कोटा.राजस्थान में उर्वरक संकट के बीच जिले के खातोली में मध्यप्रदेश के किसानों को डीएपी का बेचान करने का मामला सामने आया है. निरीक्षण के लिए खातोली पहुंची कृषि विभाग की टीम ने मामले का खुलासा किया है.
राजस्थान में उर्वरक संकट के बीच भी खाद विक्रेता पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में खादों का बेचान कर रहे हैं. जबकि संभागीय आयुक्त कोटा केसी मीणा ने इस पर रोक लगा रखी है. साथ ही कृषि विभाग के अधिकारियों को मॉनिटरिंग करने के लिए भी निर्देशित किया गया था. ऐसे में कृषि विभाग की टीम ने जिले के खातोली में उर्वरकों की दुकानों का निरीक्षण किया. जांच में मध्यप्रदेश में डीएपी का बेचान किया जा रहा है. जिसके बाद टीम ने कार्रवाई करते हुए तीन दुकानों का लाइसेंस 7 दिन के लिए निलंबित कर दिया है.
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किसानों को डाई अमोनियम फास्फेट नहीं मिल पा रहा है. इसके चलते वें खाद की दुकानों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं. दूसरी तरफ कुछ खाद विक्रेता पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में भी खादों का बेचान कर रहे हैं. जबकि संभागीय आयुक्त कोटा केसी मीणा ने इसके लिए रोक लगा दी है.
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि इसके बाद संभागीय आयुक्त के निर्देशों पर अतिरिक्त संभागीय आयुक्त अनुराग भार्गव, कृषि विभाग के हुकमाराम शर्मा, सहायक निदेशक पौध संरक्षण डॉ. तनोज चौधरी, जिला विस्तार अधिकारी सुल्तानपुर उमाशंकर शर्मा और कृषि अधिकारी सत्य प्रकाश मीणा ने इन दुकानों के दस्तावेजों की जांच की और अनियमितता मिलने पर इनके लाइसेंस को 7 दिन के लिए निलंबित कर दिया. इनमें मैसर्स शंभू दयाल मंगल, मैसर्स घनश्याम गोयल एंड कंपनी और मैसर्स गोयल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स है.
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कोटा संभाग में 87 हजार मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता हर साल रबी के सीजन में होती है, लेकिन इस बार विदेशों से कम आयात के चलते डीएपी की मात्रा महज 20 हजार मीट्रिक टन के आसपास रह गई है. इस कमी के चलते ही किसानों को डीएपी लेने पर 2 अनुपात में 3 एसएसपी दी जा रही है. प्रदेश के पड़ोसी राज्यों मध्यप्रदेश में भी बेचने पर रोक लगाई हुई है.
एसएसपी के उपयोग की सलाह
संयुक्त निदेशक शर्मा का कहना है कि सिंगल सुपर फास्फेट में 16 प्रतिशत फास्फोरस और 11 प्रतिशत सल्फर पाया जाता है. इस कारण एक बहू पोषक तत्व वाला उर्वरक है. सिंगल सुपर फास्फेट में पाया जाने वाला सल्फर तिलहनी और दलहनी फसलों में तेल और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाता है. जिससे परिणाम में फसल उपज में वृद्धि होती है. वहीं गेहूं के अतिरिक्त सरसों, चना, लहसुन और धनिया संभाग में रबी की महत्वपूर्ण फसलें हैं. इन फसलों में भी सिंगल सुपर फास्फेट में सल्फर की उपस्थिति के कारण डीएपी की अपेक्षा अधिक लाभदायक है.