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स्पेशल: डेढ़ साल में बनने वाले फ्लाईओवर में तीन साल बाद भी काम पूरा नहीं, जनता परेशान - राजस्थान ताजा हिंदी खबरें

दादाबाड़ी-केशवपुरा फ्लाईओवर का निर्माण 2017 सितंबर में शुरू हुआ था, जिसे फरवरी 2019 में पूरा हो जाना था. एक साल 5 महीने का समय इसको पूरा होने के लिए दिया था, लेकिन अभी भी 25 फीसदी काम इसका बचा हुआ है. तीन साल से ज्यादा समय निर्माण चलते हो गया है. जिससे लोगों को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

construction of flyover in Kota, Dadabari-Keshavpura flyover
डेढ़ साल में बनने वाले फ्लाईओवर में 3 साल बाद भी काम पूरा नहीं

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Published : Nov 28, 2020, 11:24 PM IST

कोटा.नगर विकास न्यास ने पिछली भाजपा सरकार के समय वर्ष 2017 में केशवपुरा फ्लाईओवर का कार्य शुरू किया था. इसे डेढ़ साल में पूरा हो जाना था, लेकिन 3 साल इसके कार्य को शुरू हुए पूरे हो गए हैं और अभी भी कार्य बचा हुआ है. इसके चलते यहां से गुजरने वाले हजारों लोगों को रोज परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

डेढ़ साल में बनने वाले फ्लाईओवर में 3 साल बाद भी काम पूरा नहीं

इस फ्लाईओवर का निर्माण 2017 सितंबर में शुरू हुआ था, जिसे फरवरी 2019 में पूरा हो जाना था. एक साल 5 महीने का समय इसको पूरा होने के लिए दिया था, लेकिन अभी भी 25 फीसदी काम इसका बचा हुआ है. तीन साल से ज्यादा समय निर्माण चलते हो गया है. हालांकि यूआईटी के अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए तय की गई राशि 150 करोड़ थी, इससे भी कम में यह फ्लाईओवर बन रहा है. इसके निर्माण में समय जरूर ज्यादा लग गया है, लेकिन लागत काफी कम है.

3 लाख लोग हर महीने पेश करते हैं समस्या

दादाबाड़ी केशवपुरा फ्लाईओवर निर्माण के चलते दादाबाड़ी, जवाहर नगर, संतोषी नगर, केशवपुरा, तलवंडी, रंगबाड़ी व महावीर नगर जाने वाले लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. अधिकांश लोगों के रास्ते डायवर्टेड हैं. यहां पर जो मार्केट है, वहां के व्यापारी भी परेशान हैं, क्योंकि उनकी दुकानों के सामने अब जगह नहीं बची है. संकरे रास्ते से ही वाहन गुजर रहे हैं. रोज करीब 10 हजार लोग इस पूरे रास्ते से गुजरते हैं, जोकि डेढ़ किलोमीटर से ज्यादा लंबा है. इसके अनुसार पूरे महीने में 3 लाख से ज्यादा लोग समस्या से ग्रसित होते हैं.

लोगों की जान भी जोखिम में है

क्षेत्रीय पार्षद रामबाबू सोनी का कहना है कि दादाबाड़ी-केशवपुरा फ्लाईओवर और की सुविधा तो पता नहीं कब मिलेगी, लेकिन अभी तो लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं. स्थानीय नागरिकों का पेट्रोल का भी काफी खर्चा इस के चक्कर में हो रहा है. क्योंकि उन्हें घूम कर आना पड़ रहा है. रास्तों को डाइवर्ट का किया हुआ है. इसके कार्य की गति काफी धीमी चल रही है. अगले एक-दो साल भी ये तैयार नहीं होगा. इस तरह से काम किया जा रहा है.

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उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द इसे चालू करना चाहिए और लोगों को इसकी सुविधा उपलब्ध करवाएं. गलियों में इस फ्लाईओवर के चक्कर में स्थिति ऐसी हो रही है कि बड़े भारी वाहन ट्रक और बसें यहां से गुजरते हैं. दादाबाड़ी के निवासियों को सबसे ज्यादा फ्लाईओवर के निर्माण से परेशानी हो रही है. बच्चों का घर से बाहर निकलना भी दूभर हो रहा है.

फैक्ट फाइल

दो की जगह 10 मिनट खर्च हो रहे गुजरने में

स्थानीय राजगीर महेश गौतम का कहना है कि 2017 से इस फ्लाईओवर के निर्माण का कार्य शुरू हुआ था, लेकिन कछुआ चाल के चलते आज 3 साल के बाद भी यह पूरा नहीं हुआ है. अब आधा अधूरा यह नजर आता है. इसकी वजह से इस क्षेत्र के लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है. ट्रैफिक जाम की समस्या आम हो गई है. इधर से जब हम रोज निकलते हैं, दो मिनट का रास्ता है, लेकिन 10 से 15 मिनट लगते हैं. मोदी कॉलेज व जवाहर नगर वाले मोड़ पर कई बार ऐसी स्थिति है कि वाहन आपस में टकरा जाते हैं. लगातार दुर्घटना का खतरा बना रहता है. इस क्षेत्र के लोगों को काफी असुविधा हो रही है.

इधर, बहाने ही बहाने- पहले डिजाइन, फिर लॉकडाउन और अब ड्रेनेज

यूआईटी के अधिकारियों का कहना है कि पहले तो तकनीकी खामी इस ब्रिज की डिजाइन में थी. इसे दुरुस्त करने के लिए समय लगा. बाद में लॉकडाउन हो गया और उसके बाद दिवाली के समय में भी ड्रेनेज बनाने का कार्य नहीं करवा पाए. अगर उस काम को शुरू करवा दिया जाता तो बाजार में लोगों को निकलने में खासी समस्या का सामना करना पड़ता. दिवाली के समय पर बाजार बंद रहने से व्यापारी भी नाराज होते. इसलिए देरी हुई है. अब ड्रेनेज बनाने का कार्य जल्द शुरू करवाया जाएगा. यूआईटी के अधीक्षण अभियंता राजेंद्र राठौर दावा कर रहे हैं कि अगले 2 महीने में इस ब्रिज के पूरे काम को करवा दिया जाएगा.

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