कोटा.इटावा में 10 साल पहले हुए दो भाइयों की नृशंस हत्या के मामले में न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए नौ आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं. वहीं दो आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. साथ ही सजा सुनाने के बाद यह महिलाएं न्यायालय में सिसक-सिसक कर रो पड़ीं.
दो भाइयों की नृशंस हत्या हत्या बता दें कि इटावा इलाके में जोधराज मीणा ने रिपोर्ट 18 सितंबर 2010 को दी थी कि उसका भाई चंद्रप्रकाश, जमुनाशंकर और हरिशंकर खेत को हांकने में गए थे. जहां से वापसी के वक्त रामप्रताप और जोधराज सहित अन्य लोगों ने उन पर हमला कर दिया. हरिशंकर और चंद्र प्रकाश को ट्रैक्टर से खींच लिया और एक बाल अपचारी ने मेरे ऊपर देशी कट्टे से फायर किया. हालांकि, मैं बच गया, बाद में लोगों ने हथियारों से मारना शुरू कर दिया, जिससे हरिशंकर की मौके पर ही मौत हो गई. जबकि चंद्र प्रकाश की अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हुई. जमुना शंकर को कई जगह चोटें आई.
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वहीं मैं खुद बड़ी मुश्किल से जान बचाकर भागा हूं. इस मामले में पुलिस के अनुसंधान के बाद कार्रवाई शुरू की. इसमें हमलावर 12 लोग बताए गए थे, जिनमें एक नाबालिग था. इस मामले में एडीजे क्रम संख्या- 5 के न्यायाधीश दीपक पाराशर में फैसला सुनाते हुए नौ आरोपियों को दोषी माना है. साथ ही दो आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.
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इन 9 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है, जिनमें से पांच आरोपी अभी जेल में ही बंद थे. साथ ही अन्य चार आरोपियों में तीन महिलाएं शामिल हैं, जिन आरोपियों को सजा सुनाई है. उनमें जोधराज, रामप्रसाद, अशोक, पुरुषोत्तम, योगेंद्र और प्रभुलाल शामिल है. तीन महिलाएं गीता, पुष्पा और हेमलता को भी सजा हुई है. जबकि अमृतलाल और नंदकिशोर को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. इसमें एक आरोपी पुरुषोत्तम झालावाड़ जेल में बंद हैं. ऐसे में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही उसे जोड़ा गया और सजा सुनाई गई है.