कोटा. कोविड-19 के कारण आपात स्थितियों के चलते जेईई मेन 2021 के आयोजन में कई व्यवधान हुए थे. इसके साथ ही क्लासेज ऑफलाइन नहीं हुई थी और स्टूडेंट्स को भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा था. इसी के चलते एडवांस पात्रता की कटऑफ काफी कम हो गई है.
यह गिरावट 2019 से शुरू हुई नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के इतिहास में सबसे ज्यादा है. बीते 3 सालों में इस बार सबसे कम कटऑफ गई है. कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि जेईई मेन परीक्षा आयोजन की तिथियों का परिवर्तित होना व बोर्ड-परीक्षाओं के आयोजित होने या नहीं होने के असमंजस में विद्यार्थियों की पढ़ाई के प्रति एकाग्रता को प्रभावित किया है. इसी के चलते विद्यार्थी अपनी क्षमताओं के अनुरूप परफॉर्म नहीं कर पाए।
विद्यार्थियों ने 'फिजिकल-क्लासेस' को भी 'मिस' किया. फिजिकल क्लासेस नहीं होने के कारण शिक्षकों से सीधा जुड़ाव नहीं बन पाया. विद्यार्थीयों ने प्रश्न पत्र के दौरान कई ऐसी गलतियां की, जिन्हें आसानी से शिक्षकों के मार्गदर्शन से रोका जा सकता था. यह गिरती हुई कटऑफ के आंकड़े से स्पष्ट हैं कि आपात परिस्थितियों ने विद्यार्थियों को परफॉर्मेंस को प्रभावित किया है.
100 परसेंटाइल क्लब में गर्ल्स नगण्य
देव शर्मा ने बताया कि जेईई मेन 2021 परीक्षा में फीमेल कैंडिडेट का प्रदर्शन व हिस्सेदारी दोनों ही गंभीर चिंता का विषय हैं. टॉप परफॉर्मेंस में छात्राएं नगण्य ही हैं. जेईई मेन परीक्षा में 44 विद्यार्थियों ने 100 परसेंटाइल के क्लब में शामिल रहे हैं, इनमें फीमेल कैंडिडेट की संख्या महज चार है. वहीं 100 परसेंटाईल प्राप्त करने वाली इन फीमेल कैंडीडेट्स में से एक भी राजस्थान से नहीं है. इनमें दिल्ली से काव्य चोपड़ा, महाराष्ट्र से गायकी मरकंद बक्शी, तेलंगाना से कोम्मा शरनाया और उत्तर प्रदेश से पल अग्रवाल शामिल हैं.
3 लाख से कम रही छात्राओं की भागीदारी
फीमेल कैंडिडेट की भागीदारी के बाद की जाए तो इस बार 9 लाख 39 हजार 8 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे, जिनमें से महज 2 लाख 80 हजार 67 ही छात्राएं हैं. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के कार्यकाल में पहली बार तीन लाख से कम छात्राएं परीक्षा में बैठी हैं. जबकि इंजीनियरिंग अंडरग्रैजुएट-डुएल डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए फीमेल कैंडीडेट्स को आईआईटी व एनआईटी प्लस सिस्टम में सुपर न्यूमरी सीट्स का प्रावधान भी किया गया है, फिर भी फीमेल कैंडीडेट्स की भागीदारी बढ़ने के स्थान पर कम रही है.
स्टेट टॉपर में तेलंगाना और दिल्ली अव्वल, राजस्थान दूसरे नंबर पर
स्टेट टॉपर की बात की जाए तो तेलंगाना और दिल्ली के सबसे ज्यादा 7 स्टेट टॉपर 100 परसेंटाइल लेकर बने हैं. जबकि राजस्थान और आंध्र प्रदेश दूसरे नंबर पर हैं. जहां पर 6 स्टेट टॉपर 100 परसेंटाइल वाले हैं. इसके बाद 5 स्टेट टॉपर ऑफर महाराष्ट्र का नंबर आया है. इसके बाद उत्तर प्रदेश से 3 स्टेट टॉपर हैं.
रैंक में उम्र का क्राइटेरिया हटाने से कई विद्यार्थियों को एक रैंक
निजी कोचिंग इंस्टीट्यूट के कॅरियर काउंसलिंग एक्सपर्ट अमित आहूजा ने बताया कि जिन विद्यार्थियों ने जेईई-मेन के चारों सेशन की परीक्षाएं दी हैं, उनके चारों परीक्षाओं के उच्चतम एनटीए स्कोर को नार्मेलाइज कर आल इंडिया रैंक जारी की गई है. ऑल इंडिया रैंक बनाने के दौरान यदि दो विद्यार्थियों का कुल एनटीए स्कोर समान होने पर मैथेमेटिक्स के एनटीए स्कोर देखा गया, उसमें टाई लगने की स्थिति में फिजिक्स के एनटीए स्कोर और उसमे टाई लगने पर अंत में कैमेस्ट्री के एनटीए स्कोर को ऑल इंडिया रैंक बनाने के लिए आधार बनाया गया.
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इन सभी स्कोर में भी समानता रहने पर जेईई-मेन आल इंडिया रैंक बनाने के लिए विद्यार्थियों के उत्तरों में ऋणात्मक से धनात्मक रेशो कम वाले विद्यार्थियों को रैंक में प्राथमिकता दी गई है. उपरोक्त सभी मापदण्डों में टाई की स्थिति होने पर समान विद्यार्थियों एक ही आल इंडिया रैंक प्रदान की गई. यही कारण है कि इस वर्ष पहली बार आल इंडिया रैंक-1 पर 18 विद्यार्थी रहे. वहीं अन्य समान रैकों पर भी एक या एक से अधिक विद्यार्थी रहे.
काउंसलिंग में फंस सकता है पेंच
अमित आहूजा ने बताया कि ऑल इंडिया रैंक बनाने के लिए कुल एनटीए स्कोर एवं सब्जेक्टवाइज एनटीए स्कोर में टाई लगने पर आयु के मापदण्ड खत्म करने के बाद बहुत से विद्यार्थियों की समान ऑल इंडिया रैंक आई है. ऐसे में जोसा काउंसलिंग के दौरान इन समान रैंक वाले विद्यार्थियों को भरी हुई कॉलेज प्राथमिकता सूची (च्वाइस) के अनुसार यदि समान ब्रांच व सीट का आवंटन होता है और वो ब्रांच उस संस्थान की अंतिम ब्रांच हुई तो किसे आवंटित की जाएगी.
यह पेंच काउंसलिंग के दौरान सामने आ सकता है, जो कि कई विद्यार्थियों के लिए परेशानी वाला हो सकता है. जबकि गत वर्ष तक एनटीए स्कोर में टाई लगने की स्थिति में अधिक आयु को प्राथमिकता देकर रैंक आवंटित की जाती थी, जिससे समान रैंक पर एक से अधिक विद्यार्थी नहीं आते थे.