Special : सैलाब से पहले सतर्कता...बारिश की सटीक जानकारी के लिए लगाए ऑटोमेटिक रेनगेज
मौसम विभाग की मानें तो इस साल राजस्थान में औसत से अधिक बारिश होने की संभावना जताई जा रही है. जिससे बांधों के भरने का अंदेशा भी है. पिछले साल आई भीषण बाढ़ का खामियाजा कोटा वासियों को भूगतना पड़ा था. जिससे सबक लेते हुए इस साल जल संसाधन विभाग की ओर से गांधी सागर बांध का रूलगेज बदल दिया गया है. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...
प्रशासन की बाढ़ से लड़ने की तैयारी पूरी
By
Published : Jul 21, 2020, 3:04 PM IST
कोटा.मध्य प्रदेश में पिछले साल आई भीषण बाढ़ का खामियाजा कोटा वासियों को भी भूगतना पड़ा था. बैराजों से चंबल नदी में लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने के चलते निचले इलाकों में तबाही मच गई थी. सैकड़ों मकान टूट गए थे. यहां के निवासियों का लाखों रुपये का नुकसान हुआ. इतना पानी कोटा बैराज बनने के बाद चंबल नदी में पहली बार छोड़ा गया था. इस बार इस तबाही से कोटा को बचाया जा सके, इसके लिए जल संसाधन विभाग राजस्थान और मध्य प्रदेश ने व्यापक स्तर पर कार्य करते हुए व्यवस्थाओं में बदलाव किए हैं.
प्रशासन की बाढ़ से लड़ने की तैयारी पूरी
बारिश की सटीक जानकारी को लेकर एमपी और राजस्थान के अधिकारियों के बीच समन्वय बैठक हो गई है. इसके अलावा गांधी सागर बांध, जो कि चंबल नदी पर सबसे बड़ा बांध है. इसके रूलगेज को बदल दिया गया है, ताकि इनफ्लो और आउटफ्लो में अंतर रखा जा सके.
गांधी सागर का लेवल बढ़ने से हुआ खतरा...
मध्य प्रदेश में चंबल नदी पर बने गांधी सागर बांध के लबालब भर जाने से हाड़ौती सहित कई इलाकों में चंबल नदी में सिंचाई के लिए पानी मिलता है. इसके चलते मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग ने गांधी सागर बांध को भरने का फैसला किया. पिछले साल अच्छी बारिश हुई, ऐसे में अगस्त माह में यह भर गया. इसके बाद भी लगातार भारी बारिश जारी रही. जिसके चलते उज्जैन, मंदसौर और गांधी सागर बांध के कैचमेंट एरिया में आई बाढ़ से लाखों क्यूसेक पानी रोज आने लगा, लेकिन वहां से पानी छोड़े जाने की क्षमता कम थी. जिससे चंबल नदी में इनफ्लो और आउटफ्लो का अंतर बढ़ गया. जिसके चलते बांध क्षमता से ज्यादा 1319 फिट तक भर गया. जिससे वो खतरे के निशान से भी ऊपर चला गया. बांध को सुरक्षित रखने के लिए लगातार पानी छोड़ा जाने लगा. कोटा बैराज से भी इतिहास में पहली बार साढ़े सात लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो निचले इलाकों में भर गया.
सूचनाओं के आदान-प्रदान के पूरे सिस्टम को दुरुस्त किया
बांधों को भी हो गया था खतरा...
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता कोटा राजीव चौधरी खुद मानते हैं कि पिछले साल जिस तरह से लगातार जलस्तर बढ़ रहा था और बांधों से पानी की निकासी कम हो रही थी. उसके चलते बांधों को ही खतरा हो गया था. राणा प्रताप सागर ओवरफ्लो होकर बहने लग गया था. इसके चलते वहां अभी तक भी बिजली उत्पादन बंद ही है. साथ ही जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज से भी लगातार पानी की निकासी हो रही थी.
सेंट्रल वाटर कमीशन नई दिल्ली ने मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्यों के बीच समन्वय का काम बांधों को लेकर इस बार किया है. इसके तहत सूचनाओं के आदान-प्रदान के पूरे सिस्टम को दुरुस्त किया जा रहा है. इसे ठीक करने के लिए सीडब्ल्यूसी नई दिल्ली ने काफी व्यापक स्तर पर काम किया है. इसके तहत बांध का जल स्तर से लेकर इनफ्लो और अन्य जानकारियां त्वरित गति से वरिष्ठ अधिकारियों तक साझा हो सकेगी.
बांधों में लगाए गए ऑटोमेटिक रेनगेज
बारिश की सटीक जानकारी के लिए ऑटोमेटिक रेन गेज लगाए...
जल संसाधन विभाग राजस्थान में गांधी सागर बांध और राणा प्रतोष सागर बांध के बीच में नए ऑटोमेटिक रेन गेज सिस्टम स्थापित किए हैं. ताकि बारिश की सटीक जानकारी मिल सके. जिससे चंबल नदी में आ रहे इनफ्लो के बारे में भी सही से जानकारी मिलने पर बांधों से पानी डिस्चार्ज का निर्णय समय से लिया जा सके. साथ ही सीडब्ल्यूसी जयपुर से मौसम और बारिश सहित अन्य जानकारियां देने के लिए पाबंद किया गया है.
गांधी सागर बांध का रूल गेज बदला
पिछली बार की गलतियों से सबक लेते हुए इस बार राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सीडब्ल्यूसी नई दिल्ली ने समन्वय का काम करते हुए बैठक करवाई. इसमें अलग-अलग कई बिंदु तय किए गए हैं. जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता कोटा राजीव चौधरी ने बताया कि गांधी सागर बांध ने अपना रूप बदल दिया है. ताकि पिछली बार की तरह कोटा और आसपास के इलाकों में तबाही नहीं हो. गांधी सागर बांध को पहले अवसर में 1304 फीट तक भरा जाएगा. फिर 15 अगस्त तक 1305 फीट और उसके बाद 31 अगस्त फीट 1306, जबकि 15 अगस्त तक 1309 फीट भर लिया जाता था. जिसे अब कम कर दिया गया है. और 30 सितंबर तक 1311 फीट भरते थे अब 5 अक्टूबर के बाद 1311 फीट भरा जाएगा.
पूरे राजस्थान में खतरे के निशान से ऊपर थी चंबल नदी...
प्रदेश में सितंबर माह में अमूमन बारिश कम ही होती है, लेकिन पिछले साल मध्य प्रदेश में भारी बारिश हुई. इसके अलावा कोटा और चित्तौड़गढ़ के भी कई इलाकों में बारिश के चलते बांधों में लगातार पानी का डिस्चार्ज किया गया. जिससे चंबल नदी पूरे राजस्थान में ही खतरे के निशान से ऊपर ही थी. जिसके चलते चित्तौड़गढ़ जिले में प्रवेश से लेकर कोटा, सवाई माधोपुर होती हुई धौलपुर तक नदी के आसपास बाढ़ का मंजर था.