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चिकित्सा विभाग की अलग थ्योरी, एंटीजन टेस्ट में पॉजिटिव और एंटीबॉडी में नेगेटिव आने पर नहीं मानते मरीज को डेंगू पीड़ित - antibody negative

कोटा संभाग के तमाम अस्पतालों में डेंगू के संदिग्ध मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालांकि अस्पताल में भर्ती मरीजों में एंटीजन टेस्ट में पॉजिटिव आने के बाद यदि एंटीबॉडी टेस्ट में मरीज नेगेटिव पाया जाता है तो उसे डेंगू पीड़ित नहीं माने जा रहे हैं. हालांकि उनका ट्रीटमेंट डेंगू गाइडलाइन के तहत ही किया जा रहा है.

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कोटा में डेंगू

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Published : Sep 29, 2021, 6:26 PM IST

Updated : Sep 29, 2021, 11:02 PM IST

कोटा.मौसमी बीमारियों का कहर लगातार बढ़ रहा है. डेंगू, स्क्रब टायफस के साथ-साथ मलेरिया के भी संदिग्ध मरीज सामने आ रहे हैं. चिकित्सकों का मानना है कि अधिकांश मरीज हड्डी तोड़ बुखार यानी कि काफी हाई ग्रेड फीवर लेकर आ रहे हैं. इनमें से अधिकांश मरीज एंटीजन टेस्ट यानी कार्ड में पॉजिटिव मिलते हैं, लेकिन एंटीबॉडी टेस्ट में पॉजिटिव नहीं आने के चलते सरकार इन्हें डेंगू संक्रमित नहीं मानती है. हालांकि इनका उपचार डेंगू की गाइडलाइन के तहत ही हो रहा है.

कोटा मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. सीपी मीणा का कहना है कि अस्पताल में उनके मेडिसिन वार्ड में भर्ती 60 से 70 फ़ीसदी मरीज डेंगू पॉजिटिव हैं. रोज करीब 30 से 40 नए मरीज रोज अस्पताल में भर्ती होते हैं, इनमें से 60 से 70 प्रतिशत मरीज डेंगू के लक्षण लेकर आ हो रहे हैं. इस हिसाब से देखा जाए तो करीब 25 मरीज रोज डेंगू के नए आ रहे हैं.

कोटा में डेंगू

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हालांकि एंटीजन टेस्ट (कार्ड) में यह सभी एनएस 1 डेंगू पॉजिटिव मिलते हैं, लेकिन एंटीबॉडी टेस्ट में पॉजिटिव आने में 2 से 3 दिन लगते हैं. अस्पताल में एंटीबॉडी टेस्ट ही हो रहे हैं जिनकी रिपोर्ट ही सरकार को करती हैं. जबकि कोटा जिले में अब तक 244 केस बताए गए हैं. इनमें से बीते दो दिनों में ही 24 मामले सामने आए हैं.

बाढ़ प्रभावित इलाकों से ज्यादातर मरीज

मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. सीपी मीणा का कहना है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों में पेरीफेरी से ज्यादातर मरीज आ रहे हैं, जिनमें बाढ़ ग्रस्त एरिया इटावा और सांगोद से ज्यादा मरीज आ रहे हैं. शहर के ढेरों मरीज आ रहे हैं. इनमें स्टूडेंट ज्यादा हैं क्योंकि कई जगह कूलर भरे हैं तो उनमें ब्रीडिंग ज्यादा होती है. डॉ. मीणा का कहना है कि सभी से अपील है कि सप्ताह में 7 दिन सूखा दिवस मनाया जाए और कूलर को पूरी तरह से साफ करके सुखा लें, ताकि मच्छरों की ब्रीडिंग कम हो.

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अस्पताल का आउटडोर 2500, वार्ड भी हाउसफुल

केवल संभाग के सबसे बड़े अस्पताल एमबीएस की बात की जाए तो वहां पर मौसमी बीमारियों के चलते अब आउटडोर 2500 से ज्यादा है जोकि 1500 के आस पास ही रहता था. एमबीएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना का कहना है कि बुखार के मरीजों में इजाफा हुआ है. डेंगू और स्क्रब टायफस और मलेरिया के मरीज भी हैं. वार्ड तकरीबन फूल हैं अन्य बीमारियों के मरीज भी हैं. अस्पताल में जहां पर 750 मरीजों को ही भर्ती रखने की क्षमता है उसके मुकाबले 1200 से ज्यादा मरीज यहां हैं.

डेंगू के लिए रिजर्व किए 50 बेड

एमबीएस अधीक्षक डॉ. सक्सेना का कहना है कि हर साल 15 बेड ही डेंगू के लिए रिजर्व किए जाते थे लेकिन इस बार यह संख्या बढ़ाकर 50 कर दी गई है क्योंकि मरीज लगातार आ रहे हैं. इनमें 15 बेड मौसमी बीमारियों के वार्ड में है. इसके अलावा 15 आईसीयू में और इसके अलावा 20 सर्जिकल वार्ड में रिजर्व रखे हैं. इसके साथ ही 24 घंटे डेंगू की जांच अस्पताल में हो रही है और उसकी रिपोर्ट भी जांच वाले दिन ही दी जा रही है. साथ ही ब्लड प्लेटलेट काउंट के लिए भी सीबीसी जांच होती है उसकी रिपोर्ट भी तुरंत दी जा रही है. सिंगल डोनर प्लेटलेट्स और रेंडम डोनर प्लेटलेट्स भी मरीजों को मिल रही है. अस्पताल में लोड बढ़ गया है, लेकिन जो हमारे पास संसाधन है उसका पूरा उपयोग कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 29, 2021, 11:02 PM IST

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