कोटा.झालावाड़ रोड पर बुधवार को सिटी मॉल के पास निर्माणाधीन फ्लाईओवर की स्लैब गिरने से एक मजदूर की मौत हो गई और 11 घायल हो गए. साइट पर काम कर रहे दूसरे मजदूरों को भी चोटें आए. काम कर रहे मजदूरों ने सुरक्षा उपकरण नहीं पहन रखे थे. जिसके चलते कुछ मजदूरों को ज्यादा चोटें आई. लेकिन इस हादसे के बाद भी यूआईटी के अधिकारियों ने कोई सबक नहीं लिया है. जबकि यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी सुरक्षा उपकरणों की अनदेखी पर नाराजगी जताई थी.
हादसे से भी सबक नहीं सिख रहे जिम्मेदार ईटीवी भारत ने शहर की निर्माणाधीन साइटों का जायजा लिया. इस दौरान मजदूरों को सुरक्षा उपकरण मुहैया कराने के मामले में लापरवाही साफ नजर आई. अंटाघर चौराहे पर शैटरिंग का काम कर रहे मजदूरों ने हेलमेट, जूते और सुरक्षा उपकरण नहीं पहने हुए थे. बावजूद इसके वह जमीन से 20 फीट ऊंचाई पर काम कर रहे थे. साइट के सुपरवाइजर इस बात से बेफिक्र नजर आए.
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जब मजदूरों से इसको लेकर बात की गई तो उन्होंने जान जोखिम में डालकर काम करने को अपनी मजबूरी बताया. मजदूरों ने कहा कि उनको परिवार को पेट पालने के लिए काम करना पड़ता है. इसलिए वो बिना सेफ्टी उपकरणों के भी काम करते हैं. मजदूरों ने कहा कि वो अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हैं लेकिन हादसे की संभावना लगातार बनी रहती है.
आनन-फानन में मजदूरों को दिए सुरक्षा उपकरण
निर्माणाधीन साइट पर जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो सुपरवाइजर ने आनन-फानन में मजदूरों के लिए सुरक्षा उपकरण पहना दिए. उन्होंने सभी मजदूरों को दिखावे के लिए हेलमेट और जैकेट पहना दिए. लेकिन किसी भी मजदूर के पास सुरक्षा के लिए जरूरी गम बूट और सेफ्टी शूज नहीं थे.
कुछ जगहों पर मजदूर ही करते दिखे लापरवाही
दादाबाड़ी से केशवपुरा के बीच बन रहे फ्लाईओवर बन रहा है. जहां मजदूर भी सुरक्षा उपकरणों को लेकर लापरवाही करते नजर आए. सभी मजदूरों के पास सेफ्टी शूज, हेलमेट व जैकेट थी, लेकिन अधिकांश ने इन्हें नहीं पहन रखा था. वह सड़क निर्माण कार्य को बिना सुरक्षा उपकरणों के ही करने में जुटे हुए थे. इन मजदूरों में से कुछ पिलर पर भी चढ़कर काम कर रहे थे. जब उनसे इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ध्यान नहीं रहा, भूल जाते हैं. कुछ ने कहा कि उन्हें पहनना चाहिए, लेकिन पहनकर अच्छे से काम नहीं कर पाते हैं.
यूआईटी ने कर दी खानापूर्ति
दूसरी तरफ, नगर विकास न्यास इस संबंध में खानापूर्ति ही करता नजर आया. उन्होंने मीटिंग बुलाकर अधिकारियों को सुरक्षा उपकरणों के साथ ही मजदूरों को काम करने को लेकर पाबंद करने की बात कही. हालांकि ऐसा निर्माण साइटों पर नजर नहीं आया. यूआईटी सेक्रेटरी राजेश जोशी का कहना है कि वो खुद भी कुछ साइटों पर जाकर निरीक्षण करके आए हैं. जहां पर अधिकांश मजदूरों ने सुरक्षा उपकरण पहने हुए थे.
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उन्होंने सभी इंजीनियर को निर्देश दे दिए हैं कि साइट पर बिना सुरक्षा उपकरणों के मजदूरों से काम नहीं करवाना है. लेकिन अगर कहीं पर शिकायत मिलती है, तो वह इस संबंध में जांच करवाएंगे और सरप्राइज विजिट करते हुए ठेकेदारों को पाबंद भी करेंगे.
यूआईटी नहीं कर रहा मॉनिटरिंग
कोटा शहर में यूआईटी के 1000 करोड़ के निर्माण कार्य चल रहे हैं. इनमें अंडरपास, फ्लाईओवर, मल्टी लेवल पार्किंग, कोटा सिटी पार्क और रिवरफ्रंट का काम शामिल है. इन सब प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी यूआईटी के बड़े अमले में शामिल इंजीनियर के पास है, लेकिन अधिकांश इंजीनियर केवल खानापूर्ति की ही मॉनिटरिंग कर रहे हैं. यूआईटी की तरफ से जिनके पास जिम्मेदारी है, वह साइट पर मजदूरों के सुरक्षा उपकरणों की जांच भी नहीं करते हैं. इसमें निर्माण कर रहे ठेकेदार भी शामिल है.
जबकि नियमों के अनुसार मजदूरों के पास सेफ्टी हेलमेट, जैकेट, मास्क, बेल्ट, चश्मा और सेफ्टी शूज होने चाहिए. हादसे के समय ये उपकरण मजदूरों के पास होते हैं, तो उन्हें चोट कम लगती है. साथ ही त्वरित राहत के लिए प्राथमिक उपचार की व्यवस्था भी निर्माण साइटों पर होनी जरूरी है. जो कोटा की अधिकांश निर्मणाधीन साइटों पर नदारद नजर आई.