कोटा. COVID- 19 महामारी के दौरान लॉक डाउन के बाद शिक्षा नगरी कोटा की अर्थव्यवस्था बेपटरी ही है. अब उम्मीद बनी है कि शिक्षा नगरी फिर से आबाद होगी और लाखों स्टूडेंट जो यहां अपना करियर बनाने के लिए आते हैं, वे यहां के लिए दोबरा रुख करेंगे. कोटा की कोचिंग संस्थान से लेकर हॉस्टल, मेस, थड़ी, ऑटो चालक और आम आदमी तक इन बच्चों की केयर के लिए तैयार है.
बता दें, राज्य सरकार ने गाइडलाइन भले ही 7 जनवरी को जारी की हो, लेकिन कोटा की कोचिंग संस्थानों ने पहले ही रोड मैप बना लिया था और इसकी तैयारी शुरू कर दी थी. यहां तक कि हॉस्टल और मेस भी कोविड-19 नियमों को देखते हुए पहले से ही तैयार थे. शिक्षा नगरी कोटा अब करियर सिटी के साथ-साथ केयर सिटी की भी जिम्मेदारी संभालेगी.
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दरअसल, राज्य सरकार ने कोविड-19 महामारी के बाद कोचिंग संस्थानों को खोलने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी कर दी है. इसके अधिकांश निर्देशों की पालना कोटा की कोचिंग संस्थानें पहले से ही कर रही हैं. कोचिंग संस्थान में प्रवेश के साथ ही स्टूडेंट को सैनिटाइजेशन की व्यवस्था, हॉस्टल संचालकों ने भी सैनिटाइजेशन के लिए मशीनें लगा दी हैं. साथ ही हॉस्टल के एक-एक फ्लोर को कोविड डेडीकेटेड आइसोलेशन बनाया गया है, ताकि कोई भी बच्चा अब वहां पर आता है और उसे कोविड-19 के लक्षण नजर आते हैं, तो अन्य बच्चों से उसे अलग रखा जा सके.
स्टैंडर्ड प्रोटोकोल से चल रहे डाउट काउंटर
कोटा कोचिंग संस्थानों में बच्चों के लिए डाउट काउंटर संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल कोविड-19 से बचाव का फॉलो किया जा रहा है. संस्थानों में बच्चों को जब डाउट काउंटर पर जाना होता है, तो उसके पहले सैनिटाइजेशन से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग पूरी बनाई जाती है. इसके साथ ही जब वह फैकल्टी के सामने जाकर बैठते हैं, तो भी एक प्लास्टिक शीट से आपस में डिस्टेंस रखा जाता है. स्टूडेंट्स और फैकल्टी के बीच इंटरेक्शन होता है, लेकिन कोविड-19 वायरस का ट्रांसमिशन कैसे रोका जाए, इसकी पूरी पालना की जा रही है.
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क्लासरूम में अल्ट्रा वायलट सैनिटाइजेशन सिस्टम सेट
कोटा के एक निजी कॅरियर इंस्टीट्यूट में सैनेटाइजेशन के लिए अल्ट्रा वायलट सिस्टम तैयार किया गया है. इसके तहत क्लासरूम में यूवी लाइट्स लगाई गई है. इनमें सेंसर्स भी लगाए गए हैं. क्लासरूम खाली होने के साथ ही ये लाइट्स ऑन हो जाएंगी और क्लासरूम पूरी तरह से सैनेटाइज हो जाएंगे. इसके बाद जब क्लास में स्टूडेंट्स आएंगे, तब ये बंद हो जाएगा. ऐसी सैनेटाइजेशन की व्यवस्था इंदौर सहित देश के कई शहरों में बड़ी कंपनियों में इस्तेमाल किए जा रहे हैं.
कोचिंग संस्थानों के क्लास रूम स्टूडेंट के लिए हॉस्पिटल तैयार
एक निजी कोचिंग संस्थान के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान विद्यार्थियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए 31 बेड का अस्पताल तैयार किया गया है. इसमें प्राथमिक उपचार की सभी सुविधाएं विकसित कर ली गई हैं. कोचिंग संस्थान में कार्यरत चिकित्सक इसमें सेवाएं देंगे. यह अस्पताल इलेक्ट्रोनिक कॉम्पलेक्स में तैयार किया गया है. कोटा के कोचिंग संस्थानों में फिलहाल ऑनलाइन क्लासेस चल रही हैं, जो अब ऑफलाइन भी होंगी. लेकिन, यहां पर करीब 25 हजार स्टूडेंट हॉस्टल और पीजी में रह रहे हैं, जो मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी कर रहे हैं. वहीं, छात्र और इनके अभिभावक खुद चाहते थे कि जल्द से जल्द कोचिंग खुले. इनका कहना है कि ऑनलाइन में जो उन्हें समस्याएं आ रही थीं वह अब दूर होंगी.
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लॉकडाउन में 50 हजार स्टूडेंट्स को सकुशल भेजा था घर
कोरोना के दौरान लॉकडाउन में कोटा ने करियर ही नहीं, बल्कि केयर सिटी के रूप में भी पहचान स्थापित की. लॉकडाउन में कोटा में फंसे 50 हजार से अधिक स्टूडेंट्स का पूरा ध्यान रखा गया. उन्हें भोजन, मेडिकल सुविधाएं दी गईं. इसके बाद उन्हें घर भेजने के लिए केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और कोचिंग संस्थानों ने साथ मिलकर देश का सबसे बड़ा अभियान चलाया, जिसमें 28 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों के 50 हजार से अधिक स्टूडेंट्स को ट्रेन, बसों और व्यक्तिगत वाहनों के जरिए स्वस्थ और सुरक्षित घर भेजा गया. लॉकडाउन के दौरान देश में सबसे पहली ट्रेन कोटा से ही स्टूडेंट्स को लेकर झारखंड के लिए रवाना हुई थी.
'हम केयर को तैयार'
विश्वनाथ शर्मा बताते हैं कि जिस प्रेम और स्नेह से कोटा ने 50 हजार बच्चों को वापस कोविड-19 महामारी के दौरान अपने घर पहुंचाया था. वह वापस 2 लाख बच्चों को कोटा में स्वागत करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अब करियर के साथ उनकी पूरी केयर भी की जाएगी और उनके मां-बाप को यह आश्वस्त किया जाएगा कि बच्चे कोटा में पूरी तरह से सुरक्षित हैं.
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सिंगल रूम कल्चर सबसे बड़ी जीत
कोविड-19 में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवाई जाती है, लेकिन कोटा ही एकमात्र ऐसा शहर है, जहां पर हॉस्टल्स में सिंगल रूम कल्चर है. यहां पर हॉस्टल्स के रूम में एक ही बच्चे को रखा जाता है. यहां तक कि जो पीजी में बच्चे रहते हैं, वह भी सिंगल रूम ही दिया जाता है. ऐसे में कोटा शहर में जो बच्चे रहते हैं, वह पहले से ही आइसोलेट होकर रहते हैं. यही कोविड 19 में जरूरी भी है.
कोटा की अर्थव्यवस्था को नई उम्मीद
हॉस्ट और पीजी में पढ़ता छात्र कोविड-19 से बचाव के लिए लॉकडाउन के बाद अब लगभग सब कुछ अनलॉक जैसा है. दुकानें, मार्केट औल मॉल्स सब चालू हैं. आर्थिक स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है, लेकिन कोटा अनलॉक के 4 महीने बाद भी 3 हजार करोड़ के नुकसान में है. यहां की कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई शुरू नहीं हुई थी, इसके चलते बच्चे कोटा नहीं आए और पूरा खामियाजा कोचिंग इंडस्ट्री से जुड़े हॉस्टल्स, मेस संचालकों से लेकर छोटे फुटकर व्यापारी तक ने झेला है. करीब एक लाख लोग अभी भी बेरोजगार हुए हैं, जिन्हें अब रोजगार की उम्मीद है.
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दुकानों पर से हटा दिए वर्कर
कोटा के दुकानदारों की बात की जाए तो जहां मेस और फास्ट फूड सहित रेस्टोरेंट जूस कॉर्नर और फुटकर के सभी व्यापार बंद हैं, जो अब शुरू होंगे. इसके अलावा हॉस्टल्स में करीब 35 से 40 हजार लोग कार्यरत थे. अभी सभी बेरोजगार हैं. इनमें कुक, सिक्योरिटी गार्ड, वार्डन, हाउसकीपिंग स्टाफ और इलेक्ट्रीशियन शामिल थे. ऐेसे में अब दोबारा शुरू होने पर इन्हें भी रोजगार मिल सकेगा. कोटा कोचिंग एरिया समेत पूरे शहर में करीब 15 हजार ऑटो चलते थे, यह पूरी तरह से बंद थे, अब इन्हें भी रोजगार मुहैया होगा और कोटा शहर फिर से सड़कों पर चलेगा.
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पहले जैसा होगा माहौल
कोटा की कोचिंग एरिया की बात की जाए तो इंद्र विहार, जवाहर नगर, राजीव गांधी नगर, लैंडमार्क और कोरल पार्क में संचालित होने वाली दुकानें पर पूरी तरह से काम भी नहीं चल रहा है. इनमें अधिकांश ग्रॉसरी, रेडीमेड, ऑप्टिकल लेंस, स्टेशनरी, कंप्यूटर, टेलर शॉप, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, जेरोक्स, फोटो कॉपी और बार्बर शॉप शामिल हैं. पहले जहां पर उन्हें फुर्सत भी नहीं मिलती थी, वे अब दिन भर खाली बैठे रहते हैं. इक्के-दुक्के ही ग्राहक आते हैं. इन सभी को उम्मीद बंधी है कि कोचिंग शुरू होने के साथ ही उनका व्यापार भी पहले जैसा होगा. कई दुकानदारों ने अपनी दुकान बंद कर दी है, क्योंकि खर्चा भी उनका नहीं निकल पा रहा था. कोचिंग एरिया में जहां पर किराया भी ज्यादा रहता है, ऐसे में अब यह दुकानें खाली ही पड़ी हुई हैं.