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Rabi crops: मंडी में समर्थन मूल्य से ज्यादा मिल रहा फसल का दाम... हाड़ौती में खरीद के लिए बनाए गए 205 केंद्र

कोटा संभाग में गेहूं, चना और सरसों की खरीद के लिए कोटा संभाग के चार जिलों में 205 केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें गेहूं की खरीद 150, चना और सरसों की खरीद 55 केंद्रों पर होगी. हालांकि जिस तरह से मंडी में भाव (Rabi crops getting more than MSP in kota) चल रहे हैं, उसमें सरसों और गेहूं की फसल को समर्थन मूल्य पर बेचने में किसान (MSP to rajasthan farmers) की कोई खास रुचि नहीं होगी. केवल चने की खरीदी समर्थन मूल्य पर होने की उम्मीद है.

Rabi crops getting more than MSP in kota
कोटा संभाग के चार जिलों में 205 केंद्र बनाए गए हैं

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Published : Mar 22, 2022, 11:22 AM IST

कोटा. रबी के सीजन की फसलें खेतों में तैयार (Rabi crops) हैं, जिन्हें काटने की तैयारी धरतीपुत्र कर रहे हैं. भामाशाह मंडी में कुछ फसलें आना शुरू भी हो गई हैं. दूसरी तरफ कोटा संभाग में रबी सीजन की फसलों को खरीद के लिए सरकारी विभागों ने भी प्रक्रिया शुरू कर दी है. इनमें गेहूं, चना और सरसों की खरीद के लिए कोटा संभाग को चार जिलों में 205 केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें गेहूं की खरीद 150, चना और सरसों की खरीद 55 केंद्रों पर होगी.

हालांकि जिस तरह से मंडी में भाव चल रहे हैं, उसमें सरसों और गेहूं की फसल को समर्थन मूल्य पर बेचने में किसान को कोई खास रुचि (Rabi crops getting more than MSP in kota) नहीं है. इस बार केवल चने की खरीदी समर्थन मूल्य पर होने की उम्मीद जताई जा रही है. बताया जा रहा है कि 1 अप्रैल से ये खरीद केंद्र शुरू होंगे, जिनके लिए 25 मार्च के बाद रजिस्ट्रेशन शुरू किया जाएगा. इसके साथ ही खरीद केंद्रों पर व्यवस्थाएं और बारदाना जुटाने के लिए राजफैड ने टेंडर भी जारी कर दिए हैं.

रबी के सीजन की फसलें खेतों में तैयार

गेहूं की खरीद के लिए ऑफलाइन टोकन की व्यवस्था बंद:चना और सरसों की तर्ज पर इस बार गेहूं के लिए भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ही कराना होगा. पहले की तरह इस साल भी सरकार ने ऑफलाइन टोकन की व्यवस्था बंद कर दी है. साथ ही किसानों के पास समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए जन आधार कार्ड होना जरूरी है. जिन किसानों के पास जनाधार नहीं है, उन्हें रजिस्ट्रेशन कराकर जनाधार का नंबर उपलब्ध कराना होगा.

राजफैड के अकाउंट ऑफिसर विष्णु दत्त शर्मा ने किसानों को आगाह करते हुए यह भी बताया है कि जिन किसानों का जनाधार में अकाउंट नंबर या आईएफएससी कोड गलत है, उनका भुगतान अटक जाएगा. ऐसे में किसानों को समस्या आ सकती हैं. इसके साथ ही किसानों को जमीन के कागज और बैंक डिटेल भी जमा करवाना होगा.

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बीते साल 6 लाख मैट्रिक टन खरीद, इस बार भी यही टारगेट:गेहूं की खरीद के लिए राजफैड के 96, फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के 30 और तिलम संघ के 24 केंद्र बारां, बूंदी, कोटा और झालावाड़ में खोले गए हैं. विष्णु दत्त शर्मा के अनुसार बीते साल भी गेहूं 600661 मेट्रिक टन खरीदा गया था, इस बार भी यही टारगेट रखा गया है. इसमें एफसीआई 390000, राजफैड 153000 और तिलम संघ 57000 मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी करेगा. जबकि बीते साल 10000 मेट्रिक टन चने की खरीद हुई थी, इस बार यह टारगेट 70 हजार मैट्रिक टन है. इसके अलावा बीते साल में सरसों की खरीद का टारगेट उत्पादन का 25 फीसदी था, लेकिन किसानों ने एमएसपी पर बेचने में रुचि नहीं दिखाई थी.

समर्थन मूल्य से ज्यादा मिल रहे मंडी में दाम:वर्तमान में समर्थन मूल्य पर गेहूं और सरसों की खरीद होना मुश्किल है. क्योंकि मंडी में भी समर्थन मूल्य से ज्यादा भाव मिल रहा है. यहां गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल रखा गया है, जबकि मंडी में इससे ज्यादा भाव पर गेहूं बिक रहा है. किसानो को मंडी में एमएसपी से 10 फीसदी ज्यादा दाम मिल रहे हैं. वहीं सरसों का समर्थन मूल्य 5050 रखा गया है, जबकि मंडी में न्यूनतम भाव करीब 6000 के आसपास है.

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बीते साल सरसों की एमएसपी 4650 रुपए प्रति क्विंटल में 400 रुपए बढ़ाए गए हैं. जबकि गेहूं में महज 40 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़त हुई है. हालांकि चने का पिछले साल दाम 5100 था, जो इस साल बढ़कर 5230 हो गया है. इसमें 130 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन चने के भाव मंडी में 5000 के आसपास चल रहे हैं. ऐसे में इस बार केवल चने की खरीदी होने की उम्मीद है.

खरीफ के सीजन में नहीं हुई एमएसपी पर कोई खरीद:बीते खरीफ के सीजन में समर्थन मूल्य पर उड़द और सोयाबीन की खरीद होनी थी. इसके लिए राजफैड ने केंद्र भी खोले थे, लेकिन किसानों ने दोनों उपज को बेचने में रुचि नहीं दिखाई. हालांकि मंडी में ही सोयाबीन और उड़द के दाम काफी ज्यादा मिल रहे थे. सरकार ने उड़द की एमएसपी 6300 और सोयाबीन की एमएसपी 3950 रुपए क्विंटल तय की थी. जबकि मंडी में सोयाबीन 4400 और उड़द करीब 7500 रुपए क्विंटल से ज्यादा दामों में बिक रहा था. ऐसे में किसानों ने मंडी में ही माल बेचा है.

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