कोटा. लॉकडाउन के बाद उपजे हालातों में अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल का आह्वान भी किया है. इसी पर काम करते हुए कोटा में भी पीपीई किट बनाने पर आत्मनिर्भर बनने की ओर एक कदम उठाया गया है. कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जरूरी पीपीई किट बनाने में भी कोटा आत्मनिर्भरता की ओर जा रहा है.
नगर निगम की ओर से संचालित नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पीपीई किट मास्क के अलावा अन्य मेडिकल उपयोगी वस्त्रों का निर्माण कर रही हैं. बता दें कि ये महिलाएं अबतक 600 से ज्यादा पीपीई किट कोटा में सप्लाई कर चुकी है, जिनको चिकित्सा संस्थानों ने उपयोग और सामाजिक संस्थाओं ने डोनेट करने लिए भी खरीद किया है. इन सेल्फ हेल्प ग्रुप को इससे लाखों रुपए की कमाई भी हुई है.
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कपड़ा दिखाया तो महिलाओं ने पहचाना
एनयूएलएल की प्रबंधक डॉ. हेमलता गांधी ने बताया कि उसे किसी ने पीपीई किट भेंट किया था. यह किट उन्होंने महिलाओं को दिखाया तो महिलाओं ने कहा कि यह तो बैग में लगने वाला कपड़ा है, जो कि रामपुरा में मिल जाएगा. इसके बाद महिलाओं ने रामपुरा से कपड़ा खरीदा और पीपीई किट का निर्माण शुरू किया. उसके बाद उसे जिला कलेक्टर ओमप्रकाश कसेरा और मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना को दिखाया. गांधी ने बताया कि उनके अप्रूव्ड करने के बाद महिलाओं ने लगातार पीपीई किट बनाने शुरू कर दिए.
सोशल मीडिया से सीखा
बता दें कि महिलाओं को सोशल मीडिया से वीडियो दिखाकर पीपीई किट बनाना बताया गया. इसके बाद महिलाएं एक सैंपल तैयार करने में लगी. वहीं, अब एक पीपीई किट के निर्माण में 45 से 60 मिनट का समय लग रहा है. पीपीई किट के साथ फेस मास्क, शूज, कैप भी बनाई जा रही है. वहीं, कोटा में यह भी सुविधा है कि बाहर से आने वाले सभी पीपीई किट स्टैंडर्ड साइज के आ रहे हैं. लेकिन कोटा में साइज के अनुसार पीपीई किट का निर्माण हो रहा है.