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कोटा: पुलिस ने वाहन चोर गिरोह का किया खुलासा, 3 आरोपियों से 25 बाइक बरामद

कोटा की गुमानपुरा थाना पुलिस ने वाहन चोर गिरोह का खुलासा करते हुए 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. उनके कब्जे से चोरी की 25 बाइक भी बरामद की गई है. पुलिस का कहना है कि अभी इस मामले में और भी आरोपी सामने आ सकते हैं, जिनके बारे में पूछताछ जारी है.

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Published : Dec 19, 2020, 1:57 PM IST

Kota News, वाहन चोर, Accused arrested
कोटा में पकड़े गए वाहन चोर

कोटा. शहर की गुमानपुरा थाना पुलिस ने वाहन चोर गिरोह का खुलासा करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. उनके कब्जे से 25 चोरी की गई बाइक भी बरामद की गई है. ये तीनों वाहन चोर कोटा शहर के अलग-अलग इलाकों से वाहन चोरी करते थे. साथ ही नीलामी का कहकर ग्रामीण इलाके के भोले भाले लोगों को बेच दिया करते थे.

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इस पूरी वारदात का खुलासा करते हुए प्रशिक्षु आरपीएस शंकरलाल ने बताया कि चोरी में संलग्न मुख्य आरोपी कोटा जिले के कनवास थाना इलाके के धूलेट गांव का निवासी नरेंद्र नागर है, जो कि वाहन चोरी का शातिर बदमाश है. वो हेलमेट हाथ में लेकर, मुंह पर मास्क लगाकर और मोबाइल पर बात करता हुआ वाहन चुराने आता था. वो बाइक पर बैठता था और फिर उसका लॉक तोड़कर हेलमेट पहनकर रवाना हो जाता था, जिससे उस पर किसी का शक नहीं हो. उसके खिलाफ 11 इसी तरह के मामले पहले से दर्ज हैं. उसके साथ चोरी की वारदात में खुशराज मीणा शामिल रहा है, जो कि झालावाड़ के मंडावरा थाना इलाके के डांडियारीपुरा गांव का निवासी है. तीसरा आरोपी मोहन बंजारा है, जो कि बोर का कुआं जिला झालावाड़ निवासी है. पुलिस का कहना है कि अभी इस मामले में और भी आरोपी सामने आ सकते हैं, जिनके बारे में पूछताछ जारी है.

कोटा में पकड़े गए वाहन चोर

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नीलामी में खरीदी बताते थे बाइक
गुमानपुरा एसएचओ मनोज सिंह सिकरवार ने बताया कि आरोपियों ने सुकेत के नजदीक एक आबादी से दूर सुनसान जगह पर झोपड़ी बनाई हुई थी. जहां पर यह बाइकों को खड़ा कर दिया करते थे. साथ ही उसके ऊपर भूंसा डाल दिया करते थे, जिससे किसी भी व्यक्ति को शक नहीं हो. वहीं, वाहन चोरी के बाद मार्केटिंग का काम मोहन बंजारा करता था. वो ग्रामीण इलाके के भोले-भाले लोगों को फंसाता था और 5000 से 7000 रुपए में उन्हें चोरी की गई बाइक बेच दिया करते थे. साथ ही जब किसी व्यक्ति को शक होता था तो वाहन चोर गिरोह के सदस्य अपने ही साथी को पुलिसकर्मी बना देते थे. ग्राहक से बात करवा देते थे, जिससे उसका शक दूर हो जाए. इस बातचीत के दौरान पुलिसकर्मी बनने वाला व्यक्ति कह देता था कि ये नीलामी में खरीदी हुई बाइक है.

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