कोटा.कोटा यूनिवर्सिटी में चिकित्सा विभाग और निजी इंस्टीट्यूट की ओर से संचालित किए जा रहे कोविड केयर सेंटर में बेहतर उपचार और सकारात्मक माहौल से अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं. रविवार को यहां से प्रेमनगर निवासी रामविलास (38) डिस्चार्ज हुए, जिनका भर्ती होते समय एचआरसीटी स्कोर 25 में से 24 था और ऑक्सीजन लेवल 65 ही रह गया था. पेशे से प्राइवेट स्कूल में टीचर रामविलास का परिवार विपरीत परिस्थितियों के चलते आस खो बैठा था. कोविड केयर सेंटर में न केवल नया जीवन मिला वरन यहां मिले माहौल से इतनी सकारात्मक ऊर्जा मिली कि वे जल्द स्वस्थ होकर खुद चलकर घर लौटें.
रामविलास ने बताया कि घर पर 4-5 दिन हल्के बुखार के बाद 10 मई को तबियत नासाज लगी तो डॉक्टर्स की सलाह पर एचआरसीटी और अन्य जांचें करवाई. एचआरसीटी में लंग्स में इनफेक्शन का लेवल 25 में से 24 आया, मतलब 90 प्रतिशत इंफेक्शन था. ऑक्सीजन का लेवल चेक किया तो 71 आया और इसके बाद लगातार गिर रहा था. चिकित्सकों ने तुरंत भर्ती होने की बात कही. शहर के करीब आधा दर्जन से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल में गए तो वहां एडमिट नहीं किया, बोले कि इन्हें आईसीयू या वेंटिलेटर की जरूरत है, मेडिकल कॉलेज ले जाओ. वहां पहुंचे तो वहां भी बेड खाली नहीं थे. भतीजे राजेन्द्र और परिजनों ने खूब निवेदन किया लेकिन कुछ नहीं हुआ.
भतीजे राजेन्द्र ने बताया कि हम आस खो बैठे थे. चिकित्सकों ने जवाब दे दिया कि ऑक्सीजन लगातार गिर रही है और तुरंत ऑक्सीजन नहीं मिली तो जीवन खतरे में आ जाएगा. मेडिकल कॉलेज में बहुत ज्यादा निवेदन करने के बाद उन्होंने कोटा यूनिवर्सिटी कोविड केयर सेंटर में रेफर लिखकर भेज दिया. यहां आए तो भर्ती करके तुरंत ऑक्सीजन लगा दी. तब इनका ऑक्सीजन लेवल 65 ही आ रहा था. इसके बाद प्रारंभिक उपचार शुरू किया. ऑक्सीजन लगने से कुछ राहत मिली.
फाइब्रोसिस वाली स्टेज में बीमारी आगे बढ़ने की संभावना कम : डॉ.विनोद जांगिड
डॉक्टर विनोद जांगिड़ ने बताया कि सीटी स्केन रेडियोलॉजिकल इमेजिंग स्कोर होता है. पहली बात तो चिकित्सक की सलाह से ही सीटी स्केन करवाना चाहिए. दूसरी बात प्रॉपर टाइमिंग, प्रॉपर इनवेस्टीगेशन और प्रॉपर इलाज से मरीज जल्द ठीक हो सकता है. सीटी स्कोर देखकर मरीज को पैनिक नहीं होना चाहिए. रामविलास को ऑक्सीजन और स्टेरॉयड की जरूरत थी जो हमने दिया और जल्द ठीक हो गया. बीमारी की स्टेज का फर्क पड़ता है. फाइब्रोसिस वाली स्टेज में स्कोर ज्यादा आता तो है लेकिन बीमारी के आगे बढ़ने की संभावना कम होती है. इसलिए ज्यादा खतरनाक नहीं कहा जा सकता है. यदि बीमारी की शुरुआत में सीटी स्कोर जयादा है तो जान को खतरा है. इसके अलावा सकारात्मक माहौल का भी फर्क पड़ता है, जो यहां मिल रहा है.
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