कोटा. महामारी ने हजारों लोगों के घर तबाह कर दिए हैं. न जाने कितने परिवारों ने अपनों को खो दिया. किसी ने अपना घर का चिराग खो दिया तो किसी ने माता-पिता. कुछ परिवार ऐसे भी रहे जिसमें घर का सिर्फ एक ही सदस्य बचा रह गया. जिले में भी एक ऐसा ही परिवार सामने आया है जिसमें अब 16 वर्षीय एक बालिका ही बची है. क्योंकि उसकी मां का देहांत जन्म के 1 साल बाद ही हो गया था. और अब कोरोना से उसकी दिव्यांग पिता की भी मृत्यु हो गई.
बालिका मैना कुमारी बॉम्बे योजना सुभाष नगर में अपने दिव्यांग पिता चंद्रमोहन बैरवा के साथ ही रहती थीं. उसके पिता को कोरोना हो गया था और मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. 15 साल से उसके विकलांग पिता ही उसका सहारा थे लेकिन कोविड-19 महामारी ने उससे उन्हें भी छीन लिया. 24 मई को उनका देहांत हो गया जिसके बाद अब इस परिवार में अकेली बालिका ही बची है. बालिका की मदद के लिए आसपास के लोगों ने भी अपील की है ताकि वह आगे अपना भरण-पोषण ठीक से कर सके और पढ़ाई भी जारी रख सके.
डॉक्टर बनाने का सपना दिखाने वाले पिता नहीं रहे साथ
बालिका मैना का कहना है कि जब वह 1 वर्ष की थी तो उसकी मां का निधन हो गया. उसके बाद पिता चन्द्र मोहन ने अपाहिज होते हुए भी माता-पिता दोनों का प्यार देकर 15 साल तक उसकी देखभाल की, लेकिन भगवान ने उन्हें भी छीन लिया. किराए के मकान में रहकर मजदूरी कर घर चलाने वाले चन्द्र मोहन का सपना था कि मैना बड़ी होकर डॉक्टर बने और नाम कमाए. अभी वह कक्षा 9वीं में पढ़ रही है. हालांकि इस अनहोनी के बाद बाद मैना अकेली रह गई. फिलहाल पास में ही मजदूरी करके अपनी जीविका चलाने वाले उसके चाचा उसकी देखभाल कर रहें हैं.