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कोचिंग सिर्फ कोटा की अर्थव्यवस्था ही नहीं, देश के बच्चों का भविष्य भी तय करती हैः ओम बिरला - ओम बिरला का कोटा का दौरा

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कोटा में फिर से कोचिंग संस्थान में पढ़ाई शुरू करनाने के लिए पत्र लिखा है. ओम बिरला चार दिवसीय कोटा कोटा दौरे पर आए हैं. इसी दौरान उन्होंने इस बारे में बातचीत करते हुए कहा कि ये बच्चों के भविष्य के साथ कोटा के अर्थव्यवस्था का भी प्रश्न है.

Om Birla, Kota coaching institute
ओम बिरला ने CM को लिखा पत्र

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Published : Dec 31, 2020, 2:28 PM IST

कोटा. कोविड-19 के दौर के चलते बीते 10 महीने से कोटा के कोचिंग संस्थान बंद हैं और इसका खामियाजा पूरा कोटा उठा रहा है. यहां की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है. इसको लेकर कोटा शहर की व्यापार महासंघ से लेकर कोचिंग से जुड़ी सभी संस्थाएं आंदोलनरत थे. उन्होंने कोटा बंद का भी आह्वान किया है. ऐसे में कोटा बूंदी सांसद और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है.

ओम बिरला ने CM को लिखा पत्र

ओम बिरला चार दिवसीय कोटा कोटा दौरे पर आए हैं. उन्होंने इस बारे में बातचीत करते हुए मीडिया से कहा कि कोचिंग कोटा की अर्थव्यवस्था भी है और देश भर के यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों के जीवन का प्रश्न भी है. उनका यहां कोचिंग प्राप्त करने के साथ आईआईटी और मेडिकल इंजीनियरिंग कॉलेजों में निश्चित रूप से अच्छी रैंक पर एडमिशन हो जाता है, जो परिणाम आईआईटी और मेडिकल के आते हैं. उनमें अच्छी प्राथमिकता और वरीयता आती है. यहां पर दक्षता अच्छी शिक्षा दी जाती है. निश्चित रूप से बच्चों के भविष्य के साथ कोटा के अर्थव्यवस्था का भी यह प्रश्न है. कोटा सांसद ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मैंने पत्र लिखकर इस मामले पर गौर करने का आग्रह किया है कि किस तरीके से गाइडलाइन बनाए, जिससे कोटा की कोचिंग शुरू हो सके.

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उन्होंने कहा कि कोटा की कोचिंग ही नहीं, राजस्थान के अंदर जहां पर कोरोना वायरस कम हुआ है, वहां पर किस तरह से कोविड-19 की पालना करते हुए बच्चे भी सुरक्षित रहे और उनकी शिक्षा-दीक्षा भी ठीक से शुरू हो. इसके साथ ही उन्होंने किसान आंदोलन पर भी यह कहा कि सकारात्मक वार्ता का दौर शुरू हो गया है, जल्दी समाधान निकलेगा.

सुविधा संपन्न हो गांव, नहीं हो पलायन

ओम बिरला ने मीडिया से यह भी कहा कि कोटा बूंदी सांसद क्षेत्र परिवार है. मेरी कोशिश रहती है कि संसदीय कार्य से जब भी फ्री होता हूं, तो अपने क्षेत्र की जनता के अभाव अभियोग सुनता हूं. उनके दुख और सुख में भी भागीदार बनने की कोशिश करता हूं. यहां से लगातार नई स्फूर्ति मुझे मिलती है. स्वालंबन के आधार पर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का भी कार्य किया जा रहा है. इस तरह से रोजगार का सृजन कर सकते हैं. गांव में अच्छी शिक्षा अच्छा स्वास्थ्य और सभी सुविधाएं मिले जो शहरों में है, ताकि गांव से शहर की ओर पलायन नहीं हो.

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