कोटा.सांगोद विधायक भरत सिंह ने प्रदेश के खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया के खिलाफ (Congress MLA protest against Mining Minister pramod Jain Bhaya in Kota) मोर्चा खोला हुआ है. वह कोटा जिले में बारां जिले के गांव खान की झोपड़िया को शामिल करवाना चाहते हैं. इसी को लेकर उन्होंने सोमवार को गड़ेपान पंचायत समिति के बाहर धरना दिया.
उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया पर आरोप (MLA Bharat Singh Targets Mining Minister Pramod Jain Bhaya) लगाते हुए कहा कि उन्होंने मंडल फाउंडेशन ट्रस्ट की पूरी राशि को ही बारां जिले में लगा दिया. भरत सिंह ने कहा कि 300 करोड़ रुपए जो सब जगह लगने थे, जिसमें कोटा जिला भी शामिल था. वह पूरा पैसा बारां जिले में लगा दिया है.
मंडल फाउंडेशन ट्रस्ट की पूरी राशि बारां में लगाने का आरोप भरत सिंह ने साफ कहा कि यह धरना सरकार के खिलाफ नहीं है, केवल व्यवस्था के खिलाफ है. बीते 30 साल में कई मुख्यमंत्री बदल गए, लेकिन बारां जिले का खान की झोपड़िया गांव भौगोलिक स्थिति से कोटा जिले में स्थित है, जिसे कोटा में शामिल नहीं किया गया है.
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विधानसभा में बोल चुका, इसलिए यहां उठा रहा हूं मुद्दा : विधायक भरत सिंह ने कहा कि वह खान की झोपड़िया गांव का मुद्दा एक बार विधानसभा में उठा चुके हैं. अगर दोबारा इस मुद्दे पर बोलेंगे तो विधानसभा अध्यक्ष उन्हें बोलने नहीं देंगे व नीचे बैठा देंगे. इसीलिए वे अब आम जनता के साथ ही इस मुद्दे पर मुखर होकर बोल रहे हैं. उनका कहना है कि गड़ेपान में धरना भी इसलिए दिया गया.
गड़ेपान में एशिया का सबसे बड़ा उर्वरक प्लांट स्थित है, जिसका सीएसआर का पैसा बारां जिले के खान की झोपड़ियों में जाता है. क्योंकि इस प्लांट को जो पानी की जरूरत होती है, वह खान की झोपड़िया स्थित पंप से होती है. बारां जिले के लोग उन्हें दबाव बनाकर यह पंप हटाने की बात कहते हैं. इसके चलते ही सीएसआर का पैसा जो कोटा जिले के गांव में लगना चाहिए, वह इस गांव में लग रहा है. इसलिए वे इस गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग कर रहे हैं.
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जयपुर नहीं जा कर भी उठा रहा पूरा मुद्दा :विधायक भरत सिंह ने कहा कि विधानसभा चल रही है. उन्हें जयपुर विधानसभा में अपने क्षेत्र के मुद्दे उठाने चाहिए, लेकिन उनका कहना है कि मैं यह मुद्दे वहां नहीं जा कर भी उठा रहा हूं. एक विधायक होने के नाते 100 प्रश्न का कोटा हमें मिलता है, वह उतने प्रश्न लगा दिए हैं, जिनका जवाब मुझे मिल जाएगा. साथ ही यह प्रश्न लगाने से सरकार हरकत में भी आ जाती है. इन प्रश्नों के जरिए जो मेरे सुझाव हुए हैं, उनको भी माना जाता है.