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Published : Nov 30, 2019, 11:21 PM IST

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स्पेशल स्टोरी: पिछले साल किसानों को नदियों में फेंकनी पड़ी थी प्याज, अबकी बार क्वालिटी LOW पर बिक्री में है FLOW

प्याज वर्तमान में देश के लिए चर्चा का विषय बन चुका है. सबके आंसू निकलवाने वाली यह महज एक सामान्य सब्जी तक ही सीमित नहीं रही है. भाव और मांग के मामले में तो इसने अच्छे-अच्छे फलों को भी पीछे कर दिया है. प्याज के बढ़े भाव से एक तरफ जहां आम आदमी के आंसू निकल आएं हैं तो वहीं दूसरी ओर किसानों के चेहरे खिल उठे हैं.

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कोटा.प्याज पूरे देशभर के लिए हंगामे का विषय बन चुका है. प्याज के दाम शतक पार चले गए हैं. इसको लेकर इस बार किसानों को थोड़ी राहत जरूर मिली है. किसानों को इस बार पिछले साल की अपेक्षा प्याज के 5 गुना दाम मिल रहे हैं. पिछले साल जहां पर प्याज 10 रुपए किलो बिक रही थी, वहीं इस बार 50 से 60 किलो तक बिक रही है.

खराब क्वालिटी के बावजूद प्याज की डिमांड बरकरार

हालांकि इस बार प्याज की क्वालिटी कमजोर है. जबकि पिछले साल बंपर उत्पादन होने के बावजूद किसानों ने नदियों में अपना प्याज फेंक दिया था, यहां तक कि कई किसानों ने तो खेतों में से ही प्याज नहीं निकाला था, क्योंकि दाम पूरे नहीं मिल रहे थे. कोटा सब्जी मंडी की बात की जाए तो यहां पर संभाग के कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ के साथ चित्तौड़गढ़ के रावतभाटा एरिया से भी प्याज किसान लेकर आते हैं. इस बार अतिवृष्टि के चलते किसानों की फसल खराब हुई है.

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फल सब्जी मंडी समिति के अध्यक्ष ओम वालों का कहना है कि पिछले साल इस सीजन में जहां पर ढाई से तीन हजार कट्टे यानी कि 1250 से 1500 क्विंटल प्याज रोज आ रहा था. इस बार यह आवक आधी से भी कम है. महज 400 से 600 क्विंटल प्याज ही किसान लेकर आ रहे हैं, जिनको अच्छे दाम इस बार मिल रहे हैं.

2 रुपए किलो दाम था, तब कोई नहीं आया

किसानों का कहना है कि पिछले साल जब प्याज का बंपर उत्पादन हुआ था और उनकी फसल जब पिछली बार दो रुपए किलो बिक रही थी. तब उन्होंने खेत से ही नहीं निकाली और नदियों में फेंकना पड़ा. तब किसी ने उनके मुद्दे पर बात नहीं की. अब जब प्याज के उन्हें अच्छे भाव मिल रहे हैं, तो सब हंगामा मचा रहे हैं. किसान कैलाश चंद्र धाकड़ ने तो यहां तक कह दिया कि विधायक विधानसभा में प्याज की माला पहन कर जा रहे है, लेकिन वहीं विधायक जब 2 रुपए किलो प्याज बिक रहा था, तब सामने नहीं आए.

आधा रह गया है हमारा उत्पादन

चित्तौड़गढ़ के रावतभाटा एरिया से अपने प्याज को कोटा मंडी में बेचने आए मोडूलाल का कहना है कि पिछले साल में जहां उन्होंने डेढ़ बीघा खेत में 90 क्विंटल प्याज का उत्पादन किया था. अब यह उत्पादन महज 25 से 30 क्विंटल के बीच ही रह गया है. इससे उन्हें भी नुकसान तो हो ही रहा है. पानी ज्यादा होने के चलते पूरे खेत में ही नष्ट हो गए और प्याज भी खराब हो गया है.

इस बार महंगा प्याज फिर भी क्वालिटी खराब
मंडी में ही दूसरे आढ़तिए हफीज भाई का कहना है कि अतिवृष्टि के चलते इस बार प्याज खराब हो गया है और जो प्याज मंडी में आ रहा है, उसकी भी क्वालिटी सही नहीं है. जबकि भाव काफी ज्यादा है पिछले साल जो प्याज की क्वालिटी थी. वह कई दिनों तक खराब नहीं होता था, लेकिन इस बार जो किया जा रहा है, वह कमजोर क्वालिटी के चलते जल्द ही खराब होगा.

फल मंडी समिति के अध्यक्ष ओम वालों का कहना है कि पिछले बाल किसानों को कम भाव के चलते नुकसान हुआ था. उन्हें लागत भी प्याज के उत्पादन पर नहीं मिली थी. ऐसे में इस साल किसानों का रुझान प्याज से कम हो गया और कुछ फसल अतिवृष्टि के चलते खराब हो गई. जिससे दामों में भारी उछाल आया है और दाम बढ़कर पिछले साल से 5 से 6 गुना ज्यादा हो गए हैं. जहां प्याज के बढ़े भाव आम लोगों की परेशानी का कारण बन चुका है. वहीं दूसरी ओर ये किसान इस बात से खुश है कि प्याज के अधिक से अधिक दाम उन्हें मिल रहे हैं.

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