कोटा. कोटा की 2 बहन डॉ. रूमा और डॉ. मेघा को अधिकांश लोग नहीं जानते हैं, लेकिन वह शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पूरे देश भर में अलख जगाने का काम कर रही हैं. डॉ. मेघा सिविल सर्विसेज में हैं और उनकी बड़ी बहन डॉ. रूमा पेशे से डॉक्टर हैं. दोनों बहनें राजस्थान, उत्तराखंड और महाराष्ट्र के 41 स्कूलों में 11 हजार स्कूली बच्चों की शिक्षा में मदद अपनी एनजीओ समर्पण के जरिए कर चुकी है. इसके लिए उन्होंने सबसे पहले अपने गृह जिले कोटा को ही चुना था. इस पूरे अभियान में दोनों बहनें जुटी हुई हैं.
इसके साथ ही उनकी मां मंजू भार्गव भी पूरा योगदान करती है. शहर के तलवंडी इलाके की निवासी दोनों बहनों का जन्म शिक्षा नगरी कोटा में ही हुआ और यहीं से स्कूलिंग हुई. इसके बाद डॉ. रूमा ने कर्नाटका के मणिपाल डेंटिस्ट्री की पढ़ाई की. साथ ही दिल्ली से पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा इन पब्लिक हेल्थ किया. इसके बाद सिंगापुर से एमबीए किया और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ कई प्रोजेक्ट में काम किया. बाद में कुआलालंपुर में इंटरनेशनल रेड क्रॉस में भी सेवाएं दी.
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वर्तमान में वे मुंबई में ही हैं और समर्पण का पूरा काम वहीं से संचालित कर रही हैं. उनकी छोटी बहन डॉ. मेघा ने मुंबई से डेंटिस्ट्री की पढ़ाई की. इसके बाद सिविल सर्विसेज में उनका चयन हुआ और वह इंडियन रेवेन्यू सर्विस में हैं. वर्तमान में मुंबई शहर में डिप्टी कमिश्नर इनकम टैक्स के पद पर तैनात हैं. उनके पिता रामानंद भार्गव इंस्ट्रूमेंट लिमिटेड से सेवानिवृत्त हुए हैं. वहीं, मां मंजू निजी स्कूल में प्रिंसिपल रही हैं.
स्कूल की दयनीय स्थिति देखी तो बनाई NGO
डॉ. रुमा और डॉ. मेघा कोटा आई थीं और यहां पर उन्होंने अपने परिजनों के साथ लाडपुरा ब्लॉक के कुछ स्कूलों को देखा. वहां पर स्कूलों की हालात को देखकर मदद करने का निश्चय किया और उसके बाद ही 2016 में समर्पण संस्था बनाकर इसकी शुरुआत भी कर दी. इसके जरिए उनका उद्देश्य ग्रामीण और आदिवासी बच्चों को स्वास्थ्य और शिक्षा देने की थी. इस पूरे प्रकल्प में उनकी मां रिटायर्ड शिक्षिका मंजू भार्गव भी सेवाएं दे रही हैं.
डॉ. मेघा का कहना है कि उनकी पूरी पढ़ाई कोटा में हुई है. यहां अच्छे स्कूल हैं. एजुकेशन सिटी के नाम से कोटा को जाना जाता है, लेकिन कोटा से 20 किलोमीटर दूर के स्कूलों के भी हालात काफी खराब थे. हम पहली बार जब वहां गए तो हमें लगा कि शहर और गांव के शिक्षा और स्वास्थ्य में कितना अंतर है. इसको दूर करने के लिए हमने ये प्रयत्न शुरू किए हैं.
साफ पानी से लेकर सोलर लालटेन तक की व्यवस्था
डॉ. मेघा भार्गव का कहना है कि उन्होंने समर्पण के जरिए शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए कई प्रयास कोटा के लाडपुरा एरिया में किए हैं. करीब 25 से ज्यादा स्कूलों में उन्होंने सेवाएं दी है. इसके अलावा हजारों स्कूली विद्यार्थियों को स्कूल ड्रेस और स्वेटर दिए हैं. वहीं पीने के पानी की व्यवस्थाएं स्कूल में नहीं थी, ऐसे में 25 स्कूलों में वाटर प्यूरीफायर भी स्थापित किए हैं.