कोटा. कोटा अब तक देश को कई इंजीनियर और डॉक्टर दे चुका है. पैसा खर्च कर बड़े कोचिंग संस्थानों (Kota coaching institute) में पढ़ने वालों के अलावा कुछ ऐसे गुदड़ी के लाल भी हैं जो आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते कोचिंग नहीं ले पाते हैं. हालांकि प्रतिभाशाली बच्चों के सपने यहां के कुछ संस्थान पूरा भी करते हैं. इसमें एक नाम और जुड़ गया है दूधाराम का. बाड़मेर के दिहाड़ी मजदूर (Daily wage worker) का बेटे दूधाराम के नीट यूजी 2021 (NEET UG 2021) में 720 में से 626 अंक आए हैं. वह चौथे प्रयास में सफल हुआ है.
चौथे प्रयास में मिली सफलता, बीएएमएस के साथ दी परीक्षा
दूधाराम के अनुसार, परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर होने के बावजूद लक्ष्य से नहीं डिगा (Achieve Target) और न ही आत्मविश्वास कमजोर होने दिया. जहन में डॉक्टर बनने का सपना था, जिसको लेकर लगातार नीट यूजी परीक्षा देता रहा. लगातार चौथे प्रयास में परीक्षा नीट में 720 में से 626 अंक प्राप्त कर ऑल इंडिया रैंक 9375 प्राप्त की. पहला अटैम्प्ट 2018 में सेल्फ स्टडी कर के दिया, तब 440 अंक आए थे. दूसरा अटैम्प्ट 2019 में सेल्फ स्टडी से 558 अंक मिले.
फिर तीसरे अटैम्प्ट की तैयारी के लिए कोटा आया और निजी कोचिंग इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया. नीट 2020 में 593 अंकों के साथ ऑल इंडिया रैंक 23082 प्राप्त की. सरकारी कॉलेज तो नहीं मिला, लेकिन मैंने इंस्टीट्यूट ऑफ टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद, जामनगर में बीएएमएस में एडमिशन ले लिया. बीएएमएस (BAMS) के साथ कोटा के निजी कोचिंग इंस्टीट्यूट में ऑनलाइन पढ़ाई (Online Education) जारी रखी. तीसरे अटैम्प्ट में, मैंने मेहनत की और 9375 ऑल इंडिया रैंक प्राप्त की. एमबीबीएस (MBBS) के बाद पीजी या कॅरियर में आगे क्या करना है. इसके बारे में अभी तक नहीं सोचा.
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मेरे जैसे अन्य विद्यार्थियों की मदद का भी लक्ष्य
दूधाराम के परिवार में माता-पिता व भाई बहिन सहित कुल पांच सदस्य हैं. 10-12 बीघा जमीन है, लेकिन सूखे क्षेत्र में होने के कारण साल में सिर्फ एक ही बाजरे की फसल हो पाती है, जिससे ही परिवार का पेट भर पाता है. अन्य खर्चों के लिए आय का कोई स्रोत नहीं हैं. दूधाराम के पिता पूराराम व छोटा भाई खेमाराम दिहाड़ी (निर्माण कार्य में बेलदारी) मजदूरी करने जाते हैं. कई बार मां लेहरो देवी भी मनरेगा में मजदूरी करने जाती है. छोटा भाई खेमाराम मजदूरी के साथ कोटा ओपन यूनिवर्सिटी से बीए की पढ़ाई कर रहा है. जबकि छोटी बहन हरियो 10वीं में पढ़ती है. दूधाराम का कहना है कि एमबीबीएस करने के बाद मैं अपने जैसे अन्य विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर जागरूक करूंगा. उनकी कॅरियर बनाने में मदद करुंगा.
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सरकारी स्कूल के टीचर ने किया प्रेरित, फिर बनाया लक्ष्य
दूधाराम ने बताया कि उनके गांव में करीब 250 घर हैं. बिजली 5-6 घंटे ही आती है. पानी की किल्लत है. 10 किलोमीटर दूर ट्यूबवैल से टैंकर में पानी लाते हैं. घर के पास टांके में पानी रखते हैं. उसके पिता और मां निरक्षर हैं. दूधाराम का कहना है कि 10वीं कक्षा गांव के सरकारी विद्यालय से 67.67 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की थी. स्कूल के शिक्षक राजेन्द्र सिंह सिंघाड़ ने डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया. 12वीं तक की पढ़ाई के लिए बाड़मेर के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की, जिसमें 82 प्रतिशत अंक हासिल किए. इसके बाद नीट की पढ़ाई के लिए कोटा के निजी कोचिंग में एडमिशन लिया. जहां मेरी आर्थिक स्थिति को देखते हुए शुल्क में 50 प्रतिशत की रियायत दी.
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अन्य स्टूडेंट्स के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकता है दूधाराम
दूधाराम ने बताया कि कोटा में पढ़ाई का माहौल ही कुछ ओर है. यहां पहले आया होता, तो शायद एक-दो साल पहले ही सफल हो गया होता. कोटा के फैकल्टीज ने पूरा साथ दिया. कोविड के दौरान भी ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से पढ़ाई जारी रखी. यही नहीं फोन पर और अन्य माध्यमों से भी हमारी समस्याओं का समाधान होता रहा. कोटा के निजी कोचिंग संस्थान के निदेशक नवीन माहेश्वरी का कहना है कि कोटा कोचिंग बच्चों के भविष्य को तय करता है. ऐसे में दुधाराम जैसे अभाव और विपरीत परिस्थितियों से आगे आने वाले इन विद्यार्थियों की सफलता में मदद करते हैं. इन बच्चों के सपने पूरे होते हैं तो हमें लगता है, हम सफल हो रहे हैं. गांव-ढाणी तक शिक्षा का उजियारा फैल रहा है और प्रतिभाओं को योग्यता के अनुसार समर्थन मिल रहा है. दूधाराम साथी स्टूडेंट्स के लिए प्रेरणा हैं.