कोटा. कांग्रेस में ऊपर से लेकर नीचे तक उथल पुथल का दौर चल रहा है. कांग्रेस को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने वाला है. स्पष्ट है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की पदवी संभालते ही सीएम अशोक गहलोत को वर्तमान पद छोड़ना पड़ेगा. इसके साथ ही सवाल मौजूं है कि फिर प्रदेश की कमान किसको सौंपी जाएगी? इसमें सबसे टॉप पर पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का नाम है. इस बीच पूरे प्रदेश के संभागों की स्थिति को लेकर गुणा भाग भी खूब किया जा रहा है. हाड़ौती के विजयी 7 विधायक गहलोत समर्थक हैं.
हालांकि हाड़ौती से कांग्रेस के 7 विधायक आते हैं. 2018 में 17 सीटों पर चुनाव हुए थे जिनमें से 7 कांग्रेस के पाले में गई थी. ये सात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी माने जाते हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हाड़ौती ताकतवार बनाता है. कोटा के वरिष्ठ पत्रकार सुनील माथुर के अनुसार हाड़ौती में सचिन पायलट अपना वर्चस्व नहीं खड़ा कर पाए थे. विधानसभा चुनाव 2018 में वे अपने समर्थक नेताओं को टिकट भी पार्टी से नहीं दिला पाए थे. जबकि वे प्रदेश अध्यक्ष थे. ऐसे में हाड़ौती के जितने भी विधायक हैं. उनमें पायलट के सहयोगी न होकर सभी गहलोत समर्थक हैं.
चांदना पायलट से खफा!: मंत्री अशोक चांदना भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक माने जाते हैं. जब 2013 में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने हाड़ौती में कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था. तब केवल अशोक चांदना ही जीत पाए थे. वो हाड़ौती से कांग्रेस के इकलौते विधायक थे. इसके बाद वे पायलट के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भी यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. उनकी जीत और काबिलियत को गहलोत की पारखी नजरों ने सम्मान दिया और ओहदा भी. विधानसभा चुनाव लड़े और मंत्री बने. चांदना गुर्जर कम्युनिटी से आते हैं वही समाज जिससे सचिन पायलट हैं. ज्यादा वक्त नहीं बीता जब अजमेर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान चांदना को जूते दिखाए गए. वो खफा हुए और अपना गुबार सोशल मीडिया पर जाहिर भी किया. चांदना ने धमकी भरे अंदाज में कहा था- अगर मैं अपनी पर आ गया तो दोनों में से एक ही बचेगा.
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