कोटा. देशभर से मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए छात्र कोटा आते हैं. यहां पर अधिकांश सिंगल रूम कल्चर होने के चलते छात्र हॉस्टल या पीजी में रहते हैं. लेकिन कोविड- 19 के चलते हॉस्टल और पीजी का किराया कम हो गया था. अब स्टूडेंट कोटा की तरफ ज्यादा रुख कर रहे हैं और लगातार स्टूडेंट्स आ रहे हैं. ऐसे में हॉस्टल और पीजी किराए में 25 से 40 फ़ीसदी तक बढ़ोतरी (hostel rent increase in Kota) की गई है. इसके चलते स्टूडेंट्स परेशान हैं.
कई स्टूडेंट्स का कहना है कि उन्हें अभी 2 से 3 महीने और रहना है. ऐसे में मिड टर्म में ही उनका किराया बढ़ा दिया गया है. स्टूडेंट्स ने जिला प्रशासन से मध्यस्थता करने की बात कही है. साथ ही इनका कहना है कि स्टूडेंट्स वेलफेयर सोसायटी भी उनकी बात को नहीं सुन रही है. दूसरी तरफ हॉस्टल एसोसिएशन का कहना है कि मिनिमम 25 से 40 फीसदी किराया (hostel owners increase 25 to 40 percent rent in kota) ही बढ़ाया गया है. इस तरह से हर साल बढ़ाया जाता है, बीते 2 साल कोविड-19 था. इसीलिए स्टूडेंट नहीं होने के चलते किराया भी नहीं बढ़ा था. अब महंगाई भी बढ़ रही है. साथ ही हमारा नया सेशन 1 अप्रैल से शुरू होता है. इसीलिए नए सत्र से किराया बढ़ा है.
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9 से 10 करोड़ हर महीने चुकाना पड़ेगा ज्यादा
कोटा में करीब 3300 के आसपास हॉस्टल हैं. पीजी की संख्या मिलाकर बात की जाए तो करीब डेढ़ लाख से ज्यादा सिंगल रूम हैं. नए सत्र में करीब 50,000 स्टूडेंट्स नए आ गए हैं. लगातार बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स कोटा आ रहे हैं. जबकि पहले से करीब 40 से 50 हजार स्टूडेंट्स रह रहे हैं. इन सभी स्टूडेंट का किराया बढ़ा दिया गया है. ऐसे में करीब ढाई से साढ़े तीन हजार किराया बढ़ाया है. जबकि औसत की बात की जाए तो करीब 3000 रुपये किराया हर बच्चे का बढ़ाया है. हर महीने सभी स्टूडेंट को 9 से 10 करोड़ ज्यादा किराया चुकाना होगा. ऐसे में हर पैरंट्स के सामने यह समस्या आ गई है.
मिड टर्म में बढ़ाया किराया, मेस में दाम बढ़ने से दोहरी मार
स्टूडेंट सूर्यकांत का कहना है कि हॉस्टल में प्रवेश लेते समय जो किराया बताया गया था, वह कुछ और था. बीच में ही किराया बढ़ा दिया गया है. हमारे हॉस्टल में पहले 4 से 5 हजार रुपए बढ़ाने की बात कही थी. लेकिन विरोध करने पर यह ढाई से तीन हजार ही बढ़ाया है. कई हॉस्टल में तो 5000 तक का किराया बढ़ा है. यह लिमिट में नहीं बढ़ाया गया है. प्रशासन को कोचिंग और हॉस्टल से जुड़े लोगों को साथ लेकर एक कमेटी बनानी चाहिए.
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यही कमेटी हॉस्टल का किराया बढ़ाने को लेकर निर्णय ले, ताकि बच्चों का पक्ष भी उसमें रखा जा सके. वर्तमान में हॉस्टल संचालकों ने एकतरफा निर्णय लेकर किराया बढ़ा दिया है. स्टूडेंट अंकित का कहना है कि जिस तरह से हॉस्टल संचालक कह रहे हैं कि कोविड-19 के चलते उनकी आमदनी पर फर्क आया है. इसी तरह जो बच्चे वहां रह रहे हैं, उन पर भी यहीं संकट है. उनके पैरेंट्स भी कोविड-19 के चलते प्रभावित हुए हैं. दूसरी तरफ मैस संचालकों ने भी चार्ज बढ़ा दिए हैं. इसके चलते दोहरी मार हमें लगी है.
हमें काफी परेशान किया, खाने की क्वालिटी भी गिरा दी
कई स्टूडेंट्स का कहना है कि हमारी फ्रेंचाइजी बदल दी गई ऐसे में जबरन हमसे हॉस्टल भी खाली करवाए गए हैं. नए लीज होल्डर या फ्रेंचाइजी ने ज्यादा दाम लेकर रूम किराए पर दिए हैं. हमारा एग्रीमेंट भी पुराने लीज होल्डर से था, ऐसे में जब वह लीज होल्डर ही चला गया. अब किससे बढ़े किराए पर बात करें. नए लीज होल्डर ने हमें कई तरह से धमकाया भी है. हॉस्टल खाली कराने के लिए संचालक ने काफी परेशान किया. हमारे यहां साफ सफाई करने वाली वालों को हटा दिया. खाने की क्वालिटी को कमजोर कर दिया. ब्रेकफास्ट और हाई-टी को भी बंद कर दिया. टॉर्चर से परेशान होकर हमने मजबूरन हॉस्टल खाली किया.
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3 महीने के लिए कोई हॉस्टल देने को तैयार नहीं
स्टूडेंट्स का कहना है कि उनकी पढ़ाई भी डिस्टर्ब हो रही है. हॉस्टल संचालक रूम खाली करने के लिए परेशान कर रहा है. ऐसे में हमें काफी स्ट्रेस में रहना पड़ रहा है. दोपहर बाद हम कोचिंग क्लास अटेंड करने जाते हैं, ऐसे में सुबह के समय रूम की तलाश करते हैं. इसके चलते सेल्फ स्टडी भी हमारी नहीं हो पा रही है. दूसरी तरफ हमें अब 2 से 3 महीने ही कोटा में रहना है. अगले दो से तीन माह में हमारे इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस के एग्जाम हैं, लेकिन कोई भी हॉस्टल संचालक या पीजी मालिक 3 महीने के लिए हॉस्टल देने को तैयार नहीं है.
सोशल मीडिया पर अभियान चलाया
स्टूडेंट्स का कहना है कि कई हॉस्टल संचालकों ने उनके साथ एग्रीमेंट भी किए हैं, लेकिन इसकी भी अवहेलना कर रहे हैं. हमारे पेरेंट्स भी बजट गड़बड़ाने के चलते परेशान हो गए हैं. उन्होंने बताया कि पहले जहां पर उनसे करीब 10 से 15 हजार रुपए महीना मांगते थे. अब यह राशि बढ़ गई है. स्टूडेंट्स का कहना है कि उन्होंने सोशल मीडिया के कई प्लेटफार्म पर अभियान चलाया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई है. स्टूडेंट्स ने कहा कि जिला कलेक्टर हमारी बात को समझें. कोचिंग संस्थान मैनेजमेंट भी हमारी तरफ गौर करे. वे हॉस्टल संचालकों को पाबंद करके हमारी समस्या को दूर करें.
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मिड टर्म में फीस बढ़ाने वालों पर प्रशासन करे कार्रवाई
कोटा के कोचिंग में स्टूडेंट का मुद्दा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उठाने वाले अंशु महाराज का कहना है कि बीच सेशन में ही हॉस्टल व पीजी का किराया बढ़ा देना काफी गलत है. कुछ दिन पहले ही कोटा के जिला कलेक्टर कोचिंग और हॉस्टल की फीस रेगुलेशन की बात कर रहे थे. अंशु महाराज ने कहा कि मुझे लगता है कि सबसे पहले हॉस्टल का दाम बढ़ाकर रूम छोड़ने को मजबूर करने वाले संचालकों के खिलाफ प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए. इन बच्चों से कोटा की अर्थव्यवस्था चल रही है, लेकिन इन पर बोलने वाला कोई नहीं है. कोचिंग, हॉस्टल व मैस वाले भी यहां पर अपनी मनमानी करते हैं. सिक्योरिटी मनी भी वापस नहीं लौटाई जाती है.
नया सेशन 1 अप्रैल से, इसलिए बढ़ा किराया
कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि रूम रेंट अचानक नहीं बढ़ाया गया है. नया सेशन 1 अप्रैल से शुरू होता है. बड़ी संख्या में बच्चे आ रहे हैं. ऐसे में नए सत्र को देखते हुए ही किराया बढ़ाया गया. कोचिंग सेंटर में नए बच्चों का आना शुरू हो गया है. साथ ही किसी भी बच्चे को तंग नहीं किया है.
कोरोना में आधी रेट में दिए, महंगाई के चलते बढ़ाया रेंट
कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के महासचिव पंकज जैन का कहना है कि हॉस्टल में किराया नॉर्मल 5 से 7 परसेंट बढ़ाया गया है. नया सेशन अप्रैल में स्टार्ट होता है. कोविड-19 के चलते बच्चों की संख्या कम थी, ऐसे में हमने आधे दाम पर ही हॉस्टल बच्चों को उपलब्ध करा दिए थे. तब हमारी मंशा थी कि खर्चा चलता रहे. अब बच्चे बड़ी संख्या में रहने लग गए हैं. ऐसे में स्टाफ सहित अन्य खर्चे बढ़ गए हैं. साथ ही खाने-पीने की चीजों से लेकर गैस और पेट्रोल सब महंगा हो गया है. यहां तक कि स्कूल कोचिंग और सभी चीजों के दाम भी बढ़े हैं. इसी कारण हमने भी मिनिमम रेंट बढ़ाया है.