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महंगे इंजेक्शन की अस्पताल से नहीं हो चोरी, कोटा के MBS अस्पताल प्रबंधन ने बनाया थ्री टियर फुलप्रूफ सिस्टम - Remdesivir injection

अस्पतालों में ब्लैक फंगस (black fungus) के इंजेक्शन की चोरी और इंजेक्शन की जगह पानी लगाने की शिकायतें सामने आई हैं. इससे निपटने के लिए कोटा के MBS अस्पताल ने बेहतरीन थ्री लेयर सिस्टम बनाया है. जिससे मरीज के परिजन भी आश्वस्त रहे और ऐसा कोई आरोप ना लगे.

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इंजेक्शन चोरी रोकने के लिए MBS अस्पताल का नया सिस्टम

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Published : Jun 17, 2021, 12:31 PM IST

कोटा. MBS अस्पताल में किसी भी इंजेक्शन या दवा की चोरी नहीं हो, इसके लिए प्रबंधन ने फुलप्रूफ सिस्टम बनाया है. वर्तमान में अस्पताल में ज्यादातर ब्लैक फंगस (black fungus cases in Kota) के मरीज भर्ती हैं. जिनको महंगे एंफोटरइसिन बी इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं. ऐसे में इंजेक्शन चोरी न हो और मरीज के परिजन को शिकायत ना हो, इसके लिए थ्री टियर सिस्टम बनाया गया है.

शहर के एक निजी अस्पताल से कोविड-19 के मरीज केयर रेमेडेसीवीर इंजेक्शन चुरा लिए गए थे और उनकी जगह ग्लूकोज लगा दिया था. इसके बाद काफी हंगामा भी हुआ था. हालांकि, एमबीएस अस्पताल में इसको लेकर काफी फुलप्रूफ सिस्टम प्रबंधन ने बनाया है. पहले इंजेक्शन की शॉर्टेज बनी हुई थी लेकिन अभी काफी हद तक यह है कमी पूरी हुई है. लगातार मरीजों को इंजेक्शन मिल रहे हैं. इसके लिए एक इंजेक्शन की कीमत 7 हजार रुपए से ज्यादा है.

इंजेक्शन चोरी रोकने के लिए MBS अस्पताल का नया सिस्टम

थ्री टियर सिस्टम, मरीज के परिजन को देते हैं इंजेक्शन

MBS अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना का कहना है कि अस्पताल में रेमेडेसिवीर (Remdesivir injection) और एफोटरइसिन बी इंजेक्शन को जारी करने की पूरी एक गाइडलाइन बनी हुई है. इन इंजेक्शनों की कालाबाजारी रोकने के लिए थ्री टियर सिस्टम बनाया हुआ है. जो चिकित्सक वार्ड में भर्ती मरीज को दवा लिखता है, वे सभी पर्चे अधीक्षक कार्यालय में आते हैं. यहां पर कमेटी के निर्देश पर एक शीट बनाई जाती है. उसमें मरीज और जितने इंजेक्शन उसको जारी होंगे, इसकी सूची रहती है.

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सूची तीन लिस्ट कॉपी में होती है. एक कॉपी ड्रग काउंटर पर भेजी जाती है. वहां पर जो भी फार्मासिस्ट होता है, वह उसका मिलान करता है. पहले होता था कि वार्ड बॉय ही ड्रग काउंटर से इंजेक्शन ले आता था, अब इसमें बदलाव कर नर्सिंग इंचार्ज या सेकेंड इंचार्ज ही जाते हैं.

लगाने के पहले मरीज को दे दिया जाता है इंजेक्शन

एक शीट वार्ड में भी काम आती है. जहां मरीज के परिजन को इंजेक्शन दिखाया जाता है. उसको लगाने के पहले डिस्ट्रिल वाटर मिला इंजेक्शन दे दिया जाता है. इस इंजेक्शन को रिकंस्टीट्यूट भी मरीज के परिजन ही करता है. लगाने के पहले मरीज से ही इंजेक्शन लेकर उसके सामने ही लगाया जाता है. जिससे बार-बार आरोप लगते हैं कि पानी लगा दिया या कुछ और लगा दिया, इससे छुटकारा मिल जाए. मरीज को जब इंजेक्शन लग जाता है तो उसके परिजन को यह वाइल दी जाती है, जो कि वह जाकर नर्सिंग काउंटर पर जमा करा देता है. इन सभी खाली वाइल को स्टोर किया जाता है.

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