कोटा.देश में बैंकों के कर्ज में डूबने की कई बातें लगातार सामने आती है. करोड़ों रुपये का लोन उद्योगपति और अन्य लोग नहीं चुका पाते हैं. यहां तक कि कई लोग सामान्य ऋण लेकर भी नहीं चुकाते हैं और बाद में उनकी मकान की कुर्की समेत (House Attachment Action in Kota) अन्य कार्रवाई करनी पड़ती है.
बैंकों के के इस राशि की वसूली नहीं होने पर इसे सरकार नॉन-परफोर्मिंग लोन यानी एनपीए के कहते है. लेकिन कोटा में एक ऐसी संस्था है, जिसको 100 साल से ज्यादा हो गया है और आज भी एक भी रुपया उसका बट्टा खाते में नहीं है. यानी कि एक भी रुपया एनपीए नहीं हुआ है. इस संस्था की अध्यक्ष डॉ. मीनू बिरला का कहना है कि लोन लेने वाले सभी सरकारी कर्मचारी होते हैं. दूसरी तरफ उन्हें लोन लेने के पहले अन्य संस्था के अन्य सदस्य की जमानत देनी होती है. इसलिए हमारे लोन की पूरी रिकवरी हो जाती है. यहां तक कि सदस्य की मौत के बाद उसके परिजनों ने भी लोन चुकाया है.
कोरोना में कम हुआ, पहले 40 करोड़ तक का बांटा : मीनू बिरला के अनुसार संस्था की स्थापना से अब तक 2000 करोड़ का लोन हम बांट चुके हैं. पिछले साल 2021 के वित्तीय वर्ष में 15 करोड़ का लोन हमने बात किया था, यह अन्य वर्षों से कम था. क्योंकि कोरोना काल में शादी-विवाह के साथ लोगों ने मकान बनाने और अन्य कार्यों में के लिए भी लोन कम लिया था. जबकि इसके पहले हम 40 से 50 करोड़ रुपये सालाना के लोन बांट रहे थे. इस साल 31 मार्च 2022 तक संस्था का बकाया 37.67 करोड़ रुपये था. इस संस्था से केवल सरकारी कर्मचारी ही जुड़ते हैं. यहां तक कि कोटा जिले में पदस्थापित कार्मिकों को ही सदस्य बनाया जाता है.