कोटा.साल 2021 में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने स्मार्ट सिटी से लीनियर एक्सीलेटर के लिए बजट जारी करवाने की घोषणा की थी. मशीन के लिए करीब 25 करोड़ रुपए चाहिए थे लेकिन घोषणा अट्ठारह करोड़ की हुई (LINAC In Kota). जरूरत और घोषित बजट के बीच अंतर 13 करोड़ का था. इस परेशानी का हल मंत्री जी ने बजट रोक कर निकाला. इस सबके बाद अब लोकसभा स्पीकर ओम बिरला तक बात पहुंची और वो एक्शन में आए. अपने कद और पद का सकारात्मक इस्तेमाल किया, मध्यस्थता की और बात बन गई! अब टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई की कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) के तहत मशीन स्थापित होगी. 13 करोड़ रुपए कोटा जिले की डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फाउंडेशन ट्रस्ट के जरिए दिए जाएंगे.
बिरला -सचिव बैठक:डीएमएफटी फंड से 13 करोड़ रुपए जारी किए गए थे. इसके बाद मेडिकल कॉलेज प्रबंधन राज्य सरकार से बजट के लिए प्रयासरत थी. इस बीच लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने दिल्ली में इस संबंध में एक बैठक ली. स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव के साथ हुई बैठक में कोटा में लीनियर एक्सीलेटर मशीन लगाने को लेकर चर्चा हुई. जिसमें उन्होंने स्वीकृति दे दी. इसके तहत सीएसआर फंड से टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई इसमें मदद करेगा. मेडिकल कॉलेज कोटा के प्राचार्य डॉ विजय सरदाना का कहना है कि टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई की टीम 10 अगस्त को कोटा आएगी और वो अस्पताल विजिट करेगी.
स्मार्ट सिटी ने 'अटकाया था काम': कोटा में हजारों करोड़ के विकास कार्य स्मार्ट सिटी के तहत चल रहे हैं. इसके अलावा राज्य सरकार नगर विकास न्यास के तहत बिक गई करोड़ों के काम करवा रही है. जिसमें मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों का भी सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है. बीते 13 सालों से लीनियर एक्सीलेटर मशीन लगाने के लिए समीकरण बनते और बिगड़ते रहे लेकिन मशीन की लागत करोड़ों में होने के चलते यह नहीं लग पाई. 2021 में ही स्मार्ट सिटी के तहत इस मशीन को लगाने के लिए 18 करोड़ रुपए की फंडिंग फाइनल थी. बजट तो जारी हो गया लेकिन जरूरत इससे ज्यादा की थी. कुल 25 करोड़ रुपए चाहिए थे. आवश्यकता और देय राशि के बीच गैप को पाटने की मनाही (यानी शेष बजट देने से इनकार) से थोड़ा ब्रेक लगा. बची हुई राशि एकत्रित कराने की जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के कांधों पर आई. लेकिन बचे हुए 7 करोड़ रुपए का इंतजाम करने में उसने भी असमर्थता जता दी. जिसके बाद स्मार्ट सिटी ने घोषित राशि को भी Disburse करने से इनकार दिया और इस तरह ये पूरी स्कीम ठंडे बस्ते में चली गई.