कोटा.देश का आम बजट 1 फरवरी को आने वाला है. पिछला पूरा साल कोविड-19 महामारी के चलते समय परेशानी भरा बीता है. अर्थव्यवस्था भी लॉकडाउन के चलते डगमगा गई थी. जीडीपी की ग्रोथ रेट कम हो गई है. ऐसे में अब बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं.
बता दें कि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज का ऐलान किया था. जिसके जरिए इंडस्ट्री और बिजनेस को ग्रोथ मिले. हालांकि, अभी भी लोगों को उधार पैसा लेने की काफी आवश्यकता पड़ती है. कई तरह के लोन जीवन में व्यक्ति लेता है. बिजनेसमैन से लेकर एक सामान्य आदमी तक को उसकी जरूरत होती है. वाहन और सुख-सुविधाओं को बनाने के साथ-साथ घर के सपने संजोने के लिए भी वह लोन लेता है. इन सब पर ही ईटीवी भारत ने कोटा के चार्टर्ड अकाउंटेंट से बात की. जिसमें किस तरह से वे लोन की व्यवस्था और उसमें जो कमियां है, उनके दूर किया जाए.
इस संबंध में चार्टर्ड अकाउंटेंट योगेश चांडक का कहना है कि व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए व्यापारियों को बिजनेस लोन की आवश्यकता होती है. कोविड-19 काल में सरकार ने इमरजेंसी लोन दिया था. उसका पीरियड जो कि 3 साल का रखा गया है, लेकिन बिजनेस रिवाइवल नहीं हो पाए हैं. ऐसे में इसकी अवधि बढ़ाकर 5 साल करनी चाहिए. इसके साथ ही जो नए ट्रेड लोन है, जो बिजनेस की ग्रोथ के लिए चाहिए.
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दूसरे बिजनेसमैन की मांग है कि नए ट्रेड लोन बिजनेस के लिए चाहिए. अभी बैंक केवल कोविड-19 का इमरजेंसी लोन ही स्वीकृत कर रही है. नया ट्रेड लोन, कैश क्रेडिट और ओवरड्राफ्ट के लिए अप्लाई करता है तो उसे वह सुविधा नहीं मिल रही है. बैंक सपोर्ट नहीं कर रही है. साथ ही जो ट्रेड लोन बिजनेसमैन को मिल रहा है. उसके इंटरेस्ट रेट भी कम होनी चाहिए क्योंकि कोविड-19 का जो इमरजेंसी लोन है, वह काफी कम रेट पर है. जबकि उसकी कैश क्रेडिट और ओवरड्राफ्ट पर ब्याज दर ज्यादा है. इससे काफी दिक्कत हो रही है और चैलेंज भी बिजनेस में आ रहे हैं.
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कोटा से ब्रांच के अध्यक्ष रजनी मित्तल ने कहा कि लॉकडाउन के पीरियड में हर परिवार फाइनेंशियल क्राइसिस में है. महिलाओं की भूमिका इस संबंध में महत्वपूर्ण हो जाती है और मजबूत हो जाती है. हर परिवार को आगे आने की जरूरत है, हमारी वित्त मंत्री भी महिला है. महिलाओं की जरूरत को समझेगी और इसे बजट में ऐसा कुछ योजनाएं आएगी. जिसमें महिलाओं को एंटरप्रेन्योरशिप के लिए लोन होंगे. रिलैक्स्ड लोन होंगे और महिलाएं भी बाहर आ सके और काम कर सकें. आज के समय में जितने भी हाउस वाइफ से 50 फीसदी की महिलाओं की इच्छा है कि बाहर निकल कर काम करें लेकिन सीमित संसाधनों की वजह से काम नहीं कर पाती है, संसाधन उन्हें मुहैया करवाए जाएंगे. जो मेक इन इंडिया का कांसेप्ट है, उनमें महिलाओं के लिए और ज्यादा प्रावधान होंगे. उन्हें शुरुआत में तो बिना ब्याज के ही लोन दिया जाए तो अच्छा होगा.
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