कोटा.जिले के एरोड्रम सर्किल स्थित मोटर मार्केट के नजदीक पॉलिटेक्निकल कॉलेज की पुरानी बिल्डिंग में संचालित अपना घर आश्रम में तीन मानसिक विमंदित लोगों की फूड प्वाइजनिंग से मौत का मामला सामने आया है. जिसके बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया. घटना की सूचना मिलने पर जिला कलेक्टर ओपी बुनकर, एडीएम बृजमोहन बैरवा, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. विजय सरदाना, मुख्य चिकित्सा एवं अधिकारी डॉ. भूपेंद्र सिंह तंवर, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के उप निदेशक ओमप्रकाश तोषनीवाल सहित आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और वहां जायजा ले रहे हैं.
जिला कलेक्टर ओपी बुनकर के अनुसार महिला और पुरुषों को रविवार को उल्टी दस्त की शिकायत हुई. एक के बाद एक 5 लोगों की तबीयत बिगड़ गई. इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में तीन लोगों की उपचार के दौरान मौत हो गई. इनमें 37 वर्षीय मुन्नी बाई, 36 वर्षीय सुदेवी और 51 वर्षीय दिलीप शामिल है. इनकी मौत की सूचना पर जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया. जिसके बाद एक दर्जन कार्मिकों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है.
प्रारंभिक तौर पर माना जा रहा है संक्रमण - अधिकारी : जिला कलेक्टर ओपी बुनकर का कहना है कि आश्रम में रह रहे सभी निराश्रित की जांच करवा दी गई. जिसको मामूली भी लक्षण है, उसको भी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. हालांकि, भर्ती लोगों की तबीयत ठीक लग रही है. बने हुए खाने और खाद्य सामग्री दोनों का सैंपल लिया है. मेरे हिसाब से यह बोरिंग का पानी उपयोग में लेते हैं. उसमें भी कोई समस्या हो सकती है. उसमें क्लोरीन नहीं डाली गई हो. सीएमएचओ डॉ. भूपेंद्र सिंह तंवर का कहना है कि बैक्टीरियोलॉजिकल इन्वेस्टिगेशन के लिए भी प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज से आग्रह कर दिया है. जहां वायरोलॉजिकल, बैक्टीरियोलॉजिकल, यूरिन और सिकल की जांच होगी. पानी से फूड प्वाइजनिंग का अंदेशा ज्यादा लग रहा है.
अस्पताल में ले जाने में हुई देरी, प्रशासन को नहीं दी समय से सूचना : अपना घर आश्रम में बीमार हुए निराश्रित लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है. शाम को पहले मरीज को उल्टी दस्त होने पर आश्रम में ही प्राथमिक उपचार दिया और इसमें तबीयत बिगड़ने पर रविवार शाम को भर्ती करवा दिया. इसके बाद अन्य तीन मरीजों को देर रात भी भर्ती मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में करवाया था. हालांकि, सीएमएचओ डॉ. भूपेंद्र सिंह तंवर का यह मानना है कि अस्पताल पहुंचाने में देरी हुई है, साथ ही उनका कहना है कि प्रशासन को भी समय से सूचना नहीं दी गई है. सीएमएचओ डॉ. तंवर का कहना है कि जा खाना बन रहा था. वहां पर गंदगी थी और मक्खियां मौजूद थी, साथ ही खाना बनाने में बोरिंग का ही उपयोग किया जा रहा है. इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट बनाकर जिला कलेक्टर को सौंप देंगे.
खाना पानी और खाद्य सामग्री के लिए हैं टीमों के नमूने : आश्रम के स्टाफ ने बताया है कि रविवार शाम को छोले की सब्जी, खिचड़ी, रोटी और हलवा को बना था, जबकि सुबह लौकी की सब्जी, दाल, चावल व रोटी दी गई थी. सीएमएचओ और पीएचईडी की टीम ने पानी की टंकी, बोरिंग, वाटर कूलर, सहित सप्लाई के भी नमूने लिए हैं. फूड सेफ्टी टीम ने राशन सीज किया है, जिसकी जांच की जाएगी. कुल 17 नमूने लिए गए हैं. 12 खाद्य सामग्री के नमूने लिए हैं.
इसके अलावा 5 बने हुए खाने के लिए हैं। वही पानी के 13 नमूने लिए गए हैं. सीएमएचओ की टीम ने 9 सैंपल पानी के लिए हैं. इसके अलावा पीएचईडी के टीम ने 4 सैंपल लिए हैं. अपना घर आश्रम में 265 लोग रह रहे थे, जिनमें 170 महिलाएं और 95 में पुरुष शामिल हैं. इनमें मनोरोगी, मंदबुद्धि, नेत्रहीन, लकवाग्रस्त, हड्डी फैक्चर और अन्य तरीके के बीमार भी शामिल है. हालांकि, क्षमता से ज्यादा लोग यहां पर निवास कर रहे हैं. जिला कलेक्टर ओपी बुनकर ने माना है कि यहां पर क्षमता से अधिक लोगों को रखा हुआ है. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि सेवा के मामले में कोई कमी नहीं थी. यहां पर उनकी संख्या काफी ज्यादा है. इसके चलते रह रहे लोगों को आसानी से एडजस्ट किया जा सकता है.
नहीं बरती लापरवाही, स्टाफ ने तुरंत अस्पताल पहुंचाया : अपना घर आश्रम के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार सिंह सेंगर का कहना है कि लापरवाही कोई नहीं बरती गई है. शाम को एक मानसिक विमंदित की तबीयत बिगड़ गई. जिन्हें समय से अस्पताल पहुंचा दिया था. इसके बाद रात में भी अन्य की तबियत बिगड़ गई, जिन्हें भी अस्पताल पहुंचा दिया था. हमारे यहां पर 8 घंटे की शिफ्ट में हमेशा मेडिकल के सेवा साथी रहते हैं. कुल मिलाकर 52 सेवा साथिया पर काम करते हैं. ऐसी कोई लापरवाही नहीं बरती गई. खाना भी सभी नर खाया था. अब प्रशासन की जांच के बाद साफ होगा.