कोटा. वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (World Suicide Prevention Day) 10 सितंबर को मनाया जाता है. डॉ. एमएल अग्रवाल का कहना है कि सुसाइड अटेंड करने वाले लोगों की संख्या करीब 25 से 30 लाख के आसपास है, लेकिन किसी के समझाने या कोशिश करने से यह लोग मान जाते हैं और इनकी जान बच जाती है.
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि डब्ल्यूएचओ (WHO) का मानना है कि 80 फीसदी तक लोगों को बचाया जा सकता है. केवल मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक बीमारियों को समय पर पहचानें, समय पर उनका इलाज करें. यह जानकारी आम आदमी को दें और उस पर तुरंत कार्रवाई करें. हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति की मौत होती है. अगर हमें किसी व्यक्ति में लक्षण दिखे और उससे हम बात कर लें, तो मौत रोकी जा सकती है. ज्यादातर मौतें विकासशील देशों से हैं, जहां पर सामाजिक-आर्थिक स्तर काफी नीचे है. यहां ये आंकड़ा 70 फीसदी तक है, जबकि डेवलप्ड कंट्री में कम है.
इसलिए भी बढ़ रहे आत्महत्या के मामले...
डॉ. एमएल अग्रवाल का मानना है कि आंकड़े बढ़ना चिंता का विषय जरूर है, लेकिन इसकी एक वजह यह भी है कि भारत में जहां पर आत्महत्या को अपराध माना जाता था और कोई आत्महत्या से बच जाता था तो उस पर भी मुकदमा व एफआईआर दर्ज हो जाती थी. लेकिन इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी (Indian Psychiatric Society) के प्रयासों से इसे क्राइम से हटा दिया गया है. इससे पहले जो जानकारी छुपा ली जाती थी, अब जानकारी दी जाती है. जिससे भी हमारे यहां आंकड़े बढ़ रहे हैं.