कोटा. सावन मास में मंदिर और शिवालयों की रौनक बढ गई है. भगवान शिव के अभिषेक के साथ राम मंदिर में नित पूजा-अर्चना हो रही है. शिव मंदिरों में लंबी कतार लग रही है. कोटा के स्टेशन इलाके स्थित श्रीराम मंदिर में भी सावन में विशेष अनुष्ठान (Special worship in Kota Shri Ram temple) किया जा रहा है. इसमें रोज 5100 शिवलिंग की पूजा-अर्चना के साथ दूध और जल से अभिषेक किया जाता है. हर दिन में अलग-अलग चार यजमान पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. बीते 10 जुलाई से निरंतर यहां पूजन और अनुष्ठान हो रहा है. यह क्रम 10 सितंबर तक 2 महीने चलेगा.
मंदिर समिति के अध्यक्ष ऋषि कुमार शर्मा का कहना है कि पहली बार कोटा के राम मंदिर में इस प्रकार का विशेष अनुष्ठान किया जा रहा है जिसमें प्रति दिन कम से कम चार यजमान आते हैं और शिवलिंग का पूजा करते हैं. पूजा-अर्चना के लिए मूलत: उत्तर प्रदेश के अयोध्या के गीता मंदिर के महंत ब्रह्मचारी विश्वस्वरूप महाराज पहुंचे हुए हैं. ये बीते साढ़े 3 साल से जबलपुर के नजदीक नर्मदा नदी के किनारे स्थित गोरक्षा घाट पर तपस्या कर रहे हैं.
रोज श्री राम मंदिर में सुबह 6:00 बजे से 10:00 बजे तक मंत्रोचार के साथ मिट्टी, दही, दूध अन्य सामग्री मिलाकर बने हुए 5100 से ज्यादा शिवलिंग की पूजा-अर्चना होती है. इसके बाद रोज पूर्णाहुति होती है जिसमें भगवान का हवन कर इन शिवलिंग को चंबल नदी में विसर्जित किया जाता है. यहां पर पूजा-अर्चना करवा रहे ब्रह्मचारी विश्वस्वरूप महाराज का कहना है कि मिट्टी या फिर किसी अन्य पदार्थ से बनाए हुए शिवलिंग की पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है और यह एक कल्पवृक्ष के समान कल्पना जैसा है. महाराज विश्वस्वरूप का कहना है कि जिस तरह से कल्पवृक्ष के सामने पौराणिक काल में मान्यताएं मांगी जाती थीं और वह पूरी हो जाती हैं. उतना ही महत्व पार्थिव शिवलिंग का भी है. पूर्व में ऋषि, मुनि, साधु, संत, भगवान से लेकर दानव तक भी पूजन कर भगवान शिव को प्रसन्न कर मनचाहा वरदान प्राप्त किया करते थे.
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शिव-पुराण के वचन के साथ ही बनते हैं शिवलिंग
मंदिर समिति के महामंत्री परमानंद शर्मा का कहना है कि लोगों को पार्थिव शिवलिंग के महत्व के बारे में जागरूक करने लिए ब्रह्मचारी विश्वस्वरूप महाराज रोज प्रवचन देते हैं. इसके लिए वे शिव पुराण का वाचन भी शाम को करते हैं. इस दौरान क्षेत्र की बड़ी संख्या में महिलाएं और आम जन उपस्थित रहते हैं. श्रद्धालु शिव पुराण सुनते हुए ही पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करते हैं और इन पार्थिव शिवलिंग का दूसरे दिन अनुष्ठान में प्रयोग किया जाता है. महिलाएं और बच्चों की घंटों की मेहनत के बाद यह शिवलिंग बनकर तैयार होते हैं. यजमान बढ़ने के साथ इन शिवलिंग की संख्या भी बढ़ जाती है. सोमवार और रविवार के दिन यह शिवलिंग 7100 भी बनते हैं.