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कोटा में पॉल्यूशन फ्री अंतिम संस्कार: पीएनजी संचालित शवदाह गृह तैयार, प्रदेश में पहली बार जानवरों के लिए भी बनेगा शवदाह गृह

मातेश्वरी सेवा संस्थान कोटा शहर को पॉल्यूशन फ्री बनाने के लिए मृत जानवरों के अंतिम संस्कार के लिए शवदाह गृह बनाने जा रहा (Crematorium for animals in Kota) है. यह प्रदेश का पहला ऐसा शवदाह गृह होगा. इसमें पालतू पशुओं का अंतिम संस्कार किया जा सकेगा. फिलहाल इसमें लगने वाली गैस का खर्च नगर निगम उठाएगा.

PNG operated Crematorium for animals in Kota, this is second after Delhi in the country
कोटा में पॉल्यूशन फ्री अंतिम संस्कार: पीएनजी संचालित शवदाह गृह तैयार, प्रदेश में पहली बार जानवरों के लिए भी बनेगा शवदाह गृह

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Published : Jul 21, 2022, 8:02 PM IST

Updated : Jul 23, 2022, 12:29 AM IST

कोटा. कोटा में अंतिम संस्कार को पॉल्यूशन फ्री करने के लिए मातेश्वरी सेवा संस्थान ने आरकेपुरम मुक्तिधाम में पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) से अंतिम संस्कार के लिए शवदाह गृह स्थापित करवा दिया है. शवदाह गृह के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से एनओसी भी ली गई है. इसके साथ ही मृत पशुओं के अंतिम संस्कार के लिए भी ऐसा ही शवदाह गृह बनाया (PNG operated Crematorium for animals in Kota) जाएगा. मातेश्वरी सेवा संस्थान के निदेशक गोविंदराम मित्तल ने दावा किया है कि दिल्ली के ओखला में ही इस तरह का शवदाह गृह बना हुआ है.

मित्तल ने बताया कि आमतौर पर देखा जाता है कि मरने के बाद जिन पशुओं की कमर्शियल वैल्यू नहीं होती है, उन्हें सड़क पर फेंक दिया जाता है. छोटे गौवंश, बंदर, श्वान व सूअर सहित अन्य जानवरों में ज्यादा चमड़ा व हड्डिया नहीं होती है. ऐसे पशुओं को फेंक दिया जाता है. इससे ये बदबू मारने लगते हैं. इसके चलते प्रदूषण भी फैलता है और बीमारियों का खतरा भी बना रहता है. ऐसे में पशुओं का अंतिम संस्कार शवदाह गृह में किया जा सकेगा. संस्थान के निदेशक शरद चतुर्वेदी ने बताया कि मृत जानवरों के अंतिम संस्कार में ज्यादा समय लग सकता है. साथ ही उनका वजन भी ज्यादा हो सकता है. ऐसे में वहां के शवदाह गृह और गैस कनेक्शन की क्षमता ज्यादा रखी गई है.

कोटा में पॉल्यूशन फ्री अंतिम संस्कार.

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पहले से ही तैयार चिमनी और स्क्रबर: अंतिम संस्कार से हमने बदबू को भी खत्म कर दिया है. इसके लिए स्क्रबर और चिमनी लगाई है. जानवरों के लिए बनने वाले शवदाह गृह के लिए पहले से ही बनी हुई चिमनी और स्क्रबर का उपयोग किया जाएगा. गोविंदराम मित्तल ने बताया कि आसपास आबादी है और उन लोगों को किसी तरह की कोई समस्या नहीं हो इसलिए पूरी तरह से पॉल्यूशन फ्री चिमनी स्थापित की गई है. आमतौर पर यह चिमनी 20 से 30 फीट ऊंची रहती है, लेकिन हमने इसे 100 फीट ऊंचाई पर स्थापित करवाया है. साथ ही उन्होंने दावा किया है कि स्क्रबर और पानी के माध्यम से अंतिम संस्कार के धुंए के जरिए निकलने वाली गैसों को पानी के जरिए खत्म कर दिया (Pollution free animal cemetery in Kota) जाएगा. चिमनी से ऊपर केवल शुद्ध हवा ही बाहर जाएगी.

पालतू जानवरों का भी कर सकेंगे अंतिम संस्कार:मित्तल ने बताया कि आरके पुरम मुक्तिधाम के एक हिस्से में ही इसे तैयार करवाया जा रहा है. इसके लिए रास्ता अलग होगा. पाइप्ड नेचुरल गैस कनेक्शन ले लिया है, लेकिन नगर निगम से अनुमति नहीं मिली है. जबकि सहमति हमारी पहले बन चुकी थी. पशुओं के दाह संस्कार होने से पूरे शहर को गंदगी से भी मुक्ति मिल जाएगी. राजस्थान में ऐसा कहीं भी नहीं है. यह प्रदेश का पहला ऐसा शवदाह गृह होगा. ऐसा ही एक प्लांट दिल्ली के ओखला में लगाया है. शवदाह गृह में पालतू जानवरों का भी अंतिम संस्कार किया जा सकेगा.

नगर निगम ने बनाई बिल्डिंग, संस्थान ने लगाया प्लांट: आरकेपुरम मुक्तिधाम का निर्माण नगर विकास न्यास ने किया था. जबकि इस पीएनजी आधारित शवदाह गृह के निर्माण के लिए भवन का निर्माण नगर निगम दक्षिण ने किया है. वहीं 30 लाख रुपए की लागत से शवदाह गृह प्लांट मातेश्वरी सेवा संस्थान ने स्थापित करवाया है. इसको लेकर नगर निगम कोटा दक्षिण और मातेश्वरी सेवा संस्थान ने एमओयू किया है. मित्तल ने बताया कि यह प्रदेश का एकमात्र प्लांट है। जिसके पास पोलूशन फ्री का सर्टिफिकेट है. यह पीएनजी संचालित होने के आधार पर सर्टिफिकेट मिला है.

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नगर निगम करेगा जानवरों के अंतिम संस्कार का खर्चा वहन: मित्तल का कहना है कि राजस्थान स्टेट गैस लिमिटेड से कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत निशुल्क गैस के लिए बात की थी, लेकिन उन्होंने वर्तमान में इस तरह का कोई प्रावधान होने से इनकार कर दिया है. ऐसे में नगर निगम के नाम से कनेक्शन लिया गया है. नगर निगम कोटा दक्षिण इसका पैसा वाहन करने के लिए तैयार हो जाता है, तो आम जनता से किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा. हालांकि गैस के जरिए अंतिम संस्कार में 1000 से 1500 रुपए तक कि गैस का खर्च (Expense of PNG operated crematorium) होगा. अगर कोई व्यक्ति यह राशि नहीं दे पाएगा और लावारिश शव है, तो यह पैसा भी संस्थान वहन करेगा. जबकि जानवरों के लिए लगने वाले में नगर निगम दक्षिण पैसा वहन करेगा.

30 मिनट से 2 घंटे तक लगेगा समय: चतुर्वेदी ने बताया कि मनुष्यों के अंतिम संस्कार में 60 से लेकर 80 मिनट तक लगते हैं. इसमें 25 से 30 मिनट में कपाल क्रिया हो जाती है. उसके बाद में 2 घंटे के भीतर अस्थियां लोगों को दे सकते हैं. इसका तापमान करीब साढे 700 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा और उसकी कैपेसिटी 600 किलोग्राम है. जबकि जानवरों का बॉडी वेट ज्यादा होता है. इसमें उनकी कैपेसिटी 1500 किलोग्राम रखी गई है. साथ ही इसमें जो तापमान 1500 से 2000 डिग्री सेल्सियस तक रहेगा. पशुओं की बॉडी का वजन ज्यादा होता है, लेकिन इसका कनेक्शन ज्यादा क्षमता वाला है, ऐसे में इसमें 2 घंटे के आसपास का समय लगेगा. हालांकि छोटे जानवरों के अंतिम संस्कार में 30 मिनट भी रह सकता है.

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इंडस्ट्री आधारित गैस कनेक्शन: चतुर्वेदी ने बताया कि राजस्थान स्टेट गैस लिमिटेड पाइप्ड नेचुरल गैस को घरों तक भी पहुंचा रही है. इसके अलावा इंडस्ट्रियल सप्लाई भी दे रही है. ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए शवदाह गृह में काफी मात्रा में गैस की आवश्यकता थी, जिसको लेकर भी बड़ा इंडस्ट्रियल कनेक्शन ही हमने लिया है. यह कनेक्शन इंस्टॉल भी हो गया है और हमने इससे दो लावारिश शवों सहित अन्य सामग्री जला ट्रायल भी कर लिया है. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल 15 अगस्त को इसका बटन दबाकर आधिकारिक शुरुआत करेंगे. जिसके बाद आम जनता को यह सुविधा मिलने लग जाएगी.

Last Updated : Jul 23, 2022, 12:29 AM IST

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