कोटा. कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. जिले में रोजाना सैकड़ों की संख्या में मरीज पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. हालात ये हैं कि कोरोना मरीजों के अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस कम पड़ जा रहीं हैं. कोटा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के पास मरीज बढ़ने के बाद ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था गड़बड़ा गई है. इससे मरीजों के काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
कोविड-19 के मरीजों को लाने के लिए जितनी एंबुलेंस प्रबंधन को चाहिए, उससे आधी भी उसके पास नहीं है. इसके चलते मरीज निजी वाहनों से अस्पताल पहुंच रहे हैं. इससे दूसरे लोगों के भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ रहा है. जिन मरीजों के पास अपने साधन नहीं हैं, उन्हें एक साथ एक ही एंबुलेंस से अस्पताल लाया जा रहा है. करीब 3 से 4 मरीजों को ही एक एंबुलेंस में लेकर अस्पताल पहुंचाया जा रहा है, जिससे संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है.
अधीक्षकों की गाड़ी भी तलब की...
मेडिकल टीमों को लाने व ले जाने के लिए भी एंबुलेंस लगाई हुई थीं. हालांकि, अब जब मरीजों की संख्या बढ़ गई है और एंबुलेंस कम पड़ने लगी है, तब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने टीमों को लाने ले जाने के लिए एंबुलेंस हटा ली गईं हैं. उनकी जगह पर प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना ने खुद की सरकारी गाड़ी व तीनों अस्पताल के अधीक्षक की गाड़ी को तलब करते हुए टीमों को लाने और ले जाने के लिए लगाया है.
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भुगतान न होने से नाराज एंबुलेंस संचालक...
कोटा शहर के अधिकांश एंबुलेंस संचालक जिला प्रशासन से नाराज हैं. उन्हें एंबुलेंस अधिग्रहण के बाद 3 महीने तक मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के अधीन संचालित किया गया, जो कि कोविड-19 मरीजों को घर से लाने ले जाने का काम कर रही थी. जिला प्रशासन ने उनका किराया सिर्फ 200 रुपए रोज तय किया. इसके साथ 233 रुपए एंबुलेंस चालक के निर्धारित किए थे, इससे उनमें नाराजगी है. उन्हें अभी तक कुछ एंबुलेंस का भुगतान नहीं हुआ है.
इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने 24000 रुपए मासिक किराए पर एंबुलेंस ले रखी है, लेकिन संचालक अपनी एंबुलेंस को मेडिकल कॉलेज के अधीन चलाने से इनकार कर रहे हैं. ऐसे में लगातार परिवहन विभाग एंबुलेंस को अधिग्रहण भी कर रहा है. एंबुलेंस संचालक एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम नामा का कहना है कि वे अपनी एंबुलेंस को जिला प्रशासन की शर्तों के मुताबिक नहीं चलाएंगे, उन्हें इससे नुकसान हो रहा है.
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