कोटा.शहरवासियों के लिए तमाम प्रकार की समस्याएं होती हैं. ऐसे में कोटा शहर के लोगों के लिए एक समस्या बारिश का सीजन है. दरअसल, कोटा शहर में छोटे-बड़े कुल मिलाकर करीब 100 के आसपास नाले हैं जो पहली बारिश से भर जाते हैं. जिसके बाद शहर के लोगों का बाहर निकलना दुश्वार हो जाता है. ऐसे में हर साल नगर निगम को इन नालों की सफाई करवानी पड़ती है जो जुलाई तक पूरा होता है. लेकिन इससे पहले ही बारिश का मौसम शुरू हो जाता है और शहर के अधिकांश क्षेत्र बारिश के पानी से भर जाते हैं.
कुछ क्षेत्रों में बाढ़ जैसे बन जाते हैं हालात...
पहली बारिश से ही कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं. यहां तक कि प्रेम नगर, डीसीएम, इंदिरा गांधी नगर, सूरसागर इलाका तो पूरी तरह से बाढ़ क्षेत्र ही बन जाता है. इसी तरह से जवाहर नगर नाले में पानी के उफान के चलते पूरी जवाहर नगर, पॉश कॉलोनी और मार्केट में एक से दो फीट तक बारिश का पानी भर जाता है.
पहली बारिश में ही कोटा बन जाता है दरिया कई सालों से झेल रहे हैं नुकसान...
लोगों का कहना है कि पहली बारिश में जब नाले की सफाई नहीं होने के चलते पानी की निकासी नहीं हो पाती है, तो इसका खामियाजा शहर के बाशिंदों को भुगतना पड़ता है. बीते कई सालों से पहली बारिश होने के साथ ही उनके घरों में पानी भर जाता है और घरों में रखा हुआ सारा सामान भी खराब होता है. महिलाओं का कहना है कि उनके घरों में रखा हुआ राशन, फ्रिज, पलंग की प्लाई इत्यादि हर बारिश में खराब हो जाती है.
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जनता के लिए ये नाले खतरनाक...
इनमें सोगरिया एरिया, माला रोड, रामचंद्रपुरा, जवाहर नगर, ब्लड बैंक रोड, अग्रसेन नगर बालाकुंड, केशवपुरा शमशान घाट, तलवंडी जाट समाज एरिया नाला, झालावाड़ रोड नाला, छावनी, नांता नहर के किनारे, बड़गांव सरकारी स्कूल, महात्मा गांधी कॉलोनी, रेलवे ट्रैक के पास, काला तलाब और शिवाजी कॉलोनी पुरोहितजी की टापरी का नाला शामिल है.
पहली बारिश में ही भर जाते है नाले अधिकांश नाले जाम, नहीं हो रही पानी की निकासी...
कोटा शहर के अधिकांश नाले जाम हैं, उनसे पानी की निकासी नहीं हो रही है. इन सभी नालों में कचरा फंसा हुआ है. ऐसे में निगम को संसाधन लगाकर उनकी सफाई करवानी होगी, लेकिन अभी भी सफाई कार्य शुरू नहीं हुआ है. शहर में गंदगी का यह आलम है कि अभी प्री मानसून के समय जो बारिश आई तो नाले ओवरफ्लो हो गए और सड़कों पर पानी बह निकला था. इससे कई कॉलोनियों की सड़कों पर भी पानी आ गया था.
सुनवाई नहीं होती हमारी...
लोगों का कहना है कि नालों की सफाई के लिए कई बार उन्होंने नगर निगम से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक को अवगत करा दिया, लेकिन अभी तक भी सफाई कार्य में गति नजर नहीं आई है. जवाहर नगर के स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरा नाला अटा पड़ा है. गंदगी से पूरा पानी नाले में ही रुका हुआ है, लेकिन नगर निगम अभी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. इस समय अगर सफाई नहीं हुई तो हर साल की तरह पानी हमारे घरों में आएगा और हमें परेशानी होगी.
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करोड़ों रुपए में होती है नालों की सफाई, लेकिन हालात जस के तस ही रहते हैं...
नगर निगम उपायुक्त (जन स्वास्थ्य) अशोक कुमार त्यागी का कहना है कि उन्होंने 4 तरह से नाला सफाई की प्लानिंग की है. इसमें कुछ जेसीबी से नालों की सफाई होनी है. ऐसे में नगर निगम की 4 जेसीबी हैं, जिनसे सफाई का ही कार्य हो रहा है. ऐसे में नाला सफाई के लिए जेसीबी का अनुबंध किया जाएगा. साथ ही चैन माउंटेन मशीन से सफाई कार्य शुरू करवाया गया है. इसके अलावा कुछ सफाई कार्यक्रम मैनुअली अभी होना है, जिसके भी निर्देश दिए गए हैं. वहीं, कुछ नालों के ढक्कन को तोड़कर सफाई होती है, फिर उनका दोबारा निर्माण होता है. इसके लिए भी निर्माण शाखा के जरिए टेंडर निकलवाया है. इन सब कार्य में करीब 4 से 5 करोड़ रुपए का खर्चा होगा.
गंदा पानी हो जाता है इकट्ठा 1. 80 लाख के टेंडर, 12 जून को खुलेंगे...
नालों की सफाई के लिए आरसीसी की सड़क को तोड़कर और कवर हटाकर सफाई कार्य निर्माण शाखा करवाएगी. इसके लिए 80 लाख रुपए के टेंडर जारी कर दिए गए हैं. इनमें से कुछ टेंडर 5 जून को खोल दिए गए हैं. वहीं, आने वाली 12 जून को अधिकांश टेंडर खोले जाएंगे. जब तक सफाई कर रहे यह संवेदक शुरू करेंगे, तब तक मानसून दस्तक दे चुका होगा.
2. मानसून 25 जून से आएगा, सफाई जुलाई में होगी...
निगम ने चैन माउंटेन मशीन से नालों की सफाई के लिए कार्यक्रम जारी कर दिया है, जिसमें 19 नालों की सफाई होगी. यह नाले शहर के प्रमुख बड़े नाले हैं, जिनमें जेसीबी से सफाई नहीं हो पाती है. हालांकि, निगम ने अपने कार्यक्रम में ही देरी कर दी है. क्योंकि, 25 जून से मानसून की दस्तक होगी, लेकिन निगम 4 जुलाई तक सफाई कर पाएगा. ऐसे में जब पहले ही बारिश हो जाएगी तो शहर के नाले ओवरफ्लो होकर कॉलोनियों को दरिया बना देंगे. वहीं, इसके बाद नाले अपने आप ही बारिश के प्रभाव में साफ हो जाते हैं.