कोटा.कोरोना वायरस से पूरे देश की अर्थव्यवस्था को ही हिलाकर रख दिया है. कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है. जो इसकी मार ना झेल रहा हो. गर्मी के दिनों में ही गन्ने के जूस की मांग चरम पर रहती है.
गर्मी के सीजन में गन्ने की चरखी लगाकर जूस पिलाने का काम करने वाले तबके के सामने भी समस्या खड़ी हो गई है. यह लोग पूरे सीजन की कमाई गर्मी के 4 महीनों में करते हैं. जबकि आधा सीजन लॉकडाउन में बंद होने के चलते चला गया है और अब कोरोना वायरस के खतरे के चलते लोग उनकी दुकानों तक भी नहीं आएंगे. लॉकडाउन 3.0 शुरू होने के बावजूद इनकी चरखी, दुकान और ठेले नहीं खुले हैं.
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कोटा में गन्ने की चरखी वालों के साथ यह समस्या एक या दो जगह नहीं करीब 300 से 400 जगह गन्ने की अलग-अलग चरखियां संचालित होती हैं. इनमें आरटीडीसी रोड, नयापुरा चौराहा, अग्रसेन चौराहा, बड़ तिराहा और डीसीएम रोड पर तो अधिकांश बाहर के लोग आकर ही यह धंधा करते हैं. नगर निगम को जगह का किराया भी जमा करा चुके थे. अब जब उनकी दुकान ही संचालित नहीं हो पाई, तो किराए का पैसा भी उनका ऐसे ही चला गया है.
सीजन में कमाते हैं पूरे सालभर का
गन्ने का ठेला लगाने वाले रणजीत का कहना है कि पूरे साल उनका 4 महीने ही धंधा ठीक से चलता है. मार्च से शुरू होने वाले सीजन के 4 महीनों में ही वे साल भर की कमाई कर लेते हैं. जिससे परिवार का पेट पालन का काम होता है. पूरा साल हमें बेरोजगार रहकर छोटे-मोटे काम
सूनसान पड़ी चरखी में हो रही चोरियां
गन्ने की कुछ चरखी में चोरी के मामले भी सामने आए हैं. कुछ जगहों पर गले मोटर और वायरिंग को चोर ले गए हैं. इसके अलावा अधिकांश चरखियां सूनसान ही पड़ी हुई है. उनको कवर करके रख दिया गया है. अधिकांश बाहर से आने वाले चरखी संचालक अपने घरों को लौट गए, क्योंकि यहां पर उनके सामने राशन पानी की समस्या भी आ रही थी.