. उसमें टाइगर इधर उधर जा सकता है, लेकिन जो रामगढ़ विषधारी सेंचुरी का घना जंगल है. ऐसे में यहां पर टाइगर का पहले भी काफी बार मूवमेंट रहा है, वर्ष 2014 के पहले यहां टाइगर की मौजूदगी भी थी. ऐसे में रणथंभोर से नजदीक होने के चलते यह जगह बाघों के लिए ज्यादा सुरक्षित है.
पढ़ें- अभेड़ा पार्क का Drone View : जल्द खुलेगा राजस्थान का सबसे बड़ा बायोलॉजिकल पार्क..देखिये विहंगम नजारा
10 से ज्यादा लेपर्ड की मौजूद, हजारों मोर भी
रामगढ़ टाइगर रिजर्व में लेपर्ड की भी काफी मात्रा में उपस्थिति हैं. इसके अलावा सियार और लकड़बग्घा भी काफी संख्या में मौजूद हैं. पिछले साल की वन्यजीव गणना के अनुसार 10 से ज्यादा पैंथर यहां मौजूद थे. हालांकि यह केवल रामगढ़ विषधारी सेंचुरी में है. जबकि भीमलत का जो एरिया भी इस सेंचुरी में जोड़ा जा रहा है, उसमें बड़ी संख्या में पैंथर मौजूद है. डीएफओ वन्यजीव कोटा एन गुप्ता का कहना है कि उन्हें भी सुरक्षित किया जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि भीमलत का एरिया काफी घना है और इस सेंचुरी में मिलने के बाद उस एरिया का भी संरक्षण होगा. साथ ही सेंचुरी भी काफी सघन वन वाली बनेगी. इसके अलावा यहां पर हजारों की संख्या में मोर भी मौजूद हैं.
टाइगर रिजर्व के साथ आकर्षक ईको-टूरिज्म के क्षेत्र
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व ही नहीं, ईको-टूरिज्म के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण बनने वाला है. क्योंकि इस एरिया में काफी झीलें और प्राकृतिक जल स्रोत के साथ-साथ हेरिटेज स्ट्रक्चर भी हैं. इनमें रामगढ़ महल, जैत सागर झील, विषधारी मंदिर, रामेश्वर महादेव मंदिर, मीरा साहब की दरगाह शामिल हैं. वहीं प्राकृतिक जल स्रोत में मेज नदी, जैत सागर झील, शंभू सागर, भेरूपुरा व ठीकरदा तालाब शामिल हैं.
साथ ही इस रिजर्व के बाहरी हिस्से में बूंदी का किला और फूल सागर झील भी स्थित है. ऐसे में यह टाइगर रिजर्व पर्यटन के हिसाब से भी काफी मुफीद माना जाएगा. रामगढ़ विस्तारित सेंचुरी के लिए 5 सालों के लिए करीब 65 करोड़ का बजट का प्रस्ताव भेजा जा रहा है. इसमें पहले साल करीब 16 करोड़, उसके बाद में 4 सालों तक 12 करोड़ रुपए से ज्यादा का हर साल का बजट मांगा गया है.