कोटा.देश के सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम एडवांस्ड (JEE ADVANCED 2022) का आयोजन इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे (IIT BOMBAY) ने 28 अगस्त को देश भर के 215 शहरों के परीक्षा केंद्रों पर किया था. कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट (CBT) मोड पर आयोजित हुई इस परीक्षा में कई विद्यार्थियों के कंप्यूटर के मॉनिटर पर प्रश्नपत्र 300 फीसदी जूम पर आया था. इसके साथ ही कई तकनीकी अन्य खामियां भी सामने आई थी. जिनको लेकर कोटा सहित देशभर में पेरेंट्स ने नाराजगी जताई थी और सेंटर पर शिकायती पत्र भी दिए थे.
इसी मामले को लेकर कोटा के रानपुर स्थित शिव ज्योति इंटरनेशनल स्कूल में परीक्षा देने पहुंचे बिहार के छात्र आर्यन गुप्ता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में रिट पिटिशन (Petition Filed in Bombay High Court) दायर की है. यह रिट पिटिशन उन्होंने 6 सितंबर को दायर की थी, जिस पर न्यायालय ने 13 सितंबर को सुनवाई के लिए रखा था, लेकिन विद्यार्थी की तरफ से एडवोकेट नितिन गवारे पाटिल ने पक्ष रखा. साथ ही कहा कि जेईई एडवांस 2022 का परिणाम ही 11 अगस्त को जारी हो जाएगा. ऐसे में उसके पहले इमरजेंसी बेस पर इसकी सुनवाई की जाए.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसकी सुनवाई अब 8 सितंबर को तय कर दी है. इस मामले में भारत सरकार और जेईई एडवांस्ड की आयोजन एजेंसी आईआईटी मुंबई को पार्टी बनाया है. याचिका दाखिल करने वाले आर्यन गुप्ता के पिता डॉ. अजय गुप्ता का कहना है कि जेईई एडवांस की 28 अगस्त को आयोजित हुई परीक्षा में उनके पुत्र की कंप्यूटर स्क्रीन तीन सौ पर्सेंट जूम पर होने के चलते उनका पेपर सॉल्व करने में काफी समय जाया चला गया. डॉ. अजय कुमार का यह भी कहना है कि ऐसा केवल उनके बच्चे के साथ नहीं हुआ है. हजारों बच्चों के साथ इस तरह से समस्या आई है. इसी के चलते जिन भी बच्चों को प्रॉब्लम इस एग्जाम में हुई है, उनका री- एग्जाम करवाना चाहिए.
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16 अगस्त को कर चुके थे मेल के जरिए आगाह : डॉ. अजय गुप्ता का कहना है कि 16 अगस्त 2022 को ही आईआईटी बॉम्बे को इस संबंध में शिकायत कर चुके थे कि एग्जाम में जूम इन और जूम आउट की फैसिलिटी होनी चाहिए. उन्होंने शिकायत के रूप में किए गए इस मेल में यह भी बताया था कि स्टूडेंट को पूरा क्वेश्चन पढ़ने में लगातार स्क्रोलिंग करनी पड़ती थी. लगातार स्क्रीन को अप एंड डाउन करने पर काफी समय चला जाता है. जबकि ऑफलाइन एग्जाम में इस तरह की समस्या नहीं आती थी, लेकिन जेईई एडवांस्ड की आयोजन एजेंसी आईआईटी बॉम्बे ने इस संबंध में कोई सुनवाई नहीं की. इसका यह नतीजा रहा कि कई बच्चों की कंप्यूटर स्क्रीन के गड़बड़झाले के चलते उनका पेपर बिगड़ गया.