कोटा.मेडिकल कॉलेज कोटा के अस्पताल को डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल के तौर पर संचालित किया जा रहा है. ऐसे में वहां पर भर्ती मरीजों को इलाज में कोटा मेडिकल कॉलेज की टीमें लगी हुई हैं. मेडिसिन विभाग के अलावा श्वास रोग और अन्य विभागों के चिकित्सक भी उपचार में लगे हुए हैं. यहां पर उपचार के दौरान 80 मरीजों की मौत भी हो चुकी है, जिन पर एक एनालिसिस मेडिकल कॉलेज कोटा के प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना ने करवाया है.
इसमें सामने आया है कि कुछ ऐसे मरीज हैं, जो कि लक्षण होने के बाद भी फॉल्स नेगेटिव आते हैं. इन मरीजों के लिए सीटी स्कैन की जांच काफी इंपोर्टेंट है. छाती की सीटी स्कैन करवाने पर उसमें कोविड-19 के लक्षण सामने आ जाते हैं और कोविड-19 मानकर ही उनका इलाज करने से जान बच जाती है. ऐसे में अब मेडिकल कॉलेज कोटा सप्लीमेंट्री जांच के रूप में इसको भी उपयोग करेगा, जिससे ऐसे जो लोग हैं जिनमें लक्षण हैं और कोविड-19 पॉजिटिव नहीं आ रहे हैं. उनका उपचार कोविड-19 संक्रमित मानकर किया जा सके.
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इसके अलावा कोटा मेडिकल कॉलेज की कमेटी ने एक और सुझाव दिया है, जिसके तहत बताया है कि मरीजों में कोरोनावायरस के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए, ताकि वह समय से उपचार के लिए आ जाएं. साथ ही हाई रिस्क ग्रुप वाले लोगों की मॉनिटरिंग ज्यादा होनी चाहिए, ताकि सही समय पर उन्हें उपचार मिले.
अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे में हुई 33 मौतें
मेडिकल कॉलेज कोटा के अनुसार अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे में ही 33 लोगों की मौत हो गई है. इनमें कुछ लोग ऐसे थे, जिन्होंने अस्पताल में भर्ती होने के कुछ मिनटों व घंटों में ही दम तोड़ दिया. इसके अलावा 6 लोग ऐसे हैं, जिनको मृत हुई अवस्था में ही अस्पताल लाया गया था. इस पर प्राचार्य डॉ. सरदाना का कहना है कि हमारे एनालिसिस में सामने आया है कि मरीजों के आने में देरी के चलते ही उनके उपचार के 24 घंटे में ही मौत हो गई और इन लोगों की मौत के बाद ही पॉजिटिव रिपोर्ट सामने आई है.
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