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सभी लोकतांत्रिक संस्थाएं मजबूत हों, हंगामे की जगह संवाद होना चाहिए: ओम बिरला

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला कोटा दौरे पर हैं. शनिवार को उन्होंने मीडिया से बातचीत की और संसद के कार्यों के बारे में जानकारियां दी. बिरला ने कहा कि किस तरह से ग्राम सभाओं से लेकर संसद तक चर्चा हो और सभी लोकतांत्रिक संस्थाएं मजबूत हों, हंगामे की प्रवृत्ति को भी सभी जगह रोकना चाहिए. इसके लिए अच्छा सिस्टम बनाना होगा. हंगामे की जगह संवाद होना चाहिए, जिससे की कार्यपालिका भी निरंतर लोगों के उठाए हुए मुद्दों का समाधान करें.

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लोकसभा स्पीकर ओम बिरला

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Published : Jan 2, 2021, 10:56 PM IST

कोटा.लोकसभा स्पीकर ओम बिरला कोटा दौरे पर हैं. शनिवार को उन्होंने मीडिया से बातचीत की और संसद के कार्यों के बारे में जानकारियां दी. उन्होंने कहा कि विश्व के अंदर वैदिक काल से ही भारत में लोकतंत्र था. इसलिए पूरे विश्व को दिशा देने का काम हमने किया है. इसलिए हमारी सभी संस्थाएं, ग्राम सभा, पंचायत समिति, जिला परिषद, नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगम में अच्छी चर्चा और संवाद होने चाहिए, जो चुनी हुई संस्था की जवाबदेही हैं, वह पूरी होनी चाहिए. इसके लिए व्यापक अभियान चलाया जाएगा.

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला

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ओम बिरला ने कहा कि किस तरह से ग्राम सभाओं से लेकर संसद तक चर्चा हो और सभी लोकतांत्रिक संस्थाएं मजबूत हों, हंगामे की प्रवृत्ति को भी सभी जगह रोकना चाहिए. इसके लिए अच्छा सिस्टम बनाना होगा. हंगामे की जगह संवाद होना चाहिए, जिससे की कार्यपालिका भी निरंतर लोगों के उठाए हुए मुद्दों का समाधान करें.

पहले सत्र में ऐतिहासिक कार्य किया

बिरला ने संसद के कामकाज के बारे में बताते हुए कहा कि उनके अध्यक्षीय कार्यकाल के पहले सत्र में रिकॉर्ड कार्य हुआ. संसद के 1952 के बाद यह पहला सत्र था, जिसमें ऐतिहासिक कार्य हुआ. इस सत्र की उत्पादकता 110 फीसदी थी. इसमें 37 बैठकें हुई और 1 दिन भी कार्रवाई बाधित नहीं हुई. साथ ही 35 विधेयक भी पारित हुए. दूसरे सत्र में भी करीब-करीब उत्पादकता की दृष्टि से बढ़िया था. जिसमें 20 बैठकें हुई और 34 विधेयक पारित हुए. इसके साथ ही तीसरा सत्र कोविड-19 के दौर में आया. जिसमें भी संसद सदस्यों ने अपने दायित्वों का निर्वहन किया. उपस्थिति भी अच्छी रही. साथ ही उत्पादकता 167 फीसदी रही है और 25 विधायक भी इसमें पारित हुए.

प्रश्नकाल में भी औसत 4 से कम था जो बढ़कर 7 से ज्यादा हुआ

स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि प्रश्नकाल में भी जहां सामान्य रूप से औसत 4 से कम रहता था वह 7 से ऊपर चला गया है. ज्यादा चर्चाएं उनके अध्यक्ष के कार्यकाल में हुई हैं. इसके अलावा लिखित में प्रश्नों का उत्तर जो 1 महीने में देना होता है, वह पहले 60 से 65 फीसदी ही हुआ करता था. अब इसे बढ़ाकर 98 फीसदी कर दिया गया है. यह भी उपलब्धि है, सभी सांसदों को लिखित में उनके उत्तर समय से पहुंचाए जा रहे हैं.

संसद की रिसर्च विंग को किया मजबूत

बिरला ने कहा कि राज्यसभा व लोकसभा से लेकर सभी राज्यों के विधान मंडल और विधानसभाओं को एक पटल पर लेकर आए हैं. जहां पर व्यक्ति जाकर देख सकता है कि क्या-क्या कार्रवाई हुई हैं. इनमें उन सदनों में पेश हुए बजट से लेकर हर जानकारी उपलब्ध है. इसके लिए एक प्लेटफार्म उन्हें उपलब्ध करवाया गया है. साथ ही उन्होंने संसद की रिसर्च विंग को मजबूत किया है. इसके दौरान जिन सांसदों ने मुद्दे उनके इलाकों के उठाए हैं, उससे जुड़े वीडियो या विजुवल उन्हें तुरंत उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, ताकि वे जनता को बता सकें. आम जनता और गांव ढाणी के लोगों को भी उनके सांसद के बारे में जानकारी मिल सके ऐसी व्यवस्था की है.

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